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Tuesday, August 22, 2119

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    Thursday, November 27, 2025

    TET अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी से RTE और NCTE कानूनों में संशोधन की मांग की

    TET  अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी से RTE और NCTE कानूनों में संशोधन की मांग की


    चेन्नई । सुप्रीम कोर्ट के उस महत्वपूर्ण फैसले के बाद, जिसमें कहा गया है कि सेवा में कार्यरत वे सभी शिक्षक जिन्होंने अब तक शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास नहीं की है, उन्हें सेवा जारी रखने के लिए दो वर्ष के भीतर TET अनिवार्य रूप से पास करना होगा—तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने आग्रह किया है कि RTE अधिनियम, 2009 और NCTE अधिनियम, 1993 में आवश्यक संशोधन किए जाएं ताकि 23 अगस्त 2010 को सेवा में मौजूद शिक्षकों को संरक्षित किया जा सके।


    पूर्वलाभ समाप्त होने से पैदा हुई समस्या
    स्टालिन ने कहा कि NCTE ने शुरू में 23 अगस्त 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को नए योग्यता मानकों—जैसे TET—से छूट दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की नई व्याख्या के बाद यह छूट समाप्त हो गई है। इससे लाखों शिक्षकों पर TET अनिवार्य हो गया है, और नियमों में यह बदलाव उनके सेवा अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

    उन्होंने बताया कि इस अचानक और पूर्वव्यापी नियम-प्रवर्तन से लंबे समय से कार्यरत शिक्षकों के अधिकार प्रभावित होंगे, जो अपने समय के नियमों के अनुसार पात्र और योग्य थे।


    दो वर्ष में TET न देने पर नौकरी जाएगी
    फैसले के अनुसार अब इन शिक्षकों को दो वर्ष में TET पास करना अनिवार्य होगा, अन्यथा नौकरी समाप्त हो सकती है। इससे भारी प्रशासनिक दबाव और व्यक्तिगत कठिनाइयाँ पैदा होंगी।

    स्टालिन ने कहा कि लाखों शिक्षकों को बदलना किसी भी राज्य के लिए व्यावहारिक नहीं है, विशेषकर ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में जहाँ योग्य उम्मीदवारों की उपलब्धता पहले ही सीमित है।


    प्रमोशन और करियर पर बड़ा प्रभाव
    उन्होंने आगाह किया कि नियुक्ति के वर्षों बाद अचानक योग्यता की नई शर्तें लागू करने से शिक्षकों के प्रमोशन के अवसर बाधित होंगे, जो उनकी वैध अपेक्षाओं और सेवा संतुलन के विपरीत है।

    स्टालिन ने प्रधानमंत्री से इस “अत्यंत जरूरी और राष्ट्रीय महत्व” के मुद्दे पर तुरंत हस्तक्षेप की अपील की है, ताकि शिक्षा व्यवस्था में स्थिरता बनी रहे और लाखों शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित रह सके।

    MDM में 11 करोड़ के घोटाले में 45 पर केस दर्ज, स्कूल व मदरसों संग मिलकर DC ने डकारा बजट, स्कूल व मदरसा के आठ प्रधानाध्यापक व चार ग्राम प्रधानों पर भी कार्रवाई

    MDM में 11 करोड़ के घोटाले में 45 पर केस दर्ज, स्कूल व मदरसों संग मिलकर DC ने डकारा बजट, स्कूल व मदरसा के आठ प्रधानाध्यापक व चार ग्राम प्रधानों पर भी कार्रवाई

    45 लोग नामजद, जिसमें डीसी भी, बलरामपुर में छह वर्ष से हो रही थी धांधली


    बलरामपुर : मध्यान्ह भोजन योजना में बड़े पैमाने पर धांधली सामने आई है। बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के एमडीएम सेल से पांच-छह वर्षों के भीतर कनवर्जन कास्ट में कूटरचित दस्तावेजों के सहारे 11 करोड़ रुपये से अधिक का गबन कर लिया गया। इसमें 17 वर्षों से एमडीएम सेल के जिला समन्वयक पद पर जमे फिरोज अहमद खान, तीन मदरसों और पांच परिषदीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापक व चार ग्राम प्रधानों की संलिप्तता उजागर हुई है। 


    गबन की पुष्टि होने पर बीएसए शुभम शुक्ला की तहरीर पर 45 नामजद व अन्य व्यक्तियों के विरुद्ध नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है। नौनिहालों के निवाले पर डाका डालने के खेल में अभी कई और चेहरे सामने आ सकते हैं। इसमें कई सफेदपोश भी हैं। नामजद डीसी समेत कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है।

    बीएसए ने नगर कोतवाली में दी गई तहरीर में कहा कि विभिन्न विद्यालयों द्वारा शिकायतें की जा रही थीं कि एमडीएम सेल के डीसी फिरोज अहमद खान द्वारा पर्याप्त कन्वर्जन कास्ट का भुगतान नहीं किया गया है। शिकायत पर वित्त एवं लेखाधिकारी के साथ एमडीएम कन्वर्जन कास्ट पत्रावली का परीक्षण किया गया। डीसी ने ई-मेल के माध्यम से प्रिंटेड पेमेंट

    एडवाइस (पीपीए) उपलब्ध कराए, तो उसमें गड़बड़ी का संदेह हुआ। जांच में पाया गया कि डीसी ने जो अभिलेख उपलब्ध कराए थे, वे कूटरचित थे। वास्तविक रूप से भेजी धनराशि को कम करके दिखाया गया था, फिरोज अहमद वर्ष 2008 से कार्यरत हैं और पांच से छह वर्षों के अंतराल में गबन में सहभागी विद्यालयों में शिक्षारत छात्रों की संख्या के प्रतिकूल बहुत अधिक धनराशि आवंटित कर प्रधान, प्रधानाध्यापक व समिति के अध्यक्ष के साथ मिलकर गबन कर लिया। नगर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि एमडीएम सेल के डीसी फिरोज अहमद खान समेत 44 अन्य लोगों के विरुद्ध केस दर्ज किया गया है।


    एमडीएम की शिकायत विभिन्न पत्रावलियों का सत्यापन किया गया। जिसमें लगभग 11 करोड़ रुपये के सरकारी बजट गबन का मामला सामने आने पर डीसी समेत 45 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।
    - शुभम शुक्ला, बीएसए, बलरामपुर

    डीसीम समेत 45 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। पूरे प्रकरण की जांच हो रही है। दर्जनों लोगों के नाम सामने आ रहे है। आरोपितों को जल्द गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा।
    - विकास कुमार, एसपी, बलरामपुर

    अटल आवासीय विद्यालयों में कम्पोजिट स्किल / इनोवेशन लैब स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी, वित्तीय वर्ष के अन्त तक छह लैब बनेंगी

    अटल आवासीय विद्यालयों में कम्पोजिट स्किल / इनोवेशन लैब स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी, वित्तीय वर्ष के अन्त तक छह लैब बनेंगी


     लखनऊ। राज्य सरकार अटल आवासीय विद्यालयों को अब आधुनिक तकनीकी शिक्षा के केन्द्र के रूप में विकसित करने जा रही है। इसके तहत प्रत्येक अटल आवासीय विद्यालय में कम्पोजिट स्किल /इनोवेशन लैब स्थापित करने के प्रस्ताव को औपचारिक मंजूरी दी गई है। इन लैबों में छात्रों को ड्रोन टेक्नोलॉजी, रोबोटिक्स एवं ऑटोमेशन, स्पेस एक्सप्लोरेशन, 3डी प्रिंटिंग, एआई बेसिक्स और अन्य उभरती तकनीकों का प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जाएगा।


    पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समीक्षा बैठक के दौरान अटल आवासीय विद्यालयों को भविष्य की जरूरतों के अनुसार आधुनिक तकनीकी शिक्षा के केंद्र के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए थे। इसी के दृष्टिगत शासन स्तर से इस दिशा में तेजी से कवायद शुरू कर दी गई है। इस परियोजना के लागू होने से अटल आवासीय विद्यालय आधुनिक भारत की तकनीकी तैयारियों में एक मजबूत भागीदार के रूप में सामने आएंगे।


    भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार होंगे छात्र

    सरकार का मानना है कि इन लैब के माध्यम से बच्चों में इनोवेशन, क्रिटिकल थिंकिंग और प्रॉब्लम सॉल्विंग जैसी क्षमताएं विकसित होंगी। यह कदम ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले हजारों बच्चों को आधुनिक तकनीकी दुनिया से जोड़ने में मील का पत्थर साबित होगा। हानिदेशक ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद लैब संचालन और प्रशिक्षण कार्य में एक्सपर्ट संस्थाओं का सहयोग लिया जा रहा है। बकौल पूजा यादव, देश की प्रमुख तकनीकी संस्थाओं और ट्रेनिंग एजेंसियों को इसमें जोड़ा जाएगा।


    वित्तीय वर्ष के अन्त तक छह लैब बनेंगी

    सभी अटल आवासीय विद्यालयों में ये लैब अगले 6 महीनों के भीतर स्थापित कर दी जाएंगी। इससे पहले अगले दो महीनों में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुनिंदा विद्यालयों में इनोवेशन लैब की शुरुआत होगी, जिसके आधार पर आगे की रूपरेखा को और मजबूत किया जाएगा। उत्तर प्रदेश भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की सचिव और अटल आवासीय विद्यालयों की महानिदेशक पूजा यादव बताती हैं कि इस पूरी परियोजना के लिए आवश्यक फंड की व्यवस्था कर ली गई है।

    Wednesday, November 26, 2025

    पुरानी पेंशन, टीईटी अनिवार्यता के मुद्दे पर लाखों शिक्षकों का प्रदर्शन

    पुरानी पेंशन, टीईटी अनिवार्यता के मुद्दे पर लाखों शिक्षकों का प्रदर्शन 


    नई दिल्ली/लखनऊ । शिक्षक प्रदर्शन के इतिहास में मंगलवार को नई दिल्ली में एक और बड़ी महारैली देखने को मिली। राष्ट्रीय राजधानी में जंतर मंतर पर देशभर से आए लाखों शिक्षकों कर्मचारियों ने लगातार दूसरे दिन पुरानी पेंशन, निजीकरण व टीईटी अनिवार्यता की समाप्ति को लेकर आवाज बुलंद की।

    नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) व सहयोगी संगठनों के बैनर तले आयोजित इस धरना प्रदर्शन में शिक्षक व शैक्षिक कर्मचारियों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उन्हें न तो एनपीएस और न ही यूपीएस चाहिए उन्हें सिर्फ और सिर्फ पुरानी पेंशन ही चाहिए।

