ज्योत्यवेंद्र दुबे ’मैनपुरी बीएड की फर्जी डिग्री बांटने का तानाबाना कॉलेजों ने पहले सत्र से ही बुन लिया था। प्रबंधन कोटा पूरा होने के बाद भी फर्जी तरीके से इसी कोटे के तहत प्रवेश लिए गए, दिखावे को कक्षाएं लगाईं गईं और विश्वविद्यालय कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी डिग्री बांट दी गईं। हेराफेरी की शिक्षा देकर बीएड डिग्री के नाम पर कॉलेजों ने करोड़ों की कमाई कर ली।
डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा की फर्जी बीएड डिग्री के बूते परिषदीय विद्यालयों में नियुक्त हुए शिक्षकों की जांच चल रही है। मैनपुरी जिले में अब तक 80 शिक्षकों की पहचान हो चुकी है। इसी जांच में बेनकाब हुए दो शिक्षकों से ‘जागरण’ ने पिछले दिनों फोन पर संपर्क किया था। तब तो इन्होंने अपना मोबाइल फोन ऑफ कर लिया था, मगर बुधवार को इनमें से एक शिक्षक ने ‘जागरण’ से खुलकर बात की।
परिषदीय शिक्षक ने बताया कि उसने मैनपुरी-एटा सीमा स्थित एक कॉलेज में वर्ष 2004-05 में बीएड के लिए प्रवेश लिया था। उनका दाखिला प्रबंधन कोटे में हुआ था। इसकी एवज में उनसे एक लाख रुपये लिए गए थे। शिक्षक ने बताया कि उन्हें नहीं पता था कि प्रबंधन कोटा पहले ही फुल हो चुका था। उन जैसे तमाम अभ्यर्थियों के साथ इसी तरह की धोखाधड़ी कर मोटी रकम वसूली गई थी। कॉलेज में बाकायदा कक्षाएं लगती थीं, परीक्षा भी हुई थी। मगर, ये तो अब मालूम पड़ा कि सब कुछ हवा-हवाई था। विश्वविद्यालय से जारी मार्कशीट भी फर्जी निकली। इन शिक्षक का कहना था कि उन जैसे तमाम लोग इसी कॉलेज की अंधेरगर्दी में फंस गए हैं। एक-एक अभ्यर्थी से डेढ़ से लेकर दो लाख रुपये तक वसूले गए हैं। दूसरे शिक्षक ने बताया कि उसने कुरावली रोड स्थित एक कॉलेज से प्रबंधन कोटे से बीएड की है। उसके साथ भी इसी तरह से धोखा किया गया है। कुरावली रोड स्थित कॉलेज से बीएड करने वाले एक शिक्षक बीएसए कार्यालय में संबद्ध हैं। मगर इनकी अंकतालिका सही है। बताया गया कि काउंसिलिंग के जरिए इन शिक्षक का बीएड में प्रवेश हुआ था। बीएसए कार्यालय में फर्जी डिग्री वाले शिक्षकों की जांच चल रही है। अब तक 80 शिक्षकों की पहचान हो चुकी है। कार्यालय के सूत्र बताते हैं कि पहचान हो चुके शिक्षकों में से ज्यादातर की डिग्री इन्हीं दोनों कॉलेजों की हैं। सभी मैनेजमेंट कोटे से हैं।
ये किया विवि ने: शिक्षकों की बातों पर भरोसा करें तो कॉलेज से भेजी गई सूची के आधार पर ही विवि ने बीएड की डिग्री जारी कर दीं। इसके लिए कॉलेजों और विवि के संबंधित कर्मचारियों का एक रैकेट बन गया था। एसआइटी जांच में ये पकड़ में आया कि बीएड की निर्धारित सीटों से कहीं ज्यादा डिग्री जारी कर दी गईं। इस रैकेट में बीएसए कार्यालय के संबंधित लिपिक भी शामिल थे। इन्होंने ही नवनियुक्त शिक्षकों के प्रमाणपत्रों को सत्यापित करा लिया।मैनपुरी: बीएड की फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की पहचान का काम गुरुवार को भी जारी रहा। जांच के बाद फर्जी शिक्षकों की संख्या 85 हो गई। जांच बढ़ने के साथ ही शिक्षकों की बेचैनी भी बढ़ती जा रही है। अब तक जिन शिक्षकों की पहचान हुई, इन सभी शिक्षकों के अभिलेख और सेवा पुस्तिका बीएसए द्वारा मांगी गईं थीं। लेकिन अब तक कई शिक्षकों के अभिलेख उपलब्ध न होने से कार्रवाई अधर में लटकी हुई है। बीएसए विजय प्रताप सिंह ने बताया कि फर्जी शिक्षकों की पहचान का कार्य अभी चल रहा है।
डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा की फर्जी बीएड डिग्री के बूते परिषदीय विद्यालयों में नियुक्त हुए शिक्षकों की जांच चल रही है। मैनपुरी जिले में अब तक 80 शिक्षकों की पहचान हो चुकी है। इसी जांच में बेनकाब हुए दो शिक्षकों से ‘जागरण’ ने पिछले दिनों फोन पर संपर्क किया था। तब तो इन्होंने अपना मोबाइल फोन ऑफ कर लिया था, मगर बुधवार को इनमें से एक शिक्षक ने ‘जागरण’ से खुलकर बात की।
परिषदीय शिक्षक ने बताया कि उसने मैनपुरी-एटा सीमा स्थित एक कॉलेज में वर्ष 2004-05 में बीएड के लिए प्रवेश लिया था। उनका दाखिला प्रबंधन कोटे में हुआ था। इसकी एवज में उनसे एक लाख रुपये लिए गए थे। शिक्षक ने बताया कि उन्हें नहीं पता था कि प्रबंधन कोटा पहले ही फुल हो चुका था। उन जैसे तमाम अभ्यर्थियों के साथ इसी तरह की धोखाधड़ी कर मोटी रकम वसूली गई थी। कॉलेज में बाकायदा कक्षाएं लगती थीं, परीक्षा भी हुई थी। मगर, ये तो अब मालूम पड़ा कि सब कुछ हवा-हवाई था। विश्वविद्यालय से जारी मार्कशीट भी फर्जी निकली। इन शिक्षक का कहना था कि उन जैसे तमाम लोग इसी कॉलेज की अंधेरगर्दी में फंस गए हैं। एक-एक अभ्यर्थी से डेढ़ से लेकर दो लाख रुपये तक वसूले गए हैं। दूसरे शिक्षक ने बताया कि उसने कुरावली रोड स्थित एक कॉलेज से प्रबंधन कोटे से बीएड की है। उसके साथ भी इसी तरह से धोखा किया गया है। कुरावली रोड स्थित कॉलेज से बीएड करने वाले एक शिक्षक बीएसए कार्यालय में संबद्ध हैं। मगर इनकी अंकतालिका सही है। बताया गया कि काउंसिलिंग के जरिए इन शिक्षक का बीएड में प्रवेश हुआ था। बीएसए कार्यालय में फर्जी डिग्री वाले शिक्षकों की जांच चल रही है। अब तक 80 शिक्षकों की पहचान हो चुकी है। कार्यालय के सूत्र बताते हैं कि पहचान हो चुके शिक्षकों में से ज्यादातर की डिग्री इन्हीं दोनों कॉलेजों की हैं। सभी मैनेजमेंट कोटे से हैं।
ये किया विवि ने: शिक्षकों की बातों पर भरोसा करें तो कॉलेज से भेजी गई सूची के आधार पर ही विवि ने बीएड की डिग्री जारी कर दीं। इसके लिए कॉलेजों और विवि के संबंधित कर्मचारियों का एक रैकेट बन गया था। एसआइटी जांच में ये पकड़ में आया कि बीएड की निर्धारित सीटों से कहीं ज्यादा डिग्री जारी कर दी गईं। इस रैकेट में बीएसए कार्यालय के संबंधित लिपिक भी शामिल थे। इन्होंने ही नवनियुक्त शिक्षकों के प्रमाणपत्रों को सत्यापित करा लिया।मैनपुरी: बीएड की फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की पहचान का काम गुरुवार को भी जारी रहा। जांच के बाद फर्जी शिक्षकों की संख्या 85 हो गई। जांच बढ़ने के साथ ही शिक्षकों की बेचैनी भी बढ़ती जा रही है। अब तक जिन शिक्षकों की पहचान हुई, इन सभी शिक्षकों के अभिलेख और सेवा पुस्तिका बीएसए द्वारा मांगी गईं थीं। लेकिन अब तक कई शिक्षकों के अभिलेख उपलब्ध न होने से कार्रवाई अधर में लटकी हुई है। बीएसए विजय प्रताप सिंह ने बताया कि फर्जी शिक्षकों की पहचान का कार्य अभी चल रहा है।
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