बाजार में बिक रहे विवि के दस्तावेज, छात्र के हंगामे के बाद दी गई हिदायत
छात्रों से मंगाए जा रहे मार्कशीट के फॉर्मेट
अंबेडकर विवि की अव्यवस्थाओं से सैकड़ों शिक्षकों के होश उड़े हुए हैं। शिक्षा विभाग द्वारा इन शिक्षकों की मार्कशीट को विवि में सत्यापन के लिए भेजा गया है। इनके आवेदन वापस कर दिए गए हैं, उनसे परीक्षा देने का प्रमाण पत्र मांगा गया है।
विवि द्वारा सत्यापन की सूची ऑनलाइन की गई है। इसमें सबसे ज्यादा मामले शिक्षा विभाग के हैं। शिक्षक की नौकरी लगने के बाद बीएड, बीए, बीएससी और बीकॉम की मार्कशीट सत्यापन के लिए भेजी गई हैं। इनमें से तमाम केस में विवि प्रशासन ने संबंधित मार्कशीट का रिकॉर्ड न होने की जानकारी देते हुए आवेदन वापस कर दिए हैं। उनसे परीक्षा में शामिल होने का प्रमाण पत्र मांगा गया है। पीआरओ डॉ. गिरजा शंकर शर्मा ने बताया कि सत्यापन से संबंधित समस्या की शिकायत विवि में कर सकते हैं। उसका जल्द से जल्द निस्तारण किया जाएगा।
रिकॉर्ड नहीं है तो फर्जी मार्कशीट की दें रिपोर्ट : विवि में सत्यापन के लिए आवेदन करने वाले शिक्षकों का कहना है कि रिकॉर्ड नहीं है तो फर्जी मार्कशीट की रिपोर्ट दी जानी चाहिए। मगर, विवि प्रशासन सत्यापन नहीं करना चाहता है। इसलिए सत्यापन के आवेदनों में कमी निकाल कर वापस किए जा रहे हैं। इसके चलते शिक्षकों को तनख्वाह नहीं मिल पा रही है। इस तरह के केस लगातार बढ़ रहे हैं।
फर्जी मार्कशीट के सत्यापन से नौकरी कर रहे हैं शिक्षक : विवि की बीएड सत्र 2005 और बीए, बीएससी और बीकॉम की फर्जी मार्कशीट से सैकड़ों शिक्षक नौकरी कर रहे हैं। इनकी फर्जी मार्कशीट का विवि प्रशासन द्वारा सत्यापन करा दिया गया है। एसआइटी की जांच में फंसने के बाद कर्मचारियों ने सत्यापन करना ही बंद कर दिया है।जागरण संवाददाता, आगरा: छात्रों के भविष्य को चौपट कर रहे विवि के गोपनीय दस्तावेज बाजार में बिक रहे हैं। विवि कर्मचारियों द्वारा छात्रों से बाजार से डुप्लीकेट मार्कशीट मंगाई जा रही है। इसे लेकर शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। कुलसचिव ने कर्मचारियों को बाजार से फॉर्मेट मंगाए जाने पर हिदायत दी है। 1 केएमआइ से एमफिल कर चुके सुनीत चौहान को दी गई मार्कशीट में गड़बड़ी है। इस पर उन्होंने डुप्लीकेट मार्कशीट के लिए कुलसचिव कार्यालय में आवेदन किया। वे मार्कशीट लेने के लिए विभाग में पहुंचे तो उनसे डुप्लीकेट मार्कशीट का फॉर्मेट बाजार से लेकर आने के लिए कहा। 1उन्होंने विवि के गोपनीय दस्तावेज बाजार से लाने से इन्कार कर दिया। इसे लेकर विवाद हो गया, मामला कुलसचिव केएन सिंह तक पहुंचा। कर्मचारी को भी बुला लिया। उन्होंने डुप्लीकेट फॉर्मेट न होने की जानकारी दी। उन्हें फॉर्मेट जारी कराने के लिए कहा है। 1खुद ही तैयार कर लेते हैं डुप्लीकेट मार्कशीट : विवि की गोपनीय डुप्लीकेट मार्कशीट के फॉर्मेट बाजार में बिक रहे हैं। विवि में सक्रिय दलाल इन फॉर्मेट पर अपने हाथों से डुप्लीकेट मार्कशीट बना कर दे देते हैं।
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