    इस अवसर पर नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि आज यहां लाखों शिक्षक कर्मचारियों को देखकर सरकार डर गई है। वहीं संगठन की राष्ट्रीय महासचिव प्रज्ञा ने कहा कि सरकार एनपीएस से यूपीएस पर आई और जल्द ही यूपीएस से ओपीएस पर आना पड़ेगा। देश के 97% कर्मचारियों ने यूपीएस को नकार दिया है।


    दिल्ली में शिक्षकों ने बुलंद की आवाज

    लखनऊः शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता के खिलाफ और पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने की मांग को लेकर प्रदेश के शिक्षकों ने दिल्ली में जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदेश के अलग-अलग संगठनों के बैनर तले जंतर-मंतर पर हजारों शिक्षक जुटे और अपनी आवाज बुलंद की। धरने में देश भर से शिक्षकों ने अपनी एकजुटता भी दिखाई।

     मंगलवार को नेशनल मूवमेंट ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) और सहयोगी संगठनों के बैनर तले शिक्षकों का प्रदर्शन हुआ। एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि अब सरकार की तानाशाही नहीं चलेगी। सरकार को हर हाल में पुरानी पेंशन बहाल करनी ही पड़ेगी। टीईटी मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अगर सरकार 20 साल पहले नियुक्त शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर सकती है, तो हिम्मत हो तो यूपीएससी से चयनित अधिकारियों को भी हटा कर दिखाए। 

    प्रदेश के शिक्षक संगठनों ने चेतावनी दी कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि पुरानी पेंशन तत्काल बहाल की जाए और टीईटी को स्थायी रूप से अनिवार्य सूची से हटाया जाए। 




    टीईटी की अनिवार्यता के विरोध में NMOPS का शिक्षकों का दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कल

    लखनऊ। देश भर के सेवारत  शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के विरोध में विरोध-प्रदर्शन दिल्ली में शुरू होगा।  शिक्षक-कर्मचारियों के संयुक्त संगठन एनएमओपीएस की ओर से मंगलवार 25 नवंबर को दिल्ली में धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।

     नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के 25 नवंबर को होने वाले प्रदर्शन के लिए रविवार को दिल्ली में हुई बैठक में रणनीति तैयार की गई। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु ने कहा कि दिल्ली में देश भर के शिक्षक कर्मचारी और अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली, निजीकरण और टीईटी अनिवार्यता की समाप्ति के लिए अपनी शक्ति का प्रदर्शन करेंगे। 

    उन्होंने कहा कि संगठन की लड़ाई के फलस्वरूप चार राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन लागू हुई है। वहीं पंजाब में ओपीएस बहाली की घोषणा हुई है। पंजाब सरकार इसे जल्द लागू करे। देश भर का शिक्षक टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ है, केंद्र सरकार इसे निरस्त करने का निर्णय ले। संसद में इससे संबंधित कानून लाए। ऐसा न होने पर लड़ाई आर-पार की होगी। 



    पुरानी पेंशन की बहाली व टीईटी के विरोध में एकजुटता का आह्वान, 25 नवंबर को दिल्ली में होने वाली रैली के लिए अटेवा ने तय की जिम्मेदारी


    लखनऊ। ऑल टीचर्स एम्पलाई वेल्फेयर एसोशिएशन (अटेवा) पेंशन बचाओ मंच ने रविवार को बैठक कर 25 नवंबर को नई दिल्ली में होने वाली रैली की तैयारियों को अंतिम रूप दिया।


    प्रदेश, मंडल व जिला पदाधिकारियों की शहीद डॉ. रामाशीष सिंह स्मृति भवन में हुई बैठक में रैली के लिए जिम्मेदारियां भी तय की गईं। 

    बैठक में प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली, शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता के विरोध, ऑनलाइन अटेंडेंस के विरोध में 25 नवंबर को नई दिल्ली में होने वाली रैली ऐतिहासिक होगी। उन्होंने सभी संगठनों से आह्वान किया कि वे मतभेद भुलाकर एक साथ आएं।

    प्रदेश महामंत्री डॉ. नीरजपति त्रिपाठी ने कहा कि सरकार यूपीएस लाकर देश के शिक्षकों व कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रही है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महासंघ महासचिव अशोक कुमार ने कहा कि

    सरकार लगातार निजीकरण पर बल दे रही है। इसके कारण सरकारी नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। पंचायतीराज सफाई कर्मचारी एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री रामेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में होने वाले स्नातक/शिक्षक निर्वाचन में सभी शिक्षक व कर्मचारी जरूर वोटर बनें ताकि पुरानी पेंशन बहाली की मुद्दे पर जनप्रतिनिधियों को अपनी बात पहुंचा सकें। बैठक में भारत सिंह, डॉ. आशीष वर्मा, प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. राजेश कुमार आदि उपस्थित थे। 

    शिक्षा विभाग के 15 प्रकरणों पर विधान परिषद की आश्वासन समिति ने अपर मुख्य सचिव को किया तलब

    शिक्षा विभाग के 15 प्रकरणों पर विधान परिषद की आश्वासन समिति ने अपर मुख्य सचिव को किया तलब


    प्रयागराज। उत्तर प्रदेश विधान परिषद की आश्वासन समिति ने शिक्षा विभाग के विभिन्न वर्षों से लंबित पड़े करीब 15 प्रकरणों की अद्यतन स्थिति जानने के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव और निदेशालय के अधिकारियों को 27 नवंबर को साक्ष्य के लिए उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। 


    समिति के संयुक्त सचिव मुनेश कुमार ने इस संबंध में पत्र जारी कर सचिवालय को सभी प्रकरणों की 20-20 प्रमाणित प्रतियां उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, शिक्षा विभाग आश्वासन समिति की बैठक से पहले शासन स्तर पर 21 नवंबर को तैयारी के लिए बैठक कर चुका है। अपर मुख्य सचिव ने लिखित रूप से समिति को अवगत कराया है कि वह 30 नवंबर तक अवकाश पर रहेंगे। 

    प्रदेश में संचालित हैं चार फर्जी विश्वविद्यालय, निदेशालय ने बैठाई जांच

    प्रदेश में संचालित हैं चार फर्जी विश्वविद्यालय, निदेशालय ने बैठाई जांच

    प्रयागराज में खुले गांधी हिंदी विद्यापीठ नाम के विवि का कोई पता नहीं, नोएडा के विवि की लोकेशन भी गलत


    प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में चार फर्जी विश्वविद्यालय चल रहे हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची जारी करने के बाद उच्च शिक्षा निदेशालय ने जांच बैठा दी है। प्रारंभिक जांच में प्रयागराज स्थित फर्जी विश्वविद्यालय का कोई पता ही नहीं मिला। नोएडा के विश्वविद्यालय का भी पता गलत है। सभी के बारे में बुधवार तक रिपोर्ट मांगी गई है। शासन के निर्देश पर इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी।


    यूजीसी की ओर से 22 फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची पिछले महीने जारी की गई थी। इनमें से चार विवि उत्तर प्रदेश के हैं। प्रयागराज में गांधी हिंदी विद्यापीठ प्रयाग, इलाहाबाद नाम से फर्जी विश्वविद्यालय है। इसके अलावा अलीगढ़ में नेताजी सुभाष चंद्र बोस मुक्त विश्वविद्यालय, लखनऊ में भारतीय शिक्षा परिषद एवं नोएडा में महामाया तकनीकी विश्वविद्यालय नाम से फर्जी विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं।

    यूजीसी की ओर से सूची जारी किए जाने के बाद शासन ने निदेशालय से फर्जी विश्वविद्यालयों के बारे में पूरी रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद निदेशालय ने क्षेत्रीय अधिकारियों को जांच सौंपी। उन्होंने प्रारंभिक रिपोर्ट भी सौंप दी है लेकिन उसमें कई बिंदुओं पर स्पष्टता नहीं है। 

    ऐसे में निदेशालय की ओर से फिर से जांच का आदेश दिया गया है। फर्जी विश्वविद्यालय अब भी चल रहा है या नहीं, कौन-कौन सी डिग्री बांटता है, इनके खिलाफ कार्रवाई क्या हुई है आदि बिंदुओं पर जांच कर निदेशालय ने बुधवार तक रिपोर्ट मांगी है। विस्तृत जांच रिपोर्ट को निदेशालय की ओर से 27 नवंबर तक शासन को सौंपना है।

    सहायक निदेशक डॉ. बीएल शर्मा ने कहा कि इन विश्वविद्यालयों की डिग्रियां पूरी तरह से फर्जी हैं। इन डिग्रियों से छात्रों को न तो नौकरी मिलेगी और न ही आगे की पढ़ाई कर सकेंगे। बताया कि निदेशालय की ओर से क्षेत्रीय अधिकारियों को इनकी जांच सौंपी गई है। प्रयागराज में सांख्यिकी शोध अधिकारी डॉ. पंकज सिंह को जांच दी गई है।

    डॉ. बीएल शर्मा ने बताया कि प्रयागराज स्थित फर्जी विश्वविद्यालय के बारे में पता लगाने की कोशिश की गई लेकिन वह कहीं नहीं मिला। यूजीसी की ओर से जारी सूची में भी इस विश्वविद्यालय का पता नहीं दिया गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि वेबसाइट पर ही यह विश्वविद्यालय संचालित हो रहा है। उन्होंने बताया कि 27 नवंबर तक शासन को पूरी रिपोर्ट भेज दी जाएगी। शासन के निर्देश पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।


    नोएडा में विवि के नाम पर आती है डाक लेकिन पता नहीं

    नोएडा में महामाया तकनीकी विश्वविद्यालय के नाम से खुले फर्जी विश्वविद्यालय का पता भी गलत है। जांच समिति के सदस्यों ने दिए गए पते पर संपर्क करने की कोशिश की लेकिन वह मिला ही नहीं। इसके बाद डाक विभाग में संपर्क किया गया। वहां से बताया गया कि इस फर्जी विश्वविद्यालय के नाम पर लगातार डाक आती है लेकिन फर्जी पता कहकर उन्हें वापस कर दिया जाता है।

    Tuesday, November 25, 2025

    बीएड योग्यताधारी प्राथमिक शिक्षक के लिए 6 महीने का ब्रिज कोर्स हेतु ऑनलाइन एनरोलमेंट शुरू, देखें आवेदन का लिंक

    बीएड योग्यताधारी प्राथमिक शिक्षक के लिए 6 महीने का ब्रिज कोर्स हेतु ऑनलाइन एनरोलमेंट शुरू, देखें आवेदन का लिंक 


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    शिक्षकों के छह माह के अनिवार्य ब्रिज कोर्स की वेबसाइट शुरू, आवेदन कैसे हो पता नहीं

    23 नवंबर 2025
    देशभर के प्राथमिक स्कूलों में 28 जून 2018 के बाद बीएड के आधार पर चयनित सरकारी शिक्षकों के छह माह के अनिवार्य ब्रिज कोर्स के लिए राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) ने वेबसाइट https://bridge.nios.ac.in/ तो लांच कर दी है लेकिन उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में बीएड के आधार पर चयनित 30 हजार से अधिक शिक्षक आवेदन कैसे होगा किसी को पता नहीं है।


