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Sunday, January 8, 2017

9,342 एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में अफसरों की चुप्पी से समस्या हो रही गंभीर, कंप्यूटर संग कई विषयों पर तकरार, नियमावली बदलने के दौरान बदली अर्हता

प्रदेश भर के राजकीय कॉलेजों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती नियमावली बदलने को अफसर बड़ी कामयाबी बता रहे हैं, वह अभ्यर्थियों की आपत्तियां सुनने और उनका निस्तारण कराने तक को तैयार नहीं है। युवा भी इस मुद्दे पर चुप बैठने को राजी नहीं है, क्योंकि परेशानी कुछ के बजाय कई विषयों को लेकर है। ताज्जुब यह है कि तकरार के साथ ही भर्ती के लिए आवेदकों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।
राजकीय कॉलेजों में 9342 एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती को इन दिनों आवेदन मांगे गए हैं। शुरुआती दिनों को छोड़ दें तो इस समय तेजी से आवेदन हो रहे हैं। इस भर्ती का विज्ञापन जारी होने के पहले ही युवाओं ने मेरिट के आधार पर होने वाली नियुक्तियों का विरोध किया था। उनका कहना था कि राज्य एवं केंद्रीय बोर्ड, परीक्षा स्तर एवं मूल्यांकन में बड़ा अंतर है। इसलिए मेरिट के बजाय लिखित परीक्षा के जरिये चयन करने का संशोधित विज्ञापन जारी किया जाए। भर्ती अफसरों ने इस मामले में चुप्पी साध ली। इशारों में यह जरूर कहते रहे कि सरकार व शासन को इससे अवगत कराओ, लेकिन वह खुद कुछ भी करने को तैयार नहीं हैं। विज्ञापन जारी होने के बाद विषयों की अर्हता को लेकर तमाम विसंगतियां सामने आई हैं।
विभाग में पहली बार हो रही कंप्यूटर शिक्षक भर्ती को लेकर युवाओं ने नाराजगी जताई क्योंकि बीटेक करने वालों से बीएड प्रमाणपत्र की भी मांग की गई है। इसी तरह हंिदूी विषय की अशासकीय एवं राजकीय कॉलेजों में अर्हता अलग है। असल में माध्यमिक शिक्षा परिषद ने पिछले साल ही अशासकीय कॉलेजों की हंिदूी की अर्हता राजकीय कालेज के समान कर दी थी, तब युवाओं ने विरोध करके आदेश बदलवा दिया। अब राजकीय में भर्ती के समय फिर अर्हता का बवाल है। ऐसे ही अंग्रेजी की अर्हता स्नातक में अंग्रेजी भाषा को भी मानने की मांग हो रही है। भर्ती में अंग्रेजी साहित्य को ही अर्ह माना गया है। इन विसंगतियों पर बवाल होने के बाद भी अफसर न तो उसमें बदलाव करने के मूड में हैं और न ही इन परेशानियों से वरिष्ठों को अवगत करा रहे हैं। यही नहीं, जन्म प्रमाणपत्र को लेकर भी कई दिन तक युवा उहापोह में रहे। हालांकि आजकल प्ले ग्रुप से लेकर अन्य कॉलेजों में यह प्रमाणपत्र अनिवार्य रूप से मांगा जा रहा है और अभिभावक दे भी रहे हैं, लेकिन कई वर्ष पहले जन्मे तमाम युवाओं के पास यह प्रमाणपत्र नहीं है। हकीकत में भर्ती के नोटीफिकेशन में जन्म प्रमाणपत्र की बात नहीं है। उसके लिए हाईस्कूल प्रमाणपत्र में लिखी आयु से ही पर्याप्त है।
अफसरों की चुप्पी से समस्या और गंभीर हो रही है। माध्यमिक शिक्षा के अपर निदेशक रमेश ने कहा कि युवा गुमराह न हो, यदि कोई समस्या है तो निदेशालय से संपर्क करके दूर कर लें।’
तकरार के साथ ही बढ़ रही भर्ती के लिए आवेदकों की संख्या, विज्ञापन जारी होने से पहले ही मेरिट के आधार पर नियुक्ति का किया था विरोध

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