सीतापुर में प्राइमरी स्कूलों के विलय पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश, अंतरिम आदेश का राज्य सरकार की पेयरिंग नीति से संबंध नहीं
विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए पारित किया आदेश, अगली सुनवाई 21 अगस्त को
25 जुलाई 2025
लखनऊ : इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सीतापुर जिले के प्राइमरी स्कूलों के विलय के संबंध में राज्य सरकार को अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश किये गए कुछ दस्तावेजों में घोर विरोधाभास पाने के कारण यह आदेश पारित किया है। कोर्ट ने अपीलकर्ताओं को कहा है कि वे इन दस्तावेजों के खिलाफ अपना जवाब अगली सुनवाई तक दाखिल कर सकते हैं। स्पष्ट किया है कि इस अंतरिम आदेश का राज्य सरकार की पेयरिंग पालिसी या इसके क्रियान्वयन से कोई लेना देना नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी।
यह आदेश चीफ जस्टिस अरुण भंसाली व जस्टिस जसप्रीत सिंह की पीठ ने मास्टर नितीश कुमार व धर्म वीर की ओर से अलग अलग दाखिल दो विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए पारित किया। ये विशेष अपीलें एकल पीठ के गत सात जुलाई के उस फैसले के खिलाफ दाखिल की गईं हैं जिसमें एकल पीठ ने राज्य सरकार के विलय संबंधी 16 जून के आदेश पर मुहर लगाते हुए रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
अपीलार्थियों का प्रमुख तर्क है कि पेयरिंग करने में राज्य सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत पड़ोस में शिक्षा पाने के हक का उल्लंघन किया है। यह भी तर्क दिया गया है कि राज्य सरकार का आदेश संविधान के अनुच्छेद 21ए का उल्लंघन है। सुनवाई के दौरान बेंच ने पाया कि एकल पीठ ने अपने फैसले में सरकार के कुछ दस्तावेजों पर भी भरोसा किया था। हालांकि वे दस्तावेज रिकार्ड पर नहीं थे क्योंकि सरकार की ओर से कोई जवाबी हलफनामा नहीं पेश किया गया था।
कोर्ट के कहने पर राज्य सरकार की ओर से उन दस्तावेजों को शपथ पत्र के जरिये रिकार्ड पर पेश किया गया। दस्तावेजों को रिकार्ड पर लेने के बाद कोर्ट ने अपीलकर्ताओं को उनका जवाब पेश करने के लिए मौका देते हुए उपरोक्त अंतरिम आदेश पारित किया है।
परिषदीय स्कूलों के विलय मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को झटका, हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का दिया आदेश
24 जुलाई 2025
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा 24 जुलाई 2025 को दिए गए निर्णय (विशेष अपील संख्या 222 व 223/2025) के आधार पर उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद में स्कूलों के मर्जर/पेयरिंग पर ‘यथास्थिति बनाए रखने’ का जो आदेश जारी किया गया है, उसका विवेचन निम्न प्रमुख बिंदुओं के आधार पर किया जा सकता है:
1. याचिकाकर्ताओं का आधार – RTE और अनुच्छेद 21A का उल्लंघन
याचिकाएं इस आधार पर दाखिल की गई थीं कि स्कूलों का मर्जर/पेयरिंग, बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है, जो मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE Act 2009) और संविधान के अनुच्छेद 21-A के अंतर्गत सुरक्षित हैं। याचियों का तर्क था कि पड़ोस में स्कूल की जो व्यवस्था RTE अधिनियम में की गई है, पेयरिंग से उसका स्पष्ट उल्लंघन हो रहा है।
2. सरकारी पक्ष की कमजोरी – एकल पीठ में उत्तर न दाखिल करना
अदालत ने नोट किया कि एकल पीठ में सरकार द्वारा कोई काउंटर एफिडेविट दाखिल नहीं किया गया था, बल्कि केवल मौखिक रूप से कुछ दस्तावेज और बातें रखी गईं। यह दर्शाता है कि सरकार की ओर से न्यायालय के समक्ष समुचित और पारदर्शी जवाब नहीं दिया गया।
3. मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी – गम्भीर विसंगतियों का ज़िक्र
मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकारी दस्तावेजों में गंभीर विसंगतियाँ पाई गईं, जिन्हें बाद में सफाई देने हेतु अतिरिक्त हलफ़नामे के माध्यम से सरकार ने स्पष्ट करने का प्रयास किया। अदालत ने इन्हीं विसंगतियों को गंभीरता से लेते हुए सीतापुर जिले में “यथास्थिति बनाए रखने” का आदेश पारित किया।
4. अंतरिम आदेश का सीमित दायरा – केवल सीतापुर पर लागू
यह आदेश अभी सिर्फ सीतापुर जिले तक सीमित है, और नीति के गुण-दोष या पूरे प्रदेश के स्कूल मर्जर पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है। परंतु यह आदेश इस बात का संकेत अवश्य देता है कि यदि अन्य जनपदों में भी विसंगतियाँ उजागर होती हैं, तो ऐसी ही राहत संभव है।
5. नीतिगत आधार पर फैसला नहीं – पर संकेत महत्वपूर्ण
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश नीति की वैधता पर अंतिम टिप्पणी नहीं है, बल्कि यह प्रक्रियात्मक विसंगतियों और दस्तावेजी अस्पष्टता के आधार पर दिया गया है। यानी, भले ही नीति का मूल्यांकन नहीं हुआ हो, पर कार्यप्रणाली में गम्भीर सवाल हैं।
6. आगे की सुनवाई और संभावनाएँ
अदालत ने अपीलकर्ताओं को सरकारी हलफ़नामे पर उत्तर देने का अवसर दिया है और अगली सुनवाई की तिथि 21 अगस्त 2025 तय की है। यह आगामी सुनवाई नीति के गहराई से परीक्षण का द्वार खोल सकती है।
निष्कर्ष:
इस आदेश को नीति पर एक संवेदनशील और तर्कसंगत हस्तक्षेप के रूप में देखा जाना चाहिए। भले ही यह अंतिम फैसला नहीं है, पर यह उन हजारों गांवों और लाखों गरीब बच्चों के लिए आशा की किरण है, जिनकी आवाज़ अक्सर ‘तथ्यात्मक आंकड़ों’ और ‘नीतिगत जुमलों’ के बीच दबा दी जाती है। यह फैसला एक संकेत है कि यदि ग्रामवासियों, शिक्षकों और बच्चों की असल परिस्थितियों को कानूनी और संवैधानिक ढांचे में उठाया जाए, तो न्याय की संभावना हमेशा बनी रहती है।
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24 जुलाई 2025 : 3:30PM
यूपी में स्कूलों के विलय मामले में हाईकोर्ट लखनऊ बेंच से यूपी सरकार को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने सीतापुर में स्कूलों के विलय पर यथा स्थिति बनाए रखने का दिया आदेश है। बुधवार को को लखनऊ बेंच हाई कोर्ट में सरकार की ओर से वकील ने अपना पक्ष रखा था। बुधवार को सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को भी इस मामले में सुनवाई की। दोनों पक्षों की ओर से दलीलें पेश की गईं। कोर्ट को बताया गया कि 50 से कम बच्चों वाले स्कूलों के विलय का आदेश दिया है। साथ ही जिन स्कूलों में 50 से अधिक बच्चे थे उनको भी विलय की सूची में शामिल कर दिया गया है। हाई कोर्ट ने सरकार के फैसले को निरस्त कर दिया।
बतादें कि बेसिक शिक्षा विभाग के तहत संचालित स्कूलों के विलय मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में बुधवार को भी बहस हुई थी। हालांकि समय की कमी के चलते बुधवार को भी बहस पूरी न हो पाने पर मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ मामले की गुरुवार को भी सुनवायी करेगी। उक्त अपीलों में बच्चों की ओर से उनके अभिभावकों ने विशेष अपीलें दाखिल करते हुए, एकल पीठ के 7 जुलाई के निर्णय को चुनौती दी है। उल्लेखनीय है कि 7 जुलाई को एकल पीठ ने स्कूलों का विलय करने के विरुद्ध दाखिल याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
बुधवार को बहस के दौरान सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता ने दलील दी थी कि स्कूलों का विलय पूरी कर से सम्बंधित प्रावधानों के तहत किया गया। यह भी बताया गया कि खाली हुए स्कूल भवनों का उपयोग बल वाटिका स्कूल के रूप में व आंगनबाड़ी कार्य के लिए किया जाएगा। सरकार की ओर से कुछ अन्य तथ्यों को भी रखने के लिए मंशा जाहिर की गई जिसके लिए न्यायालय ने मामले में गुरुवार को भी सुनवाई जारी रखने का निर्देश दिया।
परिषदीय विद्यालयों के विलय से परेशान बच्चों की अपील पर आज भी सुनवाई करेगा हाईकोर्ट
24 जुलाई 2025