    इस मामले में प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा भी दायर किया था कि शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए एक से 15 नवंबर तक ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे और एक दिसंबर से छह महीने का प्रशिक्षण शुरू होगा। हालांकि शिक्षकों के आवेदन अब तक शुरू नहीं हो सके हैं। 


    बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने 15 अक्तूबर को एनआईओएस से शिक्षकों को प्रशिक्षण दिलवाने के लिए विशेष सचिव बेसिक शिक्षा को प्रस्ताव भी भेजा था लेकिन कोई निर्देश जारी नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने 28 जून 2018 के बाद औ 11 अगस्त 2023 से पहले नियुक्त बीएड अर्हताधारी शिक्षकों को अनिवार्य रूप से ब्रिज कोर्स पूरा करने के आदेश दिए थे। 

    शिक्षकों को ब्रिज कोर्स शुरू होने की तिथि से एक वर्ष के भीतर एक बार में ही कोर्स पूरा करना है। कोर्स पूरा न करने पर शिक्षक की नियुक्ति अमान्य हो जाएगी। एनआईओएस की ओर से जारी प्राथमिक शिक्षा में छह महीने का प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम (ब्रिज कोर्स) को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने दो जुलाई 2025 को मान्यता दी थी।

    सुप्रीम कोर्ट ने महिला और ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के लिए माहवारी अवकाश पर नीति बनाने और लागू करने की सिफारिश की, अवकाश के लिए मेडिकल प्रमाण पत्र की जरूरत न हो

    सुप्रीम कोर्ट ने महिला और ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के लिए माहवारी अवकाश पर नीति बनाने और लागू करने की सिफारिश की, अवकाश के लिए मेडिकल प्रमाण पत्र की जरूरत न हो


    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सभी सरकारी और निजी संस्थानों की महिला और ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के लिए माहवारी अवकाश पर नीति बनाने और लागू करने की सिफारिश की। अदालत ने कहा कि हर माह कुछ अवकाश तय किए जाएं। नीति में इसका ध्यान रखा जाए अवकाश के लिए किसी मेडिकल प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं हो।


    अदालत ने कहा, माहवारी स्वास्थ्य को कार्यस्थल पर कल्याण का जरूरी और अनिवार्य पहलू माना जाए, जो बराबरी, सम्मान और इंसानी काम करने के हालात की संवैधानिक गारंटी पर आधारित हो। सुप्रीम कोर्ट के शोध एवं योजना विंग यानी सीआरपी द्वारा माहवारी अवकाश को लेकर जारी स्वेतपत्र में यह सिफारिश की गई है।

    अवकाश के लिए आसान तरीका बनाए : सुप्रीम कोर्ट के 52वें मुख्य न्यायाधीश रहे जस्टिस बीआर गवई की देखरेख में तैयार श्वेतपत्र में कहा गया है कि यह जरूरी है कि माहवारी के दौरान कर्मियों को बिना किसी बदनामी, पेशागत या वित्तीय नुकसान के अवकाश लेने के लिए एक सम्मानजनक और आसान तरीका बनाया जाए। 

    सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 'माहवारी अवकाश' को छुट्टी अवकाश नीतिकेमौजूदा फ्रेमवर्क में शामिल किया जा सकता है। इससे कर्मचारियों को हर महीने एक तय संख्या में छुट्टी मिल सके और उनकी निजता-गोपनीयता बनी रहे। स्वेतपत्र में कहा गया है कि माहवारी अवकाश लेने की प्रक्रिया को जेंडर आइडेंटिटी बताने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। रिपोर्ट में राष्ट्रीय विधिक सेवा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में शीर्ष अदालत द्वारा पारित फैसले का हवाला दिया गया है, ताकि खुद की पहचान करने का अधिकार बना रहे।

    छात्र संख्या के आधार पर वेतन, कोर्ट पहुंचे प्रभारी प्रधानाध्यापक, परिषदीय स्कूलों में प्रभारी को प्रधानाध्यापक का वेतनमान देने का मामला

    छात्र संख्या के आधार पर वेतन, कोर्ट पहुंचे प्रभारी प्रधानाध्यापक, परिषदीय स्कूलों में प्रभारी को प्रधानाध्यापक का वेतनमान देने का मामला

    प्राथमिक में 150 और उप्रावि में 100 बच्चों दे रहे वेतनमान पर

    प्रयागराज । छात्रसंख्या के आधार पर प्रभारी प्रधानाध्यापकों को नियमित प्रधानाध्यापकों के समान वेतनमान देने का विवाद हाईकोर्ट पहुंच गया है। पूर्व में कई मामलों में हाईकोर्ट ने प्रभारी को प्रधानाध्यापक के समान देने के आदेश दिए थे। बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने इन आदेशों का अनुपालन नहीं किया तो कई शिक्षकों ने अवमानना याचिका कर दी। उसके बाद 14 अक्तूबर को एक आदेश जारी किया, जिसमें प्राथमिक विद्यालयों में 150 या अधिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 100 से अधिक छात्रसंख्या होने पर ही प्रभारी को नियमित प्रधानाध्यापक के समान वेतन देने की बात कही गई थी।


    शासनादेश में ऐसे प्रभारी प्रधानाध्यापकों को केवल पर्यवेक्षकीय कार्यों की जिम्मेदारी देने का प्रावधान किया गया है जिनके यहां प्राथमिक में 150 और उच्च प्राथमिक में 100 से कम छात्र हैं। शासनादेश में यह भी साफ किया गया है कि यदि वरिष्ठ शिक्षक जिम्मेदारी नहीं निभाते तो उनसे कनिष्ठ शिक्षक को तब तक के लिए प्रभारी प्रधानाध्यापक बनाया जाएगा, जब तक पदोन्नति से नियमित नियुक्ति न हो जाए। 

    इस आदेश के आधार पर बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने छात्रसंख्या के आधार पर प्रभारी प्रधानाध्यापकों के पद पर तैनाती के लिए वरिष्ठता सूची के अनुसार शिक्षकों से विकल्प भी लेना शुरू कर दिया है। इस बीच उन शिक्षकों ने 14 अक्तूबर के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है जहां इस मानक के अनुसार छात्रसंख्या कम है। 

    उनका कहना है कि यह शासनादेश समान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत का उल्लंघन करता है और न्यायालय के निर्णय की भावना के विपरीत है। शिक्षक संगठनों ने भी इस शासनादेश पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि न्यायालय के आदेश के बाद सरकार को सभी प्रभारी प्रधानाध्यापकों को समान वेतन देना चाहिए, न कि केवल चुनिंदा विद्यालयों या याचियों तक इसे सीमित करना चाहिए।

    इंचार्ज अध्यापक को हेड मास्टर का वेतनमान देने का निर्देश, उच्च पद पर काम करने वाला कर्मचारी पद के अनुरूप वेतन का हकदार : हाईकोर्ट

    इंचार्ज अध्यापक को हेड मास्टर का वेतनमान देने का निर्देश, उच्च पद पर काम करने वाला कर्मचारी पद के अनुरूप वेतन का हकदार : हाईकोर्ट 


    प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कार्यवाहक हेडमास्टर पद पर काम करने वाले टीजीटी प्रवक्ता को हेडमास्टर पद के वेतनमान का हकदार माना है। कोर्ट ने पूर्व मध्य रेलवे को निर्देश दिया है कि याची उमाकांत पांडेय को कार्यवाहक हेडमास्टर पद पर काम करने की अवधि के दौरान नियमित हेडमास्टर का वेतनमान छह प्रतिशत वार्षिक व्याज के साथ भुगतान किया जाए। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की पीठ ने दिया है।


    मुकदमे से जुड़े संक्षिप्त तथ्य ये हैं कि याची पूर्व मध्य रेलवे इंटर कालेज, दीनदयाल उपाध्याय नगर (मुगलसराय) जिला चंदौली में नियमित प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) के रूप में कार्यरत था। यहां जूनियर विंग के प्रधानाध्यापक की सेवानिवृत्ति 30 नवंबर 2004 को हुई। इससे पहले तीन नवंबर 2004 के आदेश द्वारा याची को 'प्रभारी प्रधानाध्यापक' के रूप में कार्य करने का निर्देश दिया गया। उन्होंने पहली दिसंबर 2004 से छह मार्च 2008 तक इस पद पर कार्य किया। फिर नियमित पदधारी ने प्रधानाध्यापक का पदभार ग्रहण किया। 


    याची ने कार्य अवधि के लिए हेडमास्टर के समान वेतन भुगतान किए जाने की मांग को लेकर प्रत्यावेदन दिया। उसके प्रत्यावेदन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। उल्टे विभाग ने उसे पद के दायित्व का ठीक से निर्वहन न करने के कारण चार्जशीट जारी कर दी। याची ने विभागीय कार्रवाई को अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष चुनौती दी। प्राधिकारी ने विभागीय कार्रवाई रद कर दी। इसके बाद याची ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) प्रयागराज में याचिका दाखिल की।

    स्थानांतरित शिक्षकों को मानव संपदा पोर्टल से वेतन भुगतान करने का आदेश जारी

    स्थानांतरित शिक्षकों को मानव संपदा पोर्टल से वेतन भुगतान करने का आदेश जारी 


    प्रयागराज। अशासकीय सहायता माध्यमिक संस्थाओं में कार्यरत तकरीबन दो हजार प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के तबादले के बाद मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से वेतन भुगतान करने के आदेश दिए गए हैं।

    शिक्षा निदेशालय से 360 ऑनलाइन और लगभग 1600 ऑफलाइन स्थानांतरित शिक्षकों ने  नवीन कॉलेज में कार्यभार ग्रहण कर लिया है। कई शिक्षकों ने शिकायत की है कि कार्यभार ग्रहण करने के बाद भी जिलों के अधिकारी पोर्टल के माध्यम से नियमानुसार वेतन नहीं दे रहे हैं। 

    अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेंद्र कुमार तिवारी ने सभी जिला विद्यालयनिरीक्षकों को सोमवार को पत्र लिखा है कि एक अध्यापक का वेतन भुगतान दो जिलों से किया जाना संभव नहीं है। ऐसे में यह आदेशित किया जाता है कि स्थानांतरित अध्यापकों के पूर्व में कार्यरत संस्था की लास्ट पे सर्टिफिकेट (एलपीसी) के आधार पर पूरे महीने का वेतन भुगतान संबंधित से कराना सुनिश्चित करें।


    टीईटी के विरोध में यूपी समेत देश के शिक्षकों ने भरी हुंकार, करीब 22 राज्यों से आए शिक्षकों ने दिल्ली में किया प्रदर्शन

