पूरनपुर (पीलीभीत): कस्तूरबा गांधी ने जिस तरह समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए समाज सेवा की और सामरमती आश्रम में एक छत के नीचे आपसी सद्भाव की मिशाल पेश की थी ठीक वैसी ही अब उनके नाम पर खोले गए बॉ स्कूल में भी देखने को मिल रहा है। बॉ स्कूल में भी आपसी भाईचारा और सद्भाव की जड़ें जिसे समाज के कुछ लोगों ने खोखली कर दी है वह मजबूत हो रही हैं। एक ही कैंपस में जहां अजान की आवाज सुनाई देती है तो कानों तक मंदिर की घंटी की भी आवाज आती है। रमजान हो या फिर देवी के व्रत दोनों समुदाय की छात्रएं मिलकर मनाती हैं।नगर से मात्र पांच किलोमीटर की दूरी पर ही ग्राम पिपरिया दुलई में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय है। सरकार के आदेश के तहत इस स्कूल में सभी जाति और धर्म के गरीब परिवारों की बालिकाओं को शिक्षा दी जा रही है। स्कूल में शिक्षा देने के साथ ही कस्तूरबा गांधी के आदर्शो का भी यहां बखूबी पालन किया जा रहा है। देश और प्रदेश में जहां राजनीति कें लिए कुछ लोगों ने समाज के लोगों को तोड़ने का काम किया है तो स्कूल में इस खाई को पाटने का काम किा जा रहा है। स्कूल में शिक्षा के साथ ही आपसी भाईचारा और सद्भाव की खोखली होती जड़ों को सिंचित कर मजबूत किया जा रहा है। स्कूल में मात्र बीस मुस्लिम छात्रएं पंजीकृत है और इसके अलावा अन्य जाति की है। स्कूल में सभी जाति का एक परिवार बन गया है। रमजान में मुस्लिम समुदाय की छात्रओं के साथ अन्य समुदाय की छात्रओं द्वारा बराबर का साथ दिया जाता है और साथ ही रोजा खोलने में रहती है। यहीं नहीं देवी के व्रतों में मुस्लिम छात्रएं सुबह आरती में शामिल होती है और प्रसाद भी खाती है। एक ही कैंपस में अजान और घंटी की गूंज रोल ही सुनाई देती है।1रायपुर गांव की रहने वाली छात्र फिजा फातिमा कक्षा सात की छात्र है। वह कहती है स्कूल में लगता ही नहीं है कि जाति और धर्म होता है। रमजान में उसके साथ अन्य समुदाय के छात्रएं नमाज के दौरान साथ बैठती है। व्रत में वह भी साथ रहती है।1ग्राम सिरसा निवासी जाहिदा भी सात की छात्र है। बीते दो साल से वह भी स्कूल में ही रमजान पर रोजा रखती है। वह कहती है कि शाम को सभी छात्रएं साथ बैठकर रोजा खुलवाती है। स्कूल में जाति और धर्म का भेदभाव नहीं है और न ही साथ पढ़ने वाली छात्रओं के मन में है।आदर्श गांव गुलडिया भूपसिंह के पास ग्राम जल्लूपुर की रहने वाली छात्र संजू कक्षा सात में पढ़ती है। वह कहती कि वह दो साल से व्रत रहती है और तैयारी मुस्लिम छात्रएं ही कराती है। सुबह आरती में भी सभी शामिल होती है और समापन पर साथ बैठकर पूजा कराती है।सुल्तानपुर निवासी छात्र क्षमा बताती है कि वह हमेशा पूरे व्रत रखती है। अब स्कूल में रख रही है। यहां स्कूल द्वारा व्यवस्था की जाती है। साथ पढ़ने वाली दूसरे समुदाय की छात्रएं बिना भेदभाव सहयोग करती है। पूजा में वह शामिल होती है तो उसके द्वारा भी रमजान में दुआ की जाती है। 1स्कूल में शिक्षा के साथ ही आपसी भाईचारा कायम करना मकसद है। कई साल से यह परिपाटी छात्रओं में है और उनके द्वारा सभी जाति धर्म की छात्रओं के पर्व को लेकर व्यवस्था की जाती है। स्कूल उनका एक सौ सदस्यों का परिरवार है।
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