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Friday, December 16, 2016

राज्य परियोजना कार्यालय लखनऊ के यूनिट इंचार्ज ने प्रदेश के सभी जिलों से 10-10 विशेष उल्लेखनीय कार्य करने वाले विद्यालयों का पूरा ब्योरा मांगा, दूसरों को आईना दिखाएंगे मॉडल स्कूल

परिषदीय विद्यालयों में सराहनीय कार्य करने वाले शिक्षकों पर विभाग को भी नाज है। राज्य परियोजना कार्यालय स्कूलों के साथ ही उनकी पूरी कुंडली तैयार करवा रहा है। प्रदेश के सभी जिलों से विशेष उल्लेखनीय कार्य करने वाले 10-10 स्कूलों की प्रोफाइल मांगी गई है। बताया जाता है कि परियोजना प्रदेश के इन विद्यालयों को नजीर के रूप में दूसरों के सामने प्रस्तुत करेगी।

सर्व शिक्षा अभियान में परिषदीय विद्यालयों की दशा सुधार कर उन्हें कांवेंट जैसा बनाने के लिए प्रति वर्ष करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। स्कूलों में संसाधनों से लेकर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के भी विशेष इंतजाम हैं पर इच्छाशक्ति की कमी और मनमानी पूरी व्यवस्था पर भारी पड़ती है। विद्यालयों की हकीकत सब कुछ बयां करती है पर दूसरी तरफ ऐसे भी बहुत से स्कूल हैं जिनके शिक्षकों की मेहनत और लगन से उनका नाम रोशन हुआ। जिले में एक दो नहीं कई माडल स्कूल हो गए हैं। कोई गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा तो कोई संसाधनों के नाम पर जाना जाता है। वैसे हर जिले में लगनशील शिक्षकों के बल पर माडल विद्यालय हैं लेकिन उन्हें कोई खास स्थान नहीं मिल पाता और सामान्य श्रेणी में जोड़ कर रखा जाता है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा और उन्हें उनकी मेहनत पर सम्मान मिलेगा। राज्य परियोजना कार्यालय लखनऊ के यूनिट इंचार्ज राजेश कुमार श्रीवास ने प्रदेश के सभी जिलों से 10-10 विशेष उल्लेखनीय कार्य करने वाले विद्यालयों का पूरा ब्योरा मांगा है। जिसमें डायस डाटा 2015-16 के आधार पर विद्यालय का नाम, ब्लाक, विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों की संख्या एवं नाम, बच्चों का नामांकन, भौतिक परिपेक्ष्य जैसे कक्षा कक्षों की संख्या, चहारदीवारी, किचन, शौचालय, पीने के पानी को हैंडपंप को शामिल कर उनकी पूरी प्रोफाइल तैयार कराई जाएगी और इसी प्रोफाइल को परियोजना कार्यालय में मांगा गया है।1भौतिक सत्यापन भी बने आधार1 सराहनीय विद्यालयों की प्रोफाइल बनाना सराहनीय कार्य है। लीक से हट कर अच्छा कार्य करने वाले शिक्षकों को सम्मानित भी किया जाना चाहिए ताकि अन्य भी प्रोत्साहित हों लेकिन शिक्षकों का कहना है कि प्रोफाइल का आधार भौतिक सत्यापन रखना चाहिए। वैसे डायस डाटा ही आधार होता है और उसमें सब कुछ फीड भी होता है लेकिन ऐसे भी विद्यालय होते हैं जोकि आंकड़ों में फिट होते पर हकीकत कुछ और होती है। अध्यापकों का कहना है कि कुछ तो अपनी जुगाड़ की दम पर फिट रहते हैं तो ऐसे बहुत से होते हैं जोकि केवल काम करते हैं और काम ही उनकी पहचान होती है।जा

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