    टीईटी के विरोध में यूपी समेत देश के शिक्षकों ने भरी हुंकार, करीब 22 राज्यों से आए शिक्षकों ने दिल्ली में किया प्रदर्शन

    देश भर से आए शिक्षकों ने टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ सोमवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर ताकत दिखाई

    शीतकालीन सत्र के बीच संसद के घेराव का ऐलान, 22 राज्यों के करीब एक लाख शिक्षक साथ आए

    25 नवंबर 2025
    नई दिल्ली/लखनऊ। शिक्षा अधिकार अधिनियम लागू होने की तिथि से पूर्व के सेवारत शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता से छूट दिए जाने की मांग को लेकर देशभर के 22 राज्यों के करीब एक लाख से अधिक शिक्षकों ने सोमवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। 28 शिक्षक संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से गठित अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले शिक्षकों ने सरकार को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि संसद के शीतकालीन सत्र में सेवारत शिक्षकों को टीईटी से मुक्त किए जाने संबंधी संशोधित अध्यादेश पारित नहीं किया जाता है तो देशभर के लाखों अध्यापक संसद का घेराव करेंगे।


    कई संगठन एक साथ जुटेः धरना प्रदर्शन में अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक बासवराज गुरिकर, सह संयोजक एवं यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर, प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी, महामंत्री उमाशंकर सिंह, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी, विशिष्ट बीटीसी शिक्षक एसोसिएशन के विनय तिवारी, शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के अनिल यादव, यादवेन्द्र शर्मा, अभय पांडेय, के.के. शर्मा, पीयूष कटियार, रविप्रकाश सिंह, अंकित राय, प्रकाशनाथ त्रिपाठी, हेमंत तिवारी, पंकज यादव, संतोष यादव, धर्मेंद्र चाहर व निधि वर्मा आदि ने शिक्षकों को संबोधित कर शिक्षकों की आवाज को बुलन्द किया। धरना प्रदर्शन कार्यक्रम का संचालन संजय मिश्रा ने किया।





    टीईटी की अनिवार्यता के विरोध में शिक्षकों का दिल्ली में विरोध आज 

    24 नवंबर 2025
    लखनऊ। देश भर के सेवारत परिषदीय शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के विरोध में विरोध-प्रदर्शन दिल्ली में भी सोमवार से शुरू होगा। विभिन्न शिक्षकों के संगठन अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की ओर से सोमवार 24 नवंबर को जंतर-मंतर पर धरना दिया जाएगा। इसके लिए काफी संख्या में शिक्षक प्रदेश से भी रविवार को रवाना हुए।

    भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा में शामिल यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर ने बताया कि देश भर के 22 राज्यों के शिक्षक संगठन इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। शिक्षक प्रदर्शन से न सिर्फ अपनी मांग बुलंद करेंगे बल्कि केंद्र सरकार को चेतावनी भी देंगे कि इस मामले में लड़ाई आर-पार की होगी। उन्होंने संसद के शीतकालीन सत्र में आरटीई लागू होने से पहले से नियुक्त शिक्षकों को इससे छूट देने की मांग की है।



    टीईटी अनिवार्यता के विरोध में 22 राज्यों के शिक्षक 24 नवंबर को करेंगे दिल्ली कूच, अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने किया एलान


    नई दिल्ली। वर्ष 2011 से पहले नियुक्त पहली से आठवीं कक्षा के लाखों शिक्षकों ने अनिवार्य शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का विरोध करते हुए 24 नवंबर को दिल्ली कूच का एलान किया है। 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षक संसद के शीतकालीन सत्र से पहले विरोध धरने में अपनी मांग रखेंगे। उन्होंने सरकार से उनके हितों की रक्षा करने की मांग दोहराई है।


    अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय सह संयोजक अनिल यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान, झारखंड, दिल्ली समेत अन्य राज्यों के लाखों सेवारत शिक्षक एकजुट हो गए हैं। भर्ती विज्ञापन में 2011 से पहले ऐसी कोई शर्त नहीं थी, फिर इतने सालों की सेवा के बाद यह बदलाव गलत है। यादव ने कहा कि सरकार शीतकालीन सत्र में अध्यादेश लाकर टीईटी को अनिवार्य करने के आदेश में संशोधन करे


    बच्चों को पढ़ाएं या परीक्षा की तैयारी करें
    शिक्षक संगठनों ने सवाल उठाया है कि शिक्षकों पर 2025 में अचानक टीईटी अनिवार्य का फैसला क्यों थोपा गया। वे बच्चों को पढ़ाएं या अपनी परीक्षा की तैयारी करें? एक अनुमान के मुताबिक, टीईटी लागू होने से उत्तर प्रदेश में लगभग 1.86 लाख और देश भर में लगभग 10 लाख शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। जंतर-मंतर पर होने वाले इस आंदोलन के लिए अक्तूबर से ही जनसंपर्क और बैठकों का सिलसिला शुरू हो गया था।




    टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ शिक्षक संघर्ष मोर्चा दिल्ली में होने वाले प्रदर्शन की तैयारी में जुटा, 24 नवंबर को देशभर से दिल्ली पहुंचेंगे शिक्षक

    लखनऊ। देशभर के प्राथमिक शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के विरोध में अलग-अलग शिक्षक संगठनों ने दिल्ली कूच का एलान कर रखा है। इसी क्रम में अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर घोषित प्रदर्शन को सफल बनाने की तैयारी में जुटा है।

    मोर्चा पदाधिकारियों ने कहा कि इस प्रदर्शन में प्रदेश ही नहीं देशभर से बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल होकर टीईटी अनिवार्यता का विरोध करेंगे। वे एनसीटीई द्वारा देशभर के शिक्षकों पर टीईटी अनिवार्य किए जाने का हर स्तर पर विरोध करेंगे। शिक्षकों का कहना है कि यह निर्णय 2011 से पहले कार्यरत शिक्षकों के साथ अन्याय है। मोर्चा किसी भी दशा में इस काले कानून को लागू नहीं होने देगा।

    मोर्चा के राष्ट्रीय सह संयोजक अनिल यादव ने कहा कि जरूरत पड़ी तो शिक्षक संसद का घेराव भी करेंगे। बता दें कि उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों की सरकारों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दायर की है। हालांकि अभी इस पर सुनवाई नहीं हुई है। 



    टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ दिल्ली कूच के लिए जिलों में शुरू होगा जनसंपर्क, अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा 24 नवंबर को करेगा दिल्ली में प्रदर्शन

    लखनऊ। देशभर के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद शिक्षकों का विरोध तेज हो रहा है। कई शिक्षक संगठनों के मोर्चे ने 24 नवंबर को दिल्ली कूच का एलान किया है। इसके लिए 25 अक्तूबर से देशभर के सभी जिलों में जनसंपर्क और बैठकों का सिलसिला शुरू होगा।

    शिक्षक संगठनों के संयुक्त मोर्चा अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर होने वाले आंदोलन की तैयारी तेज कर दी है। इसमें लाखों शिक्षक शामिल होंगे। दिवाली आदि त्योहारों के बाद शिक्षकों ने इसके लिए तैयारी तेज कर दी है। इसी क्रम में 25 से 31 अक्टूबर तक पूरे देश के जिला मुख्यालयों पर मोर्चे में शामिल सभी घटक संगठन शिक्षकों की बैठकें करेंगे।

    अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय सह संयोजक अनिल यादव ने बताया कि बैठक कर अधिक से अधिक शिक्षकों को दिल्ली जंतर मंतर पर पहुंचने के लिए तैयार करेंगे। इसके लिए स्कूलों में जनसंपर्क भी किया जाएगा। उन्होंने कहा की दिल्ली जाने वालों की संख्या और तैयारी की जानकारी शीर्ष नेतृत्व को 10 नवंबर तक सभी प्रदेशों द्वारा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि टीईटी लागू होने से उत्तर प्रदेश में लगभग 1.86 लाख और देशभर में लगभग 10 लाख शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं।


    संयुक्त मोर्चा की मांगें

    केंद्र सरकार टीईटी को अनिवार्य करने के आदेश में संशोधन करे
    शिक्षकों की सेवा सुरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं
    केंद्र सरकार संसद में अध्यादेश लाकर देश के शिक्षकों के हितों की रक्षा करे




    टीईटी की अनिवार्यता के विरोध में दिल्ली में प्रदर्शन 24 नवंबर को, संयुक्त मोर्चा में शामिल प्रदेश के 12 शिक्षक संगठनों ने बैठक कर तय की रणनीति

    शिक्षक पात्रता परीक्षा की अनिवार्यता के खिलाफ अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की पहली राज्य स्तरीय बैठक 

    शिक्षकों के अलग-अलग संगठनों ने संयुक्त मोर्चा बनाकर आंदोलन की रणनीति तैयार की 


     लखनऊ: कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता के खिलाफ देश भर के शिक्षक एकजुट हो गए हैं। बुधवार को लखनऊ में अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की पहली राज्य स्तरीय बैठक में शिक्षकों ने 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर आर-पार के संघर्ष का एलान किया। बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि केंद्र सरकार ने आदेश वापस नहीं लिया, तो पूरे देश से करीब 10 लाख शिक्षक दिल्ली पहुंचकर आंदोलन करेंगे जिनमें उत्तर प्रदेश के लगभग 1.86 लाख शिक्षक भी होंगे।

    बैठक में सोचा के राष्ट्रीय संयोजक योगेश त्यागी, सह-संयोजक विनय तिवारी, अनिल यादव और संतोष तिवारी ने कहा कि 23 अगस्त 2010 से पहले कार्यरत शिक्षकों पर किसी भी दशा में टीईटी लागू नहीं होने दिया जाएगा। यदि जरूरत पड़ी तो संसद का घेराव भी किया जाएगा। बैठक में तय किया गया कि 25 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक देशभर के सभी जिलों में शिक्षकों की बैठकें आयोजित की जाएंगी ताकि 24 नवंबर के आंदोलन की पूरी तैयारी की जा सके।


    नेताओं ने कहा कि एनसीटीई (नेशनल काउंसिल फार टीचर एजुकेशन) का आदेश शिक्षकों की वर्षों की मेहनत और योग्यता पर सवाल खड़ा करता है। 55 वर्ष का शिक्षक अब बच्चों को पढ़ाए या खुद परीक्षा की तैयारी करें? शिक्षक नेताओं उत्तर प्रदेश सरकार भी मांग की कि वह सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिव्यू पिटीशन के लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं का पैनल तैयार करे और केंद्र सरकार से बातचीत कर 23 अगस्त 2010 को एनसीटीई द्वारा जारी आदेश के पालन की दिशा में पहल करे।

