छले