शिक्षा विभाग के लोग चला रहे ड्रेस की दुकान1संसू, गुलड़िया : प्राइमरी स्कूलों में ड्रेस वितरण में किस कदर कमीशन का खेल चल रहा है। इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि ब्लॉक रामनगर और मझगवां में कई शिक्षक और एनपीआरसी ड्रेस की दुकान चला रहे हैं। यह लोग अपने परिजनों से स्कूलों में ड्रेस बंटवा रहे हैं। अब तक आधा दर्जन स्कूलों में ड्रेस बांट भी चुके हैं। इस खेल में ब्लॉक स्तर के अधिकारी तक शामिल हैं। पिछले दिनों रामनगर व मझगवां ब्लॉक में हुई शिक्षकों की बैठक में इस बात के साफ संकेत दिए गए थे कि उन्हें किस से ड्रेस लेनी है। इसका असर यह हुआ की अगले ही दिन स्कूलों में ड्रेस पहुंच गई। यह संकेत देने वाले कोई और नहीं बल्कि बीआरसी पर बैठने वाले कुछ एनपीआरसी और शिक्षक थे। सूत्र बताते है कि ब्लॉक के अधिकारी किसी बाहरी से कमीशन लेने की बजाय स्टाफ से ही लेने में भलाई समझ रहे हैं। यदि कोई बाहरी व्यक्ति ड्रेस लेकर पहुंचता है तो उससे साफ कह दिया जाता है कि उन्हें सख्त निर्देश है कि स्टाफ को ही सपोर्ट करें। किसी अन्य से ड्रेस न लें। हालांकि नियम कहते हैं कि शिक्षक कपड़ा खरीदकर एक-एक बच्चे का नाप कराकर ड्रेस बनवाएं, मगर ऐसा होता नहीं दिख रहा है। इस मामले में मझगवां ब्लॉक के खंड शिक्षा अधिकारी विजय सिंह कुशवाहा ने बताया कि शिक्षक व एनपीआरसी ड्रेस कहां से लेंगे, इसकी पाबंदी नहीं है। दबाव में किसी को ड्रेस नहीं दी जा सकती। यदि कोई शिक्षक या एनपीआरसी इसमें लिप्त हैं तो शिकायत पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।शिक्षा विभाग के लोग चला रहे ड्रेस की दुकान1संसू, गुलड़िया : प्राइमरी स्कूलों में ड्रेस वितरण में किस कदर कमीशन का खेल चल रहा है। इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि ब्लॉक रामनगर और मझगवां में कई शिक्षक और एनपीआरसी ड्रेस की दुकान चला रहे हैं। यह लोग अपने परिजनों से स्कूलों में ड्रेस बंटवा रहे हैं। अब तक आधा दर्जन स्कूलों में ड्रेस बांट भी चुके हैं। इस खेल में ब्लॉक स्तर के अधिकारी तक शामिल हैं। पिछले दिनों रामनगर व मझगवां ब्लॉक में हुई शिक्षकों की बैठक में इस बात के साफ संकेत दिए गए थे कि उन्हें किस से ड्रेस लेनी है। इसका असर यह हुआ की अगले ही दिन स्कूलों में ड्रेस पहुंच गई। यह संकेत देने वाले कोई और नहीं बल्कि बीआरसी पर बैठने वाले कुछ एनपीआरसी और शिक्षक थे। सूत्र बताते है कि ब्लॉक के अधिकारी किसी बाहरी से कमीशन लेने की बजाय स्टाफ से ही लेने में भलाई समझ रहे हैं। यदि कोई बाहरी व्यक्ति ड्रेस लेकर पहुंचता है तो उससे साफ कह दिया जाता है कि उन्हें सख्त निर्देश है कि स्टाफ को ही सपोर्ट करें। किसी अन्य से ड्रेस न लें। हालांकि नियम कहते हैं कि शिक्षक कपड़ा खरीदकर एक-एक बच्चे का नाप कराकर ड्रेस बनवाएं, मगर ऐसा होता नहीं दिख रहा है। इस मामले में मझगवां ब्लॉक के खंड शिक्षा अधिकारी विजय सिंह कुशवाहा ने बताया कि शिक्षक व एनपीआरसी ड्रेस कहां से लेंगे, इसकी पाबंदी नहीं है। दबाव में किसी को ड्रेस नहीं दी जा सकती। यदि कोई शिक्षक या एनपीआरसी इसमें लिप्त हैं तो शिकायत पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
जागरण संवाददाता, बरेली : बेसिक स्कूलों में यूनिफार्म का रंग व गुणवत्ता बदल गई लेकिन इसका पालन यहां स्कूलों में नहीं हो रहा है। अब इसकी जांच करने को प्रांतीय टीम लखनऊ से आएगी। हालांकि पहले जिला टीम जांच करेगी। 12800 से अधिक बेसिक स्कूलों में तीन लाख बच्चे शिक्षा पा रहे हैं। इन बच्चों की यूनिफार्म के लिए लगभग दो करोड़ रुपये शासन ने भेजे हैं। प्रति बच्चे पर 400 रुपये खर्च होने हैं। यूनिफार्म टेलर से सिलवाकर देने के आदेश हैं, लेकिन कुछ स्कूलों ने ठेकेदारों से संपर्क साधकर रेडीमेड ड्रेस बच्चों को पहना दी जो बच्चों पर फिट नहीं बैठ रही। यह मामला शासन तक पहुंचा तो अब जांच के लिए प्रांतीय टीम गठित की गई। हालांकि अभी बरेली में दस फीसद स्कूलों में ही ड्रेस बांटी गई है। यदि स्कूल प्रबंध कमेटी नहीं चेती तो कार्रवाई तय है।जागरण संवाददाता, बरेली : बेसिक स्कूलों में यूनिफार्म का रंग व गुणवत्ता बदल गई लेकिन इसका पालन यहां स्कूलों में नहीं हो रहा है। अब इसकी जांच करने को प्रांतीय टीम लखनऊ से आएगी। हालांकि पहले जिला टीम जांच करेगी। 12800 से अधिक बेसिक स्कूलों में तीन लाख बच्चे शिक्षा पा रहे हैं। इन बच्चों की यूनिफार्म के लिए लगभग दो करोड़ रुपये शासन ने भेजे हैं। प्रति बच्चे पर 400 रुपये खर्च होने हैं। यूनिफार्म टेलर से सिलवाकर देने के आदेश हैं, लेकिन कुछ स्कूलों ने ठेकेदारों से संपर्क साधकर रेडीमेड ड्रेस बच्चों को पहना दी जो बच्चों पर फिट नहीं बैठ रही। यह मामला शासन तक पहुंचा तो अब जांच के लिए प्रांतीय टीम गठित की गई। हालांकि अभी बरेली में दस फीसद स्कूलों में ही ड्रेस बांटी गई है। यदि स्कूल प्रबंध कमेटी नहीं चेती तो कार्रवाई तय है।
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