इलाहाबाद : प्रदेश भर के माध्यमिक विद्यालयों में एकसमान शिक्षा लागू करने की तैयारी है। यह कार्य नए शैक्षिक सत्र यानी जुलाई से शुरू करने पर मंथन चल रहा है लेकिन इतने कम समय में गांवों से लेकर शहर तक के लाखों छात्र-छात्रओं को नए पाठ्यक्रम के अनुसार समय पर पुस्तकें मुहैया करा पाना आसान नहीं है। यूपी बोर्ड ने पाठ्यक्रम बदलाव पर सहमति जता दी है, साथ ही सरकार के अगले निर्देश का इंतजार हो रहा है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड परीक्षार्थियों की संख्या के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा बोर्ड है। साथ ही यहां का पाठ्यक्रम अन्य बोर्ड से बेहतर माना जाता रहा है। हर साल पाठ्यचर्या समिति पाठ्यक्रम में जरूरी बदलाव करती आ रही है। पिछले कुछ वर्षो से सीबीएसई की यूपी बोर्ड में नकल करने की मानों होड़ मची है। वह चाहे शैक्षिक सत्र शुरू करने का समय हो या फिर पाठ्यक्रम में अहम बदलाव। यूपी बोर्ड में सीबीएसई की तर्ज पर बदलाव किया जा चुका है।
अब प्रदेश सरकार ने यूपी बोर्ड का समूचे पाठ्यक्रम को बदलने के संकेत दिये हैं, ताकि सूबे के अधिकांश स्कूलों में एक जैसा पाठ्यक्रम लागू हो जाएगा। ज्ञात हो कि सीबीएसई के स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकें पढ़ाई जा रही हैं, यही किताबें अब यूपी बोर्ड में पढ़वाने की तैयारी है। यह कदम समान शिक्षा की दिशा में खासा अहम होगा।
पिछले साल पड़ी बुनियाद : प्रदेश में एकसमान शिक्षा की बुनियाद पिछले वर्ष ही पड़ी है, जिस पर इस साल बड़ी इमारत बनाने की तैयारी है। असल में 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद से प्रदेश के विद्या भारती के स्कूलों में यूपी बोर्ड की बजाय सीबीएसई बोर्ड की संबद्धता लेने की ओर हाथ बढ़ाया। इसकी वजह सीबीएसई में संस्कृत व संस्कारों की शिक्षा पर जोर दिया जाना रहा है।
मध्य यूपी का रायबरेली समेत पूर्वाचल के कई स्कूलों ने सीबीएसई की मान्यता पाने के लिए आवेदन किया था, उसमें रायबरेली का गोपाल सरस्वती इंटर कालेज अब सीबीएसई से संचालित है, पहले यह यूपी बोर्ड से संबद्ध था। प्रदेश सरकार के कदम से बोर्ड बदलने की प्रक्रिया पर अंकुश लगेगा।
सीबीएसई व यूपी बोर्ड का फासला मिटाने को समान पाठ्यक्रम होगा लागू
परीक्षार्थियों की संख्या के लिहाज से दुनिया में सबसे बड़ा है यूपी बोर्ड
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