    बैठक में अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के महामंत्री उमाशंकर सिंह, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के महामंत्री नरेश कौशिक, उत्तर प्रदेश बीटीसी संघ के अध्यक्ष अनिल यादव, टीएससीटी के अध्यक्ष विवेकानंद आर्य, प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष राम प्रकाश साहू, एससी/एसटी टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुंदर सिंह शास्त्री, यूटा के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर, महामंत्री ओम पोरवाल, अशासकीय सहायता प्राप्त शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष सुशील सिंह, अखिल भारतीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष समर बहादुर सिंह और बेसिक शिक्षक एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र यादव प्रमुख रूप से शामिल हुए।



    टेट के अनिवार्यता के खिलाफ 24 नवंबर को जंतर-मंतर पर जुटेंगे शिक्षक

    लखनऊ : शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) अनिवार्यता कानून में संशोधन और पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर शिक्षक 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करेंगे। रविवार को अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ की आनलाइन बैठक में इसे लेकर राज्यवार जिम्मेदारियां भी सौंपी गईं। 

    राष्ट्रीय अध्यक्ष वासवराज गुरिकर और महासचिव कमलाकांत त्रिपाठी ने कहा कि जब शिक्षा का अधिकार अधिनियम और टेट परीक्षा व्यवस्था अस्तित्व में नहीं थी, उस समय नियुक्त शिक्षकों पर वर्तमान नियम लागू करना अन्याय है। प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर गठित अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के तहत सभी संगठनों को एक मंच पर लाने की तैयारी चल रही है।




    अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ की बैठक में टीईटी के मुद्दे पर सड़क से संसद तक संघर्ष का एलान

    लखनऊ। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ की राष्ट्रीय वर्किंग कमेटी की बैठक रविवार को मदुरई तमिलनाडु में हुई। इसमें टीईटी के मुद्दे पर सड़क से संसद तक संघर्ष का ऐलान किया गया।

    राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि बैठक में टीईटी अनिवार्यता, विभिन्न प्रांत के शिक्षकों से संबंधित समस्याओं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षक विरोधी मुद्दों, संविदा शिक्षको के नियमितीकरण, 8वें वेतन आयोग पर त्वरित कार्रवाई पर विस्तृत चर्चा हुई। वर्किंग कमेटी में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ सभी ने एक स्वर में संघर्ष की सहमति दी। 

    उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के पूर्व नियुक्त शिक्षक को टीईटी से छूट दी गई थी। इस पर एनसीटीई को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। ताकि देश भर के लाखों शिक्षकों को राहत मिल सके।

    बैठक में राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने टीईटी की अनिवार्यता के खिलाफ मजबूत आंदोलन व सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी करने की रणनीति बनी। बैठक में उत्तर प्रदेश से ठाकुरदास यादव, आलोक मिश्रा, अनुज त्यागी, नरेश कौशिक, योगेश शुक्ला, संजय पांडेय आदि उपस्थित थे।




    टीईटी अनिवार्यता के मामले में तमिलनाडु में आज बैठक कर रणनीति बनाएंगे शिक्षक प्रतिनिधि

    लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद देश भर के शिक्षक आंदोलन तेज करने की तैयारी में जुटे हैं। इसके लिए अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की 12 अक्तूबर को तमिलनाडु के मदुरई में बैठक होगी। इसमें देश के सभी राज्यों के शिक्षक प्रतिनिधि भाग लेंगे।

    राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि बैठक में आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी। टीईटी अनिवार्यता से जुड़ी जटिलताओं पर केंद्र सरकार को कैसे समाधान निकालने के लिए तैयार जाए, इस पर भी मंथन होगा। बैठक में विभिन्न राज्यों के शिक्षकों के लिए समान वेतन आयोग लागू करना, पुरानी पेंशन की बहाली आदि पर भी चर्चा होगी। 

    इसके साथ ही विभिन्न राज्यों के शिक्षकों के लिए समान वेतन आयोग लागू करना, पुरानी पेंशन की बहाली विभिन्न राज्यों में खाली पदों को भरने, 8वें वेतन आयोग पर त्वरित कार्यवाही के लिए चर्चा की जाएगी। उन्होंने बताया कि बैठक में इन सभी मुद्दों को लेकर राष्ट्रीय स्तर के आंदोलन की रणनीति व तिथि भी तय की जाएगी।




    टीईटी अनिवार्यता के मामले को लेकर लखनऊ में शिक्षक मोर्चा की बैठक में बनेगी रणनीति

    लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य किए जाने के मामले में चल रहा आंदोलन तेजी पकड़ रहा है। इस क्रम में प्रदेश के विभिन्न शिक्षक संगठनों - के मोर्चा अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की पहली - बैठक 15 अक्तूबर को लखनऊ में होगी। इसमें आंदोलन - की अगली रणनीति तय की जाएगी। 

    मोर्चा के राष्ट्रीय सह - संयोजक अनिल यादव ने बताया कि राजधानी के डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ हाल, लोक निर्माण विभाग में सुबह 11 बजे - से बैठक आहूत की गई है। इसमें सभी शिक्षक संगठनों के - प्रतिनिधि शामिल होंगे। वहीं जो शिक्षक संगठन मोर्चा में नहीं - भी हैं, वे भी इसमें शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई शिक्षक हित की है। इसके लिए सभी का एकजुट होना जरूरी है। 




    टीईटी अनिवार्यता के मुद्दे पर दीपावली बाद दिल्ली जाम करने की तैयारी

    लखनऊ । टीईटी मुद्दे पर देश भर के प्राइमरी शिक्षक दीपावली बाद दिल्ली जाम करने की तैयारी में हैं। आगामी 15 अक्टूबर को इसके लिए प्रत्येक राज्य की राजधानियों में उस राज्य के शिक्षकों की बैठक बुलाई गई है। यूपी सबसे अधिक शिक्षकों वाला राज्य होने के कारण प्रस्तावित आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता की भूमिका में है।

    यही कारण है कि टीईटी मामले को लेकर हाल ही में देश भर के शिक्षक संगठनों को मिलाकर बना संयुक्त मंच अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की अगुवाई भी यूपी के ही जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी को सौंपी गई है। योगेश मोर्चा के संयोजक बनाए गए हैं।

    लखनऊ में 15 अक्तूबर को बड़े स्तर पर मोर्चा से जुड़े यूपी के सभी शिक्षक संगठनों की बैठक बुलाई गई है, जिसमें दिल्ली में नवम्बर के पहले सप्ताह में प्रस्तावित बैठक के एजेण्डे को अन्तिम रूप दिया जाएगा।


    नौकरी पर संकट गहरा गया है: शिक्षक संगठन

    बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से शिक्षकों की नौकरी पर संकट गहरा गया है। अगले दो वर्ष के भीतर टीईटी देनी होगी अन्यथा नौकरी छोड़नी पड़ सकती है। वहीं उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के मंत्री वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि कोर्ट के आदेश को शिथिल कराने के लिए हम सरकार पर कानून में संशोधन करने का दबाव बना रहे हैं।


    यूपी के एक संगठन ने निर्णय को दी है चुनौती

    यूपी के यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ याचिका दायर की है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिक दाखिल कर केन्द्र सरकार के वर्ष 2017 के अधिनियम को चुनौती दी है, जिसमें संबंधित अधिनियम संशोधन को मौलिक अधिकारों के विरुद्ध बताते हुए असंवैधानिक करार दिया गया है।




    टीईटी के मुद्दे पर केंद्र का रुख अब तक स्पष्ट न होने से शिक्षकों की बढ़ रही नाराजगी 

    विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने बैठक कर जताई नाराजगी


    लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट से टीईटी की अनिवार्यता के आदेश के एक महीने बाद भी केंद्र सरकार द्वारा अपना पक्ष स्पष्ट न करने पर प्रदेश के शिक्षकों ने नाराजगी जताई है। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने शनिवार को बैठक कर केंद्र सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई और ठोस निर्णय न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी।

    प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में पदाधिकारियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से देश भर के शिक्षक नौकरी को लेकर चिंतित हैं। विभिन्न संगठनों ने प्रधानमंत्री व शिक्षामंत्री को हजारों पत्र भेजे हैं, लेकिन अब तक इस पर केंद्र सरकार ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। प्रदेश महासचिव दिलीप चौहान ने कहा, केंद्र सरकार को इसका समाधान प्राथमिकता से करना चाहिए।

    प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष शालिनी मिश्रा ने कहा, अगर जल्द ही केंद्र सरकार ने स्थिति स्पष्ट नहीं की तो एसोसिएशन शिक्षक संगठनों के साथ मिलकर देशव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होगा। बैठक में विधि

    सलाहकार आमोद श्रीवास्तव, विनीत सिंह, शशि प्रभा सिंह, राकेश तिवारी, सुशील रस्तोगी, धर्मेंद्र शुक्ला, तुलाराम गिरी, सुशील यादव आदि शामिल हुए।




    कानूनी लड़ाई के साथ-साथ आंदोलन की तैयारी में भी जुटे शिक्षक संघ, टीईटी की अनिवार्यता के खिलाफ दिल्ली कूच की तैयारी

    15 अक्टूबर तक कालीपट्टी बांधकर विरोध कर रहे हैं शिक्षक

    परिषदीय विद्यालयों में 1.86 लाख शिक्षक बगैर टीईटी के सेवारत


    लखनऊ: कक्षा एक से आठवीं तक पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए सेवा में बने रहने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा टीईटी) पास करना अनिवार्य करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विवाद गहराता जा रहा है। शिक्षक संगठनों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। वहीं, राज्य सरकार भी शिक्षकों के पक्ष में पहले ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुकी है। अब शिक्षक संगठन कानूनी लड़ाई के साथ-साथ आंदोलन की तैयारी में भी जुट गए हैं। दिल्ली के जंतर-मंतर पर नरना-प्रदर्शन करने की रणनीति बनाई जा रही है, ताकि सरकार पर बाव बनाया जा सके। वहीं, बहुत वे शिक्षक टीईटी की तैयारियों में भी जुटे हैं।


    प्रदेश में प्राथमिक व उच्च ाथमिक विद्यालयों में चार लाख ० हजार शिक्षक कार्यरत हैं, इनमें करीब एक लाख 86 हजार शिक्षक बगैर टीईटी के हैं। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल हो चुकी है।


    15 अक्टूबर तक काली पट्टी बांधकर शिक्षक आपत्ति जताते हुए शिक्षण कार्य कर रहे हैं। इसके बाद दिल्ली कूच किया जाएगा। उधर, उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने सरकार से मांग की है कि प्राथमिक विद्यालयों में 25 वर्षों से काम कर रहे बीटीसी, सीटीईटी और यूपी टीईटी पास शिक्षामित्रों को नई नियमावली बनाकर सुपर-टीईटी से मुक्त करते हुए सहायक अध्यापक पद पर स्थायी किया जाए।


