पांच साल का अनुभव काफी अपर आयुक्त परिवहन गंगाफल बताते हैं कि स्कूली बसों से लेकर बच्चों को स्कूल ले जाने वाले आटो-टेंपो तक को कार्रवाई के दायरे में लाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नए सत्र में वाहनों को लेकर सतर्कता बरतने के निर्देश प्रदेश के सभी अधिकारियों को दिए गए हैं। गंगाफल के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार पांच साल पुराने ड्राइविंग लाइसेंस वाले चालकों को ही स्कूल बस चलाने का अधिकार है, इसलिए यह बिंदु भी जांच और मासिक समीक्षा में शामिल किया जा रहा है कि ड्राइवर के पास कम से कम पांच साल का अनुभव जरूर हो।
घरों में बच्चों की एक नई खेप इन दिनों स्कूल जाने के लिए तैयार हो रही है। यह नौनिहाल और पिछली कक्षा पास कर चुके बाकी सभी बच्चे अगले महीने से नए सत्र में दाखिला लेकर फिर स्कूल जाने लगेंगे, लेकिन ये स्कूल जाएंगे कैसे.? खटारा स्कूल बसों से या अनफिट प्राइवेट वैन से, मानक के विपरीत चल रहे आटो-टेंपो से या हलके थपेड़े से पलट जाने वाले ई-रिक्शा से.? परिवहन विभाग का दावा है कि वह लगातार इस पर काम कर रहा है, लेकिन स्कूली वाहनों की दशा से लेकर वाहन चालकों की मनोदशा तक पर इसका कहीं प्रभावी असर नहीं है।
पिछले साल 25 जुलाई को भदोही में रेलवे क्रासिंग पर स्कूली वाहन की ट्रेन से टक्कर में आठ बच्चों की मौत ने आम नागरिकों के साथ परिवहन विभाग को भी झकझोरा था। तब दुर्घटना के लिए इयरफोन लगा कर गाना सुनते हुए वाहन चला रहे ड्राइवर को जिम्मेदार माना गया था। इसके बाद परिवहन विभाग में कागजों पर तो कुछ कार्यवाही हुई, लेकिन दिन बीतने के साथ ही मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसका नतीजा एटा में इस साल 19 जनवरी को हुई स्कूल बस व ट्रक की भीषण दुर्घटना के तौर पर सामने आया। इसमें 13 बच्चों की मौत हो गई।
यहां भी पता चला कि स्कूल बस तो महज एक महीना पुरानी थी, लेकिन ड्राइवर नया था। इस दुर्घटना के बाद हालांकि परिवहन विभाग ने प्रदेश भर की स्कूली बसों की फिटनेस जांचने का दावा किया था, लेकिन कस्बों और गांवों के साथ नगरों में भी बच्चों को ले जाने वाले स्कूली वाहन इस जांच के दायरे में शामिल ही नहीं हो पाए।
नहीं लगीं ओरियंटेशन क्लासेस दुर्घटनाओं के बाद परिवहन आयुक्त के.रविंद्र नायक ने माना था कि वाहनों की फिटनेस से ज्यादा स्कूली वाहनों के चालकों का स्किल टेस्ट जरूरी है। इसके लिए उन्होंने प्रदेश के हर जिले में ड्राइवरों की ओरिएंटेशन क्लास आयोजित करने के निर्देश दिए, लेकिन कानपुर व एक-दो अन्य जिलों को छोड़ कर ऐसी क्लासेस कहीं नहीं लग सकीं।
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