देश में पहली बार शिक्षकों की संख्या 1 करोड़ के पार लेकिन एक लाख स्कूल में केवल एक शिक्षक, पढ़ रहे 33.76 लाख छात्र
नई दिल्ली। देश में एक लाख से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं, जहां पूरा स्कूल सिर्फ एक ही शिक्षक चला रहा है। केंद्र सरकार के ताजा आंकड़ों के अनुसार, इन स्कूलों में करीब 33.76 लाख छात्र नामांकित हैं। यानी हर स्कूल में औसतन 34 बच्चे एक ही शिक्षक से पढ़ रहे हैं। दिल्ली में ऐसे केवल नौ स्कूल हैं, जबकि उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है।
शिक्षा मंत्रालय की 2024-25 की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में कुल 1,04,125 एक शिक्षक वाले स्कूल हैं। इनमें सबसे ज्यादा स्कूल आंध्र प्रदेश में हैं, जबकि इन स्कूलों में सबसे अधिक छात्र उत्तर प्रदेश में पढ़ते हैं। आंध्र प्रदेश में 12,912, उत्तर प्रदेश में 9,508, झारखंड में 9,172, महाराष्ट्र में 8,152, कर्नाटक में 7,349, और मध्य प्रदेश व लक्षद्वीप में 7,217-7,217 एक शिक्षक वाले स्कूल हैं। पश्चिम बंगाल में 6,482, राजस्थान में 6,117, छत्तीसगढ़ में 5,973 और तेलंगाना में 5,001 स्कूल ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक शिक्षक हैं। केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी, लद्दाख, दादरा और नगर हवेली, दमन-दीव और चंडीगढ़ में कोई भी एक शिक्षक वाला स्कूल नहीं है। पिछले दो वर्षों में इन स्कूलों की संख्या में लगभग छह फीसदी की कमी आई है। वर्ष 2022-23 में देश में 1,18,190 ऐसे स्कूल थे, जो 2023-24 में घटकर 1,10,971 रह गए। एजेंसी
स्कूलों के विलय का चल रहा अभियान
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, सरकार अब स्कूलों को जोड़ने और संसाधनों का सही इस्तेमाल करने के लिए अभियान चला रही है। इसके तहत जिन स्कूलों में कोई छात्र नहीं है, वहां के शिक्षकों को एक-शिक्षक वाले स्कूलों में भेजा जा रहा है। आरटीई कानून 2009 के मुताबिक, प्राथमिक स्कूलों में 30 छात्र पर एक शिक्षक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में 35 छात्र पर एक शिक्षक होना चाहिए। लेकिन कई जगह अभी भी यह नियम पूरा नहीं हो रहा है।
दाखिले के लिहाज से यूपी अव्वल
छात्र दाखिले के लिहाज से उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, जहां 6.24 लाख छात्र ऐसे स्कूलों में पढ़ रहे हैं। झारखंड में 4.36 लाख, पश्चिम बंगाल में 2.35 लाख, मध्य प्रदेश में 2.29 लाख, कर्नाटक में 2.23 लाख, आंध्र प्रदेश में 1.97 लाख और राजस्थान में 1.72 लाख बच्चे इन स्कूलों में पढ़ रहे हैं।
UDISE रिपोर्ट के अनुसार ड्रॉपआउट में हुई कमी, स्कूल में रुकने की दर भी सुधरी
नई दिल्ली। शिक्षा मंत्रालय की यूडीआईएसई 2024-25 रिपोर्ट के अनुसार, सभी स्तरों पर रिटेंशन दर यानि बच्चों के स्कूल में रुकने की दर में सुधार हुआ है।
फाउंडेशन स्तर पर रिटेंशन दर बढ़कर 98.9%, प्रारंभिक स्तर पर 92.4%, मध्य स्तर पर 82.8% और माध्यमिक स्तर पर 47.2% हो गई है। साथ ही, स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की दर में कमी आई है। प्रारंभिक स्तर पर 2.3%, मध्य स्तर पर 3.5% और माध्यमिक स्तर पर 8.2% ड्रॉपआउट दर घटी है। विभिन्न चरणों के बीच ट्रांजिशन दर भी मजबूत हुई है, जो विद्यार्थियों के लिए सुचारू प्रगति का संकेत है।
शिक्षकों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़कर 54.2% हो गया है। इसके अलावा स्कूलों में लड़कियों का नामांकन बढ़कर 48.3% हो गया है। 54.9% स्कूलों में रैंप और रेलिंग जैसी सुविधाएं लगाई गई हैं। यह दिखाता है कि सरकार समावेशी शिक्षा पर ध्यान दे रही है, ताकि विकलांग छात्रों को भी स्कूल आने में कोई परेशानी न हो। यूडीआईएसई रिपोर्ट के अनुसार, देश में शिक्षकों की कुल संख्या पहली बार एक करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है। वर्ष 2022-23 में शिक्षकों की संख्या 94,83,294 थी, 2024-25 में यह बढ़कर 1,01,22,420 हो गई है।
देश में पहली बार शिक्षकों की संख्या 1 करोड़ के पार लेकिन 1 लाख स्कूलों में पढ़ाने के लिए केवल एक शिक्षक ही उपलब्ध, यूडाइस के शैक्षणिक सत्र 2024-25 की रिपोर्ट से हुआ खुलासा
यूडाइस रिपोर्ट 2024-25 पिछले सत्र में 14.71 लाख स्कूलों में कुल 24.69 करोड़ स्टूडेंट्स पढ़े, फिर भी 7993 स्कूलों में एक भी स्टूडेंट नहीं था
एक साल में करीब डेढ़ लाख शिक्षक बढ़ गए; 10 साल में महिला शिक्षक 8% बढ़ गईं, जबकि पुरुष महज 1% ही बढ़े
नई दिल्ली | देश में 1,04,125 स्कूल ऐसे हैं जिनमें केवल एक ही शिक्षक है जबकि 7993 स्कूलों में एक भी नामांकन नहीं है यानी वहां कोई नहीं पढ़ता। यह आंकड़े यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडाइस) के शैक्षणिक सत्र 2024-25 की रिपोर्ट में सामने आए हैं। हालांकि पिछले सत्र की तुलना में इन दोनों आंकड़ों में कमी आई है। यूडाइस केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का डेटा बेस है, जिसका उद्देश्य सभी स्कूलों से शिक्षा से जुड़ी जानकारी एकत्रित करना है।
ताजा रिपोर्ट बताती है कि देश में पहली बार किसी शैक्षणिक सत्र में शिक्षकों की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा हुई है। 2023-24 के सत्र में कुल शिक्षक 98.83 लाख थे, जो अब 1,01,22,420 हो गए हैं। इनमें से 51% (51.47 लाख) शिक्षक सरकारी स्कूलों में हैं। एक दशक में महिला शिक्षकों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। 2014-15 में पुरुष शिक्षक 45.46 लाख तो महिला 40.16 लाख थीं, जो 2024-25 में बढ़कर क्रमशः 46.41 लाख और 54.81 लाख हो गई हैं। बीते दशक में महिला शिक्षकों की संख्या करीब 8% बढ़ने की बड़ी वजह इनकी भर्तियां हैं। 2014 से अब तक 51.36 लाख भर्तियों में से 61% महिला शिक्षकों की हुई हैं।
पीपुल-टीचर रेश्योः अब 21 छात्रों पर एक शिक्षक, पहले 31 पर थे
मिडिल स्तर पर 10 साल पहले एक शिक्षक के पास 26 छात्र थे, जो घटकर 17 रह गए हैं। सेकंडरी स्तर पर यह 31 से घटकर 21 रह गया है। यानी छात्र व शिक्षकों के बीच संवाद बेहतर हो रहा है। शिक्षकों के पास जितने कम छात्र होंगे, वे उन्हें ज्यादा समय दे पाएंगे।
ड्रॉपआउट रेट घटा है। सेकंडरी पर 2023-24 में यह 10.9% था, जो 2024-25 में 8.2% बचा है। मिडिल स्तर पर यह 5.2% की तुलना में 3.5% और प्राथमिक पर 3.7% से घटकर 2.3% रह गई है।
प्राथमिक पर रिटेंशन रेट 2023-24 में 85.4% से बढ़कर अब 92.4% हो गया है। मिडिल पर 78% से बढ़कर 82.8% तो सेकंडरी पर यह 45.6% से बढ़कर 47.2% हो गया है। सेकंडरी स्तर पर नामांकन दर बढ़कर 68.5% हो गई है।
असमानताः झारखंड में एक टीचर के पास औसत 47 बच्चे, सिक्किम में 7
सबसे ज्यादा प्राइमरी स्कूल बंगाल में (80%) और सबसे कम चंडीगढ़ में (3%) हैं। चंडीगढ़ में प्रति स्कूल 1222 छात्र हैं। लद्दाख में यह 59 हैं।
हायर सेकंडरी स्तर पर झारखंड के स्कूलों में एक शिक्षकों को औसतन 47 को पढ़ाना होता है। सिक्किम में यह आंकड़ा औसतन 7 ही है।
ग्रॉस एनरोलमेंट रेश्यो (जीईआर) में बिहार अपर प्राइमरी (69%), सेकंडरी (51%) व हायर सेकंडरी (38%) सभी स्तरों पर सबसे नीचे है। यह रेश्यो बताता है कि वहां किसी स्तर पर उसके योग्य उम्र वाले कितने बच्चे स्कूल में पढ़ रहे हैं।
चंडीगढ़ में यह रेश्यो सबसे अधिक है जहां अपर प्राइमरी का जीईआर 120%, मिडिल का 110% और हायर सेकंडरी का 107% है।
No comments:
Write comments