    प्रदेश में करीब 70 हजार ऐसे शिक्षामित्र हैं, जिनके पास बीटीसी प्रशिक्षण और टीईटी या सीटीईटी की पात्रता है। वर्तमान में प्रदेश में लगभग 1.48 लाख से अधिक शिक्षामित्र परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत हैं। इनमें से अधिकतर ने दो वर्षीय दूरस्थ बीटीसी प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। खास बात यह है कि करीब 70 हजार शिक्षामित्र बीटीसी के साथ टीईटी या सीटीईटी भी पास कर चुके हैं। जिस तरह उत्तराखंड सरकार ने 29 जुलाई 2019 को नियमावली जारी कर योग्य शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त किया था, उसी तरह यूपी सरकार को भी आदेश जारी करना चाहिए। जब तक सभी शिक्षामित्रों को स्थायी नियुक्ति नहीं दी जाती, तब तक उनके मानदेय में सम्मानजनक वृद्धि की जानी चाहिए।


    टीईटी की तैयारी में जुटे कई शिक्षक

    कई शिक्षक किसी भी स्थिति में रिस्क नहीं लेना चाहते। उन्होंने टीईटी के सैंपल पेपर खरीदकर तैयारी शुरू कर दी है। इसके साथ ही वे माक टेस्ट भी दे रहे है। कई वाट्सएप ग्रुप पर शिक्षक आपस में आनलाइन लिंक शेयर कर टीईटी का सिलेबस और माक टेस्ट उपलब्ध करा रहे हैं। यानी एक तरफ टीईटी की अनिवार्यता को लेकर विरोध और आंदोलन की तैयारी है, तो दूसरी तरफ कई शिक्षक भविष्य सुरक्षित करने के लिए परीक्षा की तैयारी में जुट गए हैं।
     

    Monday, November 24, 2025

    25 नवम्बर को श्री गुरु तेगबहादुर जी के बलिदान दिवस पर अवकाश घोषित

    25 नवम्बर को श्री गुरु तेगबहादुर जी के बलिदान दिवस पर अवकाश घोषित 



    Sunday, November 23, 2025

    HECI : बनेगा भारतीय उच्च शिक्षा आयोग, UGC, NCTE और AICTE जैसी संस्थाओं की जगह लेगा नया आयोग

    HECI : बनेगा भारतीय उच्च शिक्षा आयोग, UGC, NCTE और AICTE जैसी संस्थाओं की जगह लेगा नया आयोग


    नई दिल्ली : सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश करने के लिए कुल 10 विधेयकों को सूचीबद्ध किया है, जिनमें भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक भी सरकार के एजेंडे में है। प्रस्तावित कानून के जरिये उच्च शिक्षा आयोग की स्थापना की जाएगी। प्रस्तावित उच्च शिक्षा आयोग विवि अनुदान आयोग (यूजीसी) जैसी संस्थाओं की जगह लेगा और उच्च शिक्षा के एकीकृत नियामक के तौर पर काम करेगा। संसद का शीतकालीन सत्र एक दिसंबर से शुरू हो रहा है। 


    लोकसभा बुलेटिन के अनुसार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रस्तावित भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआइ) यूजीसी, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) का स्थान लेगा। इस समय यूजीसी गैर तकनीकी उच्च शिक्षा का नियामक है, जबकि एआइसीटीई तकनीकी शिक्षा का नियमन करता है और एनसीटीई अध्यापक शिक्षा का नियामक निकाय है। 


    एचईसीआइ को एकल उच्च शिक्षा विनियामक के तौर पर स्थापित करने का प्रस्ताव है, लेकिन चिकित्सा और विधि महाविद्यालयों को इसके दायरे में नहीं लाया जाएगा। इस आयोग की तीन भूमिकाएं-नियमन, मान्यता और मानक तय करने की है।

    मदरसा शिक्षक को अनियमित वेतन - पेंशन देने के मामले में शासन की बड़ी कार्रवाई, ज्वाइंट डायरेक्टर समेत चार का निलंबन

    मदरसा शिक्षक को अनियमित वेतन - पेंशन देने के मामले में शासन की बड़ी कार्रवाई, ज्वाइंट डायरेक्टर समेत चार का निलंबन 

    लखनऊ: आजमगढ़ के तत्कालीन मदरसा शिक्षक शमशुल हुदा खान को विदेश में रहने के दौरान नियम विरुद्ध वेतन, पेंशन व अन्य देयों का भुगतान किए जाने के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बड़ी कार्रवाई की गई है। शासन ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक शेष नाथ पांडेय, आजमगढ़ के तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक अधिकारी साहित्य निकष सिंह, प्रभात कुमार व लालमन को निलंबित किया है। वर्तमान में साहित्य निकष सिंह गाजियाबाद, प्रभात कुमार अमेठी और लालमन बरेली में तैनात हैं।


    मदरसा दारूल उलूम अहिले सुन्नत मदरसा अशरफिया मिस्बाहुल उजूम, आजमगढ़ के तत्कालीन शिक्षक शमशुल हुदा खान ने 19 दिसंबर, 2013 को स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता का परित्याग कर ब्रिटिश नागरिकता ली थी। इसके बाद भी शमशुल मदरसा प्रबंधक प्रधानाचार्य व विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से 31 जुलाई, 2017 तक अनियमित रूप से वेतन लेता रहा। अनियिमत तरीके से उसके चिकित्सा अवकाश स्वीकृत किए गए। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद सेवानिवृत्ति लाभ जीपीएफ व पेंशन प्रदान कर दी गई। 

    इस मामले की जांच संयुक्त निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण ने कराई थी। मामले में एडीएम प्रशासन आजमगढ़ ने 29 जनवरी, 2022 को खान को अनियमित वेतन के रूप में दिए गए 16.59 लाख रुपये की रिकवरी का आदेश जारी किया था। इसके विरोध में शमशुल हुदा खान ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने एडीएम प्रशासन आजमगढ़ के रिकवरी आदेश को निरस्त कर प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को पूरे प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाने तथा समिति की रिपोर्ट के आधार पर सक्षम अधिकारी द्वारा आदेश जारी किए जाने का आदेश दिया था।

    हाई कोर्ट के आदेश पर तीन सदस्यीय समिति गठित की गई थी, जिसमें आजमगढ़ के अपर जिलाधिकारी व अपर पुलिस अधीक्षक और मंडलीय उप निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण शामिल थे। समिति ने शमशुल खान को दी गई अनियमित पेंशन व वेतन की धनराशि की रिकवरी किए जाने की संस्तुति की थी। साथ ही मामले में संलिप्त अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही तथा खान के मदरसा शिक्षक रहते हुए आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, सिंगापुर, श्रीलंका व खाड़ी देशों के अलावा दो-तीन बार पाकिस्तान की यात्रा किए जाने की जांच एजेंसी से पड़ताल कराए जाने की सिफारिश भी की गई थी। एटीएस की वाराणसी इकाई ने भी शमशुल की विदेश यात्राओं को लेकर जांच की थी।



    मदरसा शिक्षकों की उपस्थिति की गहनता से होगी जांच, शासन ने दिए जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को निर्देश


    लखनऊ। प्रदेश में मदरसा शिक्षकों की उपस्थिति की गहनता से जांच होगी। अनुदानित मदरसों में प्रबंधन से हर माह उपस्थिति प्रमाणपत्र लेने के बाद ही शिक्षकों का वेतन जारी होगा। ब्रिटेन में जा बसे संदिग्ध मदरसा शिक्षक शमशुल हुदा का मामला सामने आने पर शासन ने चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।

    उत्तर प्रदेश में 561 मदरसे सरकार से अनुदानित हैं। इनमें कुल 231806 छात्र पंजीकृत हैं। अनुदानित मदरसों में कार्यरत शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों की कुल संख्या क्रमशः 9889 और 8367 है। हाल ही में एटीएस की जांच में मदरसा शिक्षक शमशुल के संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन सामने आए हैं।

    वह 2007 से वह ब्रिटेन में रह रहा था और 19 दिसंबर 2013 को उसने ब्रिटिश नागरिकता हासिल कर ली। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने 2007 से 2017 तक बिना उसकी सेवा पुस्तिका की जांच किए प्रति वर्ष वेतन वृद्धि की गई। इतना ही नहीं 1 अगस्त 2017 से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति प्रदान करते हुए पेंशन भी स्वीकृत कर दी गई।

    एटीएस की रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में कई अधिकारी फंस गए हैं। साथ ही अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ऐसी स्थिति दुबारा उत्पन्न न होने देने के लिए कड़े कदम उठा रहा है। एक-एक शिक्षक की हाजिरी सत्यापित होगी, उसके बाद ही भुगतान होगा।

    जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मदरसों का औचक मुआयना करके भी देखेंगे कि जिन शिक्षकों को वेतन दिया जा रहा है, वे नियमित मदरसों में आ भी रहे हैं या नहीं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध के साथ बताया कि शिक्षकों की उपस्थिति चेक करने के नियम पहले से भी थे, अब इन निर्देशों पर कड़ाई से अमल करना है। ताकि, शमशुल जैसे मामले सामने नहीं आ सके।

    Saturday, November 22, 2025

    vidyagyan : विद्याज्ञान प्रारम्भिक लिखित परीक्षा हेतु प्रवेश-पत्र जारी, 30 नवम्बर 2025 को होगी परीक्षा

    विद्याज्ञान प्रारम्भिक लिखित परीक्षा हेतु प्रवेश-पत्र जारी,  30 नवम्बर 2025 को होगी परीक्षा 

    Friday, November 21, 2025

    बेसिक शिक्षकों से गैर-शैक्षिक ड्यूटी हटाने की मांग

    बेसिक शिक्षकों से गैर-शैक्षिक ड्यूटी हटाने की मांग



     लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों ने गैर-शैक्षिक कार्यों से मुक्त करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील की है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि अध्यापकों को पढ़ाई के बजाय निर्वाचन आयोग की ड्यूटी जैसे बीएलओ, एसआइआर सहित अन्य कार्यों में लगाया जा रहा है, जिससे परिषदीय स्कूलों में कक्षाएं प्रभावित हो रही हैं।


    शिक्षक नेताओं ने कहा कि दिसंबर का महीना शैक्षिक सत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, लेकिन बड़ी संख्या में शिक्षक चुनाव संबंधी कामों में लगे हुए हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई को नुकसान हो रहा है।


    उप्र बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने सितंबर 2012 में तत्कालीन मुख्य सचिव के आदेश का हवाला दिया, जिसमें परिषदीय शिक्षकों से गैर-शैक्षिक कार्य न कराए जाने के निर्देश दिए गए थे। आरोप लगाया कि डीएम और शिक्षा अधिकारी इस आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। मांग की है कि शिक्षकों को शिक्षण कार्य में लगाया जाए, ताकि शिक्षा व्यवस्था सुचारु रह सके।