लखनऊ। प्राथमिक स्कूलों के विलय मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में मुख्य न्यायमूर्ति की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में विशेष अपीलों पर सुनवाई बुधवार को भी जारी रही। मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ के समक्ष विशेष अपीलों पर राज्य सरकार व बेसिक शिक्षा विभाग के अधिवक्ताओं की बहस चली। याचियों के अधिवक्ता बहस कर चुके हैं। दोनों पक्षों के वकीलों ने दलीलों के समर्थन में नजीरें भी पेश कीं। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई को नियत की है।
पहली विशेष अपील 5 बच्चों ने और दूसरी 17 बच्चों ने अपने अभिभावकों के जरिये दाखिल की है। इनमें स्कूलों के विलय के मुद्दे पर एकल पीठ द्वारा बीती 7 जुलाई को याचिका खारिज करने के फैसले को चुनौती दी गई है। याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ एलपी मिश्र व अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने दलीलें दीं। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेसिया, मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह के साथ बहस की।
राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने दलील दी कि विलय की कार्यवाही संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल के लिए बच्चों के हित में की जा रही है। सरकार ने ऐसे 18 प्राथमिक स्कूलों का हवाला दिया जिनमें एक भी विद्यार्थी नहीं है। कहा, ऐसे स्कूलों का पास के स्कूलों में विलय करके शिक्षकों और अन्य सुविधाओं का बेहतर उपयोग किया जाएगा। सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिहाज से ऐसे स्कूलों के विलय का निर्णय लिया है।
स्कूलों के विलय के मामले में सुनवाई आज भी रहेगी जारी
23 जुलाई 2025
लखनऊ। प्राथमिक स्कूलों के विलय मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में मुख्य न्यायमूर्ति की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में विशेष अपीलों पर सुनवाई जारी है। मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार को विशेष अपीलों पर याचियों के अधिवक्ताओं ने बहस की।
इसके जवाब में सरकारी अधिवक्ताओं ने बहस की। दोनों पक्षों ने दलीलों के समर्थन में नजीरें भी पेश की। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई को नियत की है। बता दें कि 7 जुलाई को स्कूलों के विलय मामले में एकल पीठ ने प्राथमिक स्कूलों के विलय आदेश को चुनौती देने वाली दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने यह फैसला सीतापुर के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले 51 बच्चों समेत एक अन्य याचिका पर दिया था।
दाखिल एक जनहित याचिका को भी खंडपीठ ने बीती 10 जुलाई को खारिज कर दिया था।
22 जुलाई 2025
लखनऊ। प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों के विलय मामले में एकल पीठ के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में दो न्यायाधीशों की खंडपीठ में विशेष अपीलें दाखिल कर चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ के समक्ष 22 जुलाई को इन अपीलों पर सुनवाई होंगी।
अपीलकर्ताओं के अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने बताया कि पहली विशेष अपील 5 बच्चों ने और दूसरी 17 बच्चों ने अपने अभिभावकों के जरिये दाखिल की है। इनमें एकल पीठ के स्कूलों के विलय में एकल पीठ द्वारा बीती 7 जुलाई को दिए गए फैसले को रद्द करने का आग्रह किया गया है। इसके बाद मामले में इससे पहले बीती 7 जुलाई को स्कूलों के विलय मामले में राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली थी।
एकल पीठ ने प्राथमिक स्कूलों के विलय आदेश को चुनौती देने वाली दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया था। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने यह फैसला सीतापुर के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले 51 बच्चों समेत एक अन्य याचिका पर दिया था।
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