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Sunday, September 16, 2018

गोरखपुर : दूसरे के नाम पर 22 साल तक करता रहा शिक्षक की नौकरी, मामला संज्ञान में लाए जाने पर हुई मात्र बर्खास्तगी की कार्रवाई, कोर्ट ने बीएसए से मांगा स्पष्टीकरण

 गोरखपुर : यूं तो सरकारी नौकरी पाना आसान नहीं लेकिन जालसाजों पर यह बात लागू नहीं होती। बेसिक शिक्षा विभाग में एक ऐसे मामले का राजफाश हुआ है, जिसमें परिषदीय शिक्षक द्वारा इस्तीफा देने के बाद उसके नाम पर फर्जी तरीके से किसी और को ज्वाइन करा दिया गया। इस शिक्षक ने पदोन्नति का लाभ भी उठाया। 
      आइटीआर फाइल करने के दौरान इस बात की जानकारी असली व्यक्ति को हुई तो मामले का राजफाश हुआ। फिलहाल फर्जी तरीके से नौकरी करने वाले को बर्खास्त तो कर दिया गया है लेकिन फर्जीवाड़ा करने वाला कौन था, इसका पता नहीं चल सका। तिवारीपुर थानाक्षेत्र के घोसीपुरवा में प्राथमिक विद्यालय गौसिया मस्जिद निवासी अब्दुल रशीद पुत्र मोहम्मद जहीरुद्दीन तीन दिसंबर 1994 से 16 जून 1996 तक बेलघाट क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय राईपुर में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत रहे। 20 दिसंबर 1996 से आजमगढ़ जिले के गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय मालटारी में कार्यरत हैं। उन्होंने प्राथमिक विद्यालय राईपुर से इस्तीफा दे दिया था लेकिन किसी अज्ञात व्यक्ति को उनके नाम से सेवारत दिखाकर वेतन का भुगतान किया गया। फर्जी तरीके से नौकरी हासिल करने वाला व्यक्ति पदोन्नति प्राप्त कर ब्रह्मपुर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय बेनी जोत खरहरा में प्रधानाध्यापक बन गया। आइटीआर दाखिल करते हुए अब्दुल रशीद को इस बात की जानकारी हुई कि उनके नाम से कोई और नौकरी कर रहा है। उन्होंने इस बात की शिकायत जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से की तो विभाग ने जांच के बाद करीब छह महीने पहले फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे व्यक्ति को बर्खास्त कर दिया।

कैसे मिल जाती है नौकरी :
इस्तीफा दे चुके शिक्षक के स्थान पर किसी और को नौकरी देना विभाग की बड़ी लापरवाही है। इस तरह के अन्य अपुष्ट मामले भी सामने आ रहे हैं, विभाग उनकी सत्यता की जांच करेगा। विभागीय जानकारों की मानें तो लिएन (नई नौकरी ज्वाइन करने की स्थिति में एक साल का समय होता है, जिसमें व्यक्ति नई नौकरी से असंतुष्ट होने की दशा में दोबारा ज्वाइन कर सकता है) पर नई नौकरी ज्वाइन कर सकते हैं। बाद में कुछ समय तक यदि कतिपय कारण से वापस पुरानी नौकरी में आना चाहते हों तो आ सकते हैं। माना जा रहा है कि इसी नियम के तहत किसी दूसरे व्यक्ति ने विभागीय मिलीभगत से नौकरी शुरू कर दी होगी।

बर्खास्त करने के साथ पूरी मान ली कार्रवाई :
इस मामले में जालसाजी कर नौकरी करने वाले व्यक्ति को बर्खास्त करने के साथ ही विभाग ने कार्रवाई पूरी मान ली। न तो अज्ञात के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई और न ही रिकवरी के लिए लिखापढ़ी हुई। फर्जी नौकरी करने वाला सरकार का लाखों रुपये हड़प करने में कामयाब रहा।

न्यायालय के जरिए हो सकती है एफआइआर :
न्यायालय के जरिए असली अब्दुल रशीद अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं। इस मामले में सच्चाई जानने के लिए न्यायालय ने जिला बेसिक शिक्षा विभाग से स्पष्टीकरण मांगा है।


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