    कैंसर पीड़ित शिक्षिका के स्थानांतरण की मांग की अनदेखी पर हाईकोर्ट हैरान, बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को किया तलब

    कैंसर पीड़ित शिक्षिका के स्थानांतरण की मांग की अनदेखी पर हाईकोर्ट हैरान, बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को किया तलब

    अगली सुनवाई 25 को, अधिकारियों का सुझाव, याची पारस्परिक स्थानांतरण को कर सकती है आनलाइन आवेदन


    प्रयागराज । कैंसर पीड़ित शिक्षिका के स्थानांतरण के संबंध में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के जवाच पर असंतोष व्यक्त करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें अगली सुनवाई पर उपस्थित हौने का निर्देश दिया है। कोर्ट 25 नवंबर को फिर यह मामला सुनेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने शाहजापुर की कल्पना शमां की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। हाई कोर्ट के पूर्व आदेश पर सचिव ने हलफनामा दाखिल किया था जिस पर कोर्ट संतुष्ट नहीं था।


    पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने कैंसर पीड़ित याची (सहायक अध्यापिका) के स्थानांतरण अभ्यावेदन को अस्वीकार करने वाले सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के आचरण पर नाराजगी जताई थी। अदालत ने प्रकरण में सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा, यह हैरानी वाली बात है कि तकनीकी आधार पर शिक्षिका का अनुरोध खारिज कर दिया।

    याची की मांग खारिज करने का आधार यह लिया गया है कि जिस संस्थान में वह कार्यरत है, वहां केवल दी शिक्षक हैं और राज्य सरकार की नीति के अनुसार किसी स्कूल में न्यूनतम 36 छात्र हैं ती तीन शिक्षक होना चाहिए। कोर्ट ने कहा, रोजाना उन्हें ऐसे मामलों से निपटना पड़ रहा है, जहां 36 से अधिक छात्र हैं और केवल एक शिक्षक है। याची अगस्त, 2015 में प्रारंभिक नियुक्ति के बाद से शाहजहांपुर स्थित जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापिका (विज्ञान) के रूप में नियुक्त हैं।

     कैंसर पीड़ित याची की सर्जरी हुई है और गाजियाबाद स्थित मैक्स कैंसर सेंटर में कीमोथेरेपी हो रही हैं। उनहोंने पूर्व में गाचिका दाखिल कर शाहजहांपुर में काम करने में आ रही कठिनाइयों का हवाला दिया था। कहा था कि इलाज गाजियाबाद में हो रहा है और परिवार व पति कहीं हैं, जो उनके कार्यस्थल से लगभग 320 किमी दूर है। कोर्ट ने पिछले वर्ष सितंबर में याचिका निस्तारित करते हुए प्राधिकारियों को याची के अभ्यावेदन पर सहानुभूतिपूर्वक निर्णय लेने का निर्देश दिया था। 

    इस आदेश के बावजूद सचिव ने आग्रह खारिज कर दिया। इसलिए कल्पना ने फिर उच्च न्यायालय का रुख किया। अधिकारियों ने सुशव दिया है कि याची पारस्परिक स्थानांतरण के लिए आनलाइन आवेदन कर सकती है। इस अस्वीकृति को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कोर्ट ने सचिव से जवाब दाखिल करने या व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा था।

    बढ़े मानदेय की आस में अधेड़ हुए शिक्षामित्र, मानदेय बढ़ाने की मांग, छुट्टियों का नहीं मिलता मानदेय

    बढ़े मानदेय की आस में अधेड़ हुए शिक्षामित्र, मानदेय बढ़ाने की मांग, छुट्टियों का नहीं मिलता मानदेय


    करीब 25 साल पहले शिक्षा मित्र के रूप में भर्ती हुए, बाद में शासनादेश जारी कर इन्हें सहायक शिक्षक बनाया गया। अच्छा वेतन मिलना शुरू हो गया लेकिन हाईकोर्ट ने इन सहायक शिक्षकों को वापस शिक्षा मित्र बना दिया। तत्कालीन सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गई लेकिन उच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी।


    1 लाख 42 हजार शिक्षा मित्र मात्र दस हजार रुपये के मानदेय पर प्राथमिक विद्यालय में नौनिहालों का भविष्य संवार रहे है। बच्चों का भविष्य सेवारते-संवारते इनका वर्तमान अंधकार मय हो गया है। परिवार की जरूरत पूरी नहीं कर पा रहे। अपने बच्चों की शिक्षा, मेडिकल, माता-पिता की देखभाल, घर का किराया ऐसी न जाने कितनी मूलभूत जरूरते हैं जिन्हें पूरा करने के लिए शिक्षा मित्र बढ़े हुए मानदेय का इंतजार कर रहे हैं। 


    प्राइमरी स्कूलों के चच्चों का भविष्य संवार रहे शिक्षामित्रों का भविष्य अधर में हैं। प्रदेश के 1.42 लाख शिक्षामित्र आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं 125 वर्ष पहले सेवा में आए शिक्षामित्र मानदेय कहने की आस में अधेड़ हो गए हैं। 10 हजार रुपये मानदेय में अपने बच्चों की पढ़ाई, परिचारका चालन पोषण च इलाज का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं। ब्लडप्रेसर डायटीन समेत दुसरी बीमारियों से पीड़ित हैं। इस मानदेय में ठीक से इल्कज तक नहीं करा पा रहे हैं। 

    सहायक शिक्षक बनने के चाट से दोबारा बनाए गार शिक्षामित्र सरकार से मानदेय बढ़ाने की बड़ी उम्मीद लगाए बैठे हैं। शिक्षामित्र मानदेव चढ़ोतरी के लिये धरना प्रदर्शन त मिभागीय मंत्री और अफसरों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन मानदेय नहीं बढ़ा। अब इन्हें उस पल का सबसे इंतजार है। शासनदेश के बचाव नूद शिक्षामित्रों को मृत विद्यालय नहीं भया गया है। शिक्षामित्र इतने कम मानदेय पर 20 से 50 किमी. दूर पढ़ाने नहाने के लिय सनपुर है।

    1999  में भर्ती हुए शिक्षामित्र प्रदेश सरकार ने वर्ष 1999 में प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिये 2250 प्रति माह के मानदेय पर शिक्षामित्र भर्ती किये। वर्ष 2009 तक प्रदेश में 1.72 शिक्षामित्र सेला में लिये गए। वर्ष 2014 में तत्कालीन सपा सरकार ने शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के पद समायोजन का शासनादेश जारी किया। 

    प्रदेश भर के 1.37 शिक्षामित्र की प्रतिक्षण देकर सहायक शिक्षक के पद पर समायोजित किया। इन्हें शिक्षकों के समान। समान वेतन और अन्य सुविधाएं मिलनेल एक वर्ष 2015 में हाईकोर्ट शिक्षामित्रों के समायोजन पर रोक लगा दी। सरकार सुप्रीम कोर्ट गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराया। हालांकि कोर्ट ने सरकार को शिक्षकों की खुली भर्ती के जरिये लम्बे समय से सेवाएं देशी शिक्षामित्रों की सेवा अवधि के अनुसार तम अंक के भरांक के साथ पथन करने करने के निर्देश जारी किये। दो अलग-अलग शिक्षक भर्ती में करीब 15 हजार शिक्षामित्र ती शिक्षक बन पाए। बाकी शिक्षामित्र के पद पर कार्य कर रहे हैं।

    लखनऊमें 1925 शिक्षामित्र दे रहे संचाएं लखनऊ के अलग-अलग प्राइमरी स्कूलों में 1925 शिलमित्र सेवाएं दे रहे हैं। नई स्कूल शिक्षामित्रों के भरोसे यत यो हैं। बच्चों को पढ़ाने से लेकर सारे काम निपटा रहे हैं। स्कूलों में परीक्ष अन्य महत्वपूर्ण काम आने पर महिला शिक्षक सीसीएल व मेडिकत अवकाश लेकर घर बैठ नाती हैं। स्कूल में परीक्षा से लेकर अन्य कामों की जिम्मेदारी शिक्षामित्रों पर आ जाती है। फिर भी शिक्षामित्र बिना छुट्टी लिपे जिम्मेदारी निभा रहे हैं लेकिन इनके मानदेय बढ़ाने पर विभागीय अधिकारियों से लेकर सरकार चुप्पी साधे हुए है।


    छुट्टियों का नहीं देते मानदेय

    शिक्षामित्रों का कहना है कि इन्हें सिर्फ 11 माह का मानदेय मिलता है। 14 जनवरी के बीच शीतकालीन और जून में ७ दिन गर्मियों की छुट्टियां होती है। इन छुट्टियों का मानदेय शिक्षामित्रों को नहीं मिलता है। जबकि शिक्षकों को इन दिनों का वेतन दिया जाता है। इतने कम मानदेय में दो महीने 15-15 दिन का मानेदय काटने पर सिर्फ चांच-पाच हजार रुपये मिलता है। इसमें पूरे महीने घर का राशन तक नहीं आता है। सरकार को चाहिए कि कस्तूरबा गाभी आवासीय बालिका विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों की तरह 11 नाह 29 दिन वा मानेवव है। मानदेय भी बढ़ाया जाए। इतने कम मानदेय में जीवन यापन करना बहुत मुश्किल ही सहा है।

    Thursday, November 20, 2025

    शिक्षामित्रों के मानदेय बढोतरी व स्थानांतरण की मांग को लेकर अपर मुख्य सचिव से मिले प्रतिनिधि, कैशलेस चिकित्सा देने का शासनादेश जारी हो, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों को भी मिले चिकित्सा सुविधा

    शिक्षामित्रों के मानदेय बढोतरी व स्थानांतरण की मांग को लेकर अपर मुख्य सचिव से मिले प्रतिनिधि, कैशलेस चिकित्सा देने का शासनादेश जारी हो, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों को भी मिले चिकित्सा सुविधा


    लखनऊशिक्षामित्रों ने मानदेय बढ़ाने और स्थानांतरण प्रक्रिया लागू कराने की मांग तेज कर दी है। बुधवार को भाजपा शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक व एमएलसी श्रीचंद शर्मा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा से मुलाकात कर अपनी समस्याएं रखीं। प्रदेश महामंत्री सुशील यादव ने बताया कि बेहद कम मानदेय के कारण कई शिक्षामित्र गंभीर बीमारियों का इलाज भी नहीं करा पा रहे हैं। इसके अलावा तीन जनवरी 2025 को जारी स्थानांतरण आदेश अभी तक लागू नहीं हुआ है, जिससे कई शिक्षामित्र 80-90 किलोमीटर दूर स्कूलों में जाने को मजबूर हैं।

