लखनऊ : मिड-डे-मील प्राधिकरण ने एमडीएम के लागत में मूल्य में 7.5% की बढ़ोतरी की है। अभी तक प्राइमरी के लिए 3.76 पैसे की दर से भुगतान होता था। नई दरों के मुताबिक अब प्राइमरी के लिए प्रति छात्र 3.86 रुपये और जूनियर में प्रति छात्र 5.78 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाएगा। शिक्षा विभाग का दावा है कि इस बढ़ोतरी से जहां बच्चों को गुणवत्तापरक खाना मिल सकेगा तो वहीं बच्चों की दूध की समस्या का भी निराकरण हो सकेगा।
दूध के लिए बचेंगे रुपये : बीएसए प्रवीण मणि त्रिपाठी ने बताया कि बुधवार को लागत मूल्य ज्यादा होगा। भुगतान जो निर्धारित है उसी के मुताबिक किया जाएगा। लेकिन हफ्ते में कुछ दिन ऐसा मेन्यू है जिसके मद में कम लागत आती है। एक बच्चे का मिड-डे मील निर्धारित 5.78 रुपये से कम में तैयार हो जाता है। बीएसए के मुताबिक विभाग ने एक कैलकुलेशन किया जिसमें सभी दिन बचने वाली धनराशि को जोड़ा गया। इसके बाद बची हुई धनराशि को बुधवार के दिन के लिए जोड़ दिया गया। इसके मुताबिक बुधवार को लागत मूल्य प्राइमरी में 6.99 रुपये और जूनियर में 9.46 रुपये आ रहा है। इसमें एनजीओ और अक्षय पात्र दोनों ही बच्चों को दूध दे सकेंगे।
इतने पैसे में कैसे आएगा दूध : बीएसए
ने अपना हिसाब लगाकर नया तर्क जरूर दिया है लेकिन शहर के एनजीओ संचालक अब
भी दूध देने में असमर्थता जता रहे है। उनका कहना है कि हमें तो प्रतिदिन के
हिसाब से जो निर्धारित है वहीं कास्ट दी जाएगी। अगर निर्धारित मूल्य से कम
में मिड-डे मील बनता तो सरकार मूल्य ही क्यों बढ़ाती। दूध तो तभी दिया जा
सकेगा, जब निर्धारित मूल्य के अतिरिक्त बुधवार को दूध के लिए अलग से मद
जारी किया जाए। एनजीओ संचालकों के मुताबिक जो कास्ट में जो बढ़ोतरी हुई है
वह तो सामान्य है। पिछली दर के मुकाबले अब प्राइमरी में दस पैसा प्रतिछात्र
और जूनियर में 14 पैसे प्रतिछात्र ही ज्यादा मिलेंगे।
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