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Monday, March 27, 2017

इटावा : दो माह में ही फट गयी बच्चों की ड्रेस, पहले बैग और अब ड्रेस वितरण में घपला

दो माह में ही फट गईं बच्चों की ड्रेस

बेसिक शिक्षा विभाग के सामने आ रहे हैं कारनामे, पहले बैग अब बच्चों की ड्रेस में घपला

क्या कहते हैं अधिकारी1इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी सर्वेश कुमार ने बताया कि इस तरह का कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है। इस मामले में बच्चों का हक खाने वाले शिक्षकों के खिलाफ जांच कराई जाएगी। मामले में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी।

अनियमितता

क्या है ड्रेस वितरण के नियम


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सैफई : बेसिक शिक्षा विभाग के कारनामे एक के बाद एक सामने आ रहे हैं। पहले बस्ते बांटने का मामला उसके बाद अब ब्लाक के बच्चों को बांटी गई ड्रेस में भी का मामला सामने आया है। यह ड्रेस दो महीने में ही फट गई।1क्षेत्र के कई प्राथमिक व जूनियर विद्यालयों में बच्चों ने गांव में ड्रेस को लेकर असलियत बयान की। कई बच्चे तो ऐसे मिले जिन्हें ड्रेस मिली ही नहीं या फिर उन्हें सिर्फ एक ड्रेस दी गई। कई विद्यालयों में अधूरी ड्रेस बांटी गई किसी को पेंट दे दी गई तो किसी को शर्ट दे दी गई। यह हालत किसी एक विद्यालय की नहीं है बल्कि सैफई ब्लाक के करीब दो दर्जन विद्यालयों की है। इन विद्यालयों से लगे गांव में पढ़ रहे बच्चों के घर जाकर जब संपर्क किया गया तो चौंका देने वाला मामला सामने आया है। प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय कूकपुर में पढ़ रही कक्षा पांच की शिवानी को ड्रेस नहीं मिली। ब्रजेंद्र को दो शर्ट मिलीं परंतु पेंट नहीं मिली। रागिनी, पार्वती, सोहिनी व माधुरी को ड्रेस नहीं मिली। अंजली को किताबें तो मिल गईं परंतु ड्रेस नहीं मिली। प्रधानाध्यापक ने 8 दिन में ड्रेस देने का वादा किया था लेकिन आज तक नहीं दी।1प्राथमिक विद्यालय कछपुरा का छात्र फटी ड्रेस दिखाता’ जागरणप्राथमिक विद्यालय कूकपुर का छात्र फटी ड्रेस दिखाता’ जागरणसबसे पहले विद्यालय प्रबंध समिति की बैठक होती है जिसमें प्रधानाध्यापक, अध्यक्ष व सदस्य भाग लेंगे। तीन कपड़े की दुकानों का टेंडर होगा और सबसे अच्छा व सबसे सस्ता कपड़ा खरीदेंगे। स्थानीय टेलर से कपड़े की सिलाई होगी, टेलर उपलब्ध न होने पर शहर में किसी टेलर से सिलाई कराई जाएगी लेकिन विद्यालयों में ऐसा नहीं हुआ सभी फर्जी फर्मों को टेंडर जारी कर दिए गए। घटिया कपड़ा आसपास के कस्बों से मंगाकर बच्चों को दे दिया गया। एक बच्चे को दो ड्रेस देने का नियम है जिसके लिए 400 रुपए दिया जाता है। ड्रेस विक्रेता 140, 150, 160 रुपए की ड्रेस रखते हैं। कुछ हिस्सा कमीशन में चला जाता है।



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