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सुप्रीम कोर्ट में किरकिरी के बाद चयन बोर्ड परीक्षा परिणाम को शासन से लेगा अनुमति, टीजीटी 2009 तीसरी बार मूल्यांकन का परिणाम देने का मामला
इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र की कार्यशैली की शीर्ष कोर्ट में किरकिरी होने के बाद भी 2009 का परीक्षा परिणाम घोषित करने में बोर्ड का गठन बाधा बना है। बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव जल्द ही इस मामले को शासन से अवगत कराएंगी। प्रकरण सुप्रीम कोर्ट से जुड़ा है इसलिए अनुमति मिलने की पूरी उम्मीद है उसके बाद परिणाम जारी होगा।
प्रदेश के अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य, प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक यानी टीजीटी का चयन माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र करता आ रहा है। टीजीटी 2009 के परीक्षा परिणाम पर विवाद होने पर तीन बार उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन हो चुका है। इसके आठ साल बीतने के बाद भी प्रकरण फाइनल न होने पर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने तीसरे मूल्यांकन का परिणाम दो सप्ताह में घोषित करने को कहा है साथ ही पहले से नौकरी कर रहे व तीसरे परिणाम में असफल होने वाले अभ्यर्थियों को न हटाने का भी निर्देश दिया है। इस आदेश से चयन बोर्ड में उहापोह है।
असल में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद सरकार ने माध्यमिक व उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का विलय करने का निर्देश दिया था। इसी को ध्यान में रखकर चयन बोर्ड अध्यक्ष हीरालाल गुप्त व सभी सदस्यों ने एक-एक करके त्यागपत्र दे दिया। उनका इस्तीफा शासन ने स्वीकार भी कर लिया है। अब चयन बोर्ड में नए अध्यक्ष व सदस्यों के लिए आवेदन मांगे गए हैं। हालांकि आवेदन की प्रक्रिया बीते 11 दिसंबर को पूरी हो चुकी है। इसके बाद ही बोर्ड का गठन होगा।
शीर्ष कोर्ट का आदेश मानने में बोर्ड का गठन न होना सबसे बड़ी बाधा है। लेकिन, प्रकरण शीर्ष कोर्ट से जुड़ा होने के कारण चयन बोर्ड सचिव जल्द ही शासन को इस संबंध में पत्र लिखने जा रही हैं। उनका कहना है कि शासन की अनुमति मिलने पर ही रिजल्ट घोषित होगा। संभव है कि परिणाम पहले घोषित हो और बाद में चयन बोर्ड गठित होने पर उसमें यह प्रस्ताव पास करा लिया जाएगा। यह सब प्रक्रिया अब शासन के निर्देश पर ही लंबित है। साथ ही तीसरे परिणाम को घोषित करने की मांग कर रहे अभ्यर्थी अब गदगद हैं।