⚫ डीडीए लैंड वाले स्कूलों की गाइडलाइंस जारी
75 फीसद सीटें केवल नेबरहुड के लिए,
⚫ आवेदन 9 से सीटों से ज्यादा आवेदन होने पर निकालना होगा ड्रॉ
⚫ पहले 0-1 फिर 1-3 व फिर 3- 6 किलोमीटर वालों को देना होगा दाखिला
राजधानी के सरकारी जमीन पर बने गैर सहायता प्राप्त 298 पब्लिक स्कूलों को झटका लगा है। उनको नेबरहुड क्राईटेरिया से ही दाखिला करना होगा, जिसमें सिबलिंग वाले बच्चों को सबसे पहले दाखिला मिलेगा। ऐसे स्कूलों को पहले एक किलोमीटर, फिर एक से 3 और फिर 3 से 6 किलोमीटर वाले बच्चों को दाखिले में प्राथमिकता देनी होगी। स्कूलों में 75 फीसद सीटों पर दाखिले केवल नेबरहुड से ही करने होंगे। गाडलाइंस में यह स्पष्ट किया गया है कि मैनेजमेंट कोटा नहीं चलेगा। दरअसल दाखिले में 75 फीसद सीटें नेबरहुड व 25 फीसद ईडब्ल्यूएस को दिये जाने के बाद मैनेजमेंट कोटा की संभावना ही नहीं बचती है।
स्कूलों में गाइडलाइंस को तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है, लिहाजा स्कूल 9 जनवरी से दाखिला की आवेदन प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं, आवेदन की लास्ट डेट 31 जनवरी होगी। नर्सरी की गाइडलाइंस में 2007 के आर्डर में संशोधन करते हुए यह गाइडलाइंस जारी की गई है। इसके तहत स्कूलो में पहले 0 से एक किलोमीटर के बच्चों के आवेदनों की छंटाई करनी होगी। जिसमें सिबलिंग वाले सभी बच्चों को दाखिला देना होगा।
यदि एक किलोमीटर में जनरल कैटगरी के नेबरहुड व सिबलिंग की कुल सीटों से ज्यादा आवेदन से ज्यादा है तो ड्रॉ ऑफ लॉट्स निकालना होगा। इसके बाद सीटें खाली रह जाती है तो उनका भी ड्रॉ से दाखिला करना होगा। इसके बाद सीटें खाली रहने पर एक से 3 किलोमीटर वालों को दाखिला देना होगा। इसके बाद भी सीटे खाली रहतीं हैं तो 3 से 6 किलोमीटर वालों का दाखिला होगा। इसके बाद भी सीटें खाली रहती जाती है तो 6 किलोमीटर से दूर रहने वालों को दाखिला दिया जा सकता है। इस गाइडलाइंस को तत्काल प्रभाव से लागू होगा।
नेबरहुड वाली गाइडलाइंस को लेकर कोर्ट जाएगी एक्शन कमेटी : पब्लिक स्कूलों की एक्शन कमेटी के उपाध्यक्ष आरसी जैन का कहना है कि यह गाइडलाइंस हमे स्वीकार नहीं है। इस मामले में अब हम कोर्ट जाएंगे। बेटी बचाओ बेटी बचाओ के तहत गर्ल चाइल्ड को प्राथमिकता दी जाती थी, वह भी खत्म हो जाएगा। इससे प्रधानमंत्री के इस अभियान का सपना टूटेगा। फस्र्ट चाइल्ड में जिसके अभिभावक के बच्चे के पहले बच्चे का दाखिला होता था वह भी प्रभावित होगा। इस फॉमरूले से गांव देहात के बच्चों को दाखिला मिलना मुकिल होगा, जहां अच्छे स्कूल नहीं हैं।
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