    कई महिला शिक्षामित्र भी अपने ससुराल के पास तैनाती चाहती हैं। प्रतिनिधियों ने शिक्षामित्र स्थानांतरण नीति को जल्द लागू करने, शिक्षक दिवस पर घोषित कैशलेस चिकित्सा योजना का शासनादेश जारी करने, मृत शिक्षामित्रों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने और एक आश्रित को समायोजन का अवसर देने की भी मांग उठाई।

    अपर मुख्य सचिव ने सभी मुद्दों पर गंभीरता से विचार करते हुए अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए। मुलाकात के दौरान अनुदेशक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह और वाराणसी शिक्षामित्र संघ के जिला अध्यक्ष अजय सिंह भी मौजूद रहे।



    प्रतिनिधिमंडल में शामिल शिक्षामित्र संघ के महामंत्री सुशील यादव ने भी समस्याएं बताईं। कहा, महंगाई को देखते हुए शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाया जाए। 3 जनवरी 2025 को शिक्षामित्रों के तबादले के शासनादेश का क्रियान्वयन भी नहीं हुआ है। इससे हजारों शिक्षामित्र घर से 80-90 किमी दूर शिक्षण कार्य करने को मजबूर हैं। उन्होंने कैशलेस चिकित्सा देने का शासनादेश जारी कर परिवार के सदस्यों को भी समायोजित करने की मांग की गई। इसके बाद पदाधिकारियों ने विशेष सचिव अवधेश तिवारी व महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी से मिलकर अनुदेशकों की समस्याओं पर चर्चा की।

    अटल आवासीय विद्यालयों में नए सत्र से 1000 छात्रों को प्रवेश, प्रवेश के लिए अब एक ही दिन प्रवेश परीक्षा होगी आयोजित

    अटल आवासीय विद्यालयों में नए सत्र से 1000 छात्रों को प्रवेश, प्रवेश के लिए अब एक ही दिन प्रवेश परीक्षा होगी आयोजित

    मुख्य सचिव ने दिए निर्देश, अगले सत्र से 20-20 सीटें बढ़ाएं 


    लखनऊ। अटल आवासीय विद्यालयों में नए शैक्षिक सत्र 2026-27 से 1000-1000 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाएगा। अभी 980 सीटों पर ही प्रवेश हो रहा है। अब आगे पहले से तय मानकों के अनुसार 20-20 सीटें बढ़ाई जाएंगी। मुख्य सचिव एसपी गोयल की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सभी अटल आवासीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए एक ही दिन प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाएगी।


    अब कक्षा छह में 160 और कक्षा नौ में 60 छात्रों को प्रवेश देकर विद्यार्थियों की क्षमता 1000 की जाएगी। प्रवेश परीक्षा के लिए प्रश्न पत्रों का निर्माण भी राज्य स्तर पर ही कराया जाएगा। वहीं वर्ष 2027-28 शैक्षिक सत्र से प्रवेश परीक्षा का आयोजन सीबीएसई के माध्यम से कराया जाएगा।

    कई जिलों में कस्तूरबा विद्यालयों की भर्ती अटकी, संविदा पर शैक्षिक व गैर शैक्षणिक पदों पर होनी है भर्ती, शासन ने दिया जल्द प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश

     कई जिलों में कस्तूरबा विद्यालयों की भर्ती अटकी, संविदा पर शैक्षिक व गैर शैक्षणिक पदों पर होनी है भर्ती, शासन ने दिया जल्द प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश


    लखनऊ। प्रदेश के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) के सुचारू रूप से संचालन के लिए शिक्षकों व कर्मचारियों को संविदा पर 11 महीने के लिए रखा जाता है। वहीं दूसरी ओर कई जिलों में इसे लेकर रुचि नहीं ली जा रही है। इसकी वजह से यहां पठन-पाठन समेत अन्य व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं।

    हाल ही में हुई विभागीय समीक्षा बैठक में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र) प्रभार संदीप सिंह ने इस पर नाराजगी जताते हुए इसमें तुरंत प्रगति लाने के निर्देश दिए ताकि विद्यालयों में पठन-पाठन किसी तरह प्रभावित न हो। प्रदेश में 746 केजीबीवी का संचालन किया जा रहा है। इसमें से 450 से अधिक केजीबीवी को इंटर तक अपग्रेड भी किया जा चुका है।

    इस क्रम में समग्र शिक्षा की ओर से सभी विद्यालयों में शैक्षिक व गैर शैक्षणिक खाली पदों पर समय से भर्ती करने के निर्देश दिए थे किंतु गोरखपुर में सर्वाधिक 127 पद खाली हैं और जनवरी में किए गए विज्ञापन की प्रक्रिया चल रही है। इसी तरह बलमरापुर में 83 पद खाली हैं, यहां अक्तूबर में विज्ञापन किया गया है। रायबरेली में अभी तक खाली 73 पदों का विज्ञापन ही नहीं जारी किया गया। अलीगढ़ व गाजीपुर में 67 67 पद खाली हैं।

    इसी तरह प्रयागराज में 58 पद खाली हैं और अप्रैल में विज्ञापन किया गया था। भदोही में 57 पद खाली हैं और जनवरी में विज्ञापन किया गया था। महोबा में 54 पद खाली हैं और फरवरी में विज्ञापन किया गया था।

    एटा में 54 और बस्ती में 51 पद खाली हैं। इनकी भी विज्ञापन प्रक्रिया तीन-चार महीने से चल रही है। इन सबका असर विद्यालयों के पठन-पाठन व कामकाज पर पड़ रहा है। समग्र शिक्षा के उप निदेशक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि भर्ती की लगातार समीक्षा की जा रही है। समय से प्रक्रिया पूरी करने के आवश्यक निर्देश भी दिए गए हैं।


    भर्ती में शीर्ष 10 जिले
    अंबेडकरनगर, जौनपुर, कुशीनगर में एक भी पद खाली नहीं हैं। गौतमबुद्ध नगर, कानपुर देहात, श्रावस्ती में दो-दो, ललितपुर, मैनपुरी में तीन-तीन व बागपत, रामपुर में पांच-पांच पद खाली हैं।

    पिछड़े 10 जिले
    रायबरेली में विज्ञापन जारी नहीं किया गया। बलरामपुर, गोरखपुर, अलीगढ़, गाजीपुर, प्रयागराज, भदोही, महोबा, एटा व बस्ती में कई महीने से विज्ञापन जारी कर प्रक्रिया अब तक नहीं पूरी की गई।




    व्यावहारिक कारणों से 15-20 मिनट देरी होने पर न करें शिक्षकों पर कार्रवाई, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने समीक्षा बैठक में योजनाओं की कड़ी निगरानी के दिए निर्देश

    कहा- केजीबीवी में महिला अधिकारी बालिकाओं से अलग से करें संवाद


    लखनऊ। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने निर्देश दिया है कि 15-20 मिनट की देरी होने पर शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी न किए जाएं। देरी का अव्यावहारिक कारण होने पर ही कार्रवाई हो। उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में शिक्षकों का मनोबल नहीं गिरना चाहिए।


    वह सोमवार को योजना भवन में विभागीय कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। मंत्री ने निर्देश दिया कि शिक्षकों पर अनुचित कार्रवाई या दबाव न बनाया जाए। कंपोजिट ग्रांट हर विद्यालय तक पूरी और समय से पहुंचे। बीएसए खुद एक दिन ब्लॉक पर बैठकर शिकायतों का निस्तारण करें और फील्ड में नियमित रूप से भ्रमण कर वास्तविक स्थिति की समीक्षा करें।

    मंत्री ने यह भी सुनिश्चित करने के आदेश दिए कि हर कर्मचारी का वेतन और एरियर समय पर मिले, साथ ही एडेड विद्यालयों में भी वेतन भुगतान में किसी प्रकार की देरी न हो।

    उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रक्रियाओं में लापरवाही व देरी किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा। आजमगढ़ में योजनाओं की धीमी प्रगति पर उन्होंने बीएसए को सुधार के निर्देश दिए। उन्होंने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों पर विशेष फोकस करते हुए कहा कि महिला अधिकारी बालिकाओं से अलग से संवाद करें। केजीबीवी में खाली पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए।


    सभी बच्चों का आधार सत्यापन सुनिश्चित करें

    उन्होंने कहा कि बच्चों की यूनिफॉर्म के लिए 1200 रुपये की डीबीटी राशि शत-प्रतिशत अभिभावकों के खातों में पहुंचे। सभी बच्चों का आधार सत्यापन सुनिश्चित किया जाए। बैठक में अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा, यूपीएलसी के निदेशक रंजन कुमार, विशेष सचिव अवधेश तिवारी, महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी आदि उपस्थित थे।

    योजनाओं में देरी पर तय की जाएगी जिम्मेदारी 
    मंत्री संदीप सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि योजनाओं की कड़ी निगरानी की जाए। योजनाओं और उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। एक महीने के अंदर निर्देशों के अनुपालन की समीक्षा होगी। उस समय कमी व देरी मिलने पर जिम्मेदारी तय की जाएगी।

    विशिष्ट बीटीसी के बचे 35 हजार शिक्षकों को मिले पुरानी पेंशन, एमएलसी के नेतृत्व में अपर मुख्य सचिव से मिला प्रतिनिधिमंडल

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    लखनऊ। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने 2004 बैच के शिक्षकों को पुरानी पेंशन देने के मामले में बुधवार को बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख् अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा से मुलाकात की। अपर मुख्य सचिव ने सकारात्मक त्मक कार्यवाही का आश्वासन दिया है।


    भाजपा शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक व एमएलसी श्रीचंद शर्मा के नेतृत्व में गए प्रतिनिधिमंडल ने अपर मुख्य सचिव को बताया कि 2004 बैच से नियुक्त लगभग 35 हजार शिक्षकों की नियुक्ति एक ही विज्ञापन के आधार पर हुई है। इसके बावजूद प्रदेश के 35 हजार शिक्षकों को पुरानी पेंशन देने में हीलाहवाली की जा रही है। 

    विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी व प्रदेश महासचिव दिलीप चौहान ने कहा कि इसका प्रस्ताव कैबिनेट से पास है फिर भी 35 हजार शिक्षकों को पुरानी पेंशन का लाभ नहीं मिला है। 


    Wednesday, November 19, 2025

    वित्तीय वर्ष 2024-25 में दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजनान्तर्गत वंचित समस्त वर्गों के छात्रों को छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति भुगतान हेतु संशोधित समय सारिणी निर्गत किये जाने के सम्बन्ध में

    वित्तीय वर्ष 2024-25 में दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजनान्तर्गत वंचित समस्त वर्गों के छात्रों को छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति भुगतान हेतु संशोधित समय सारिणी निर्गत किये जाने के सम्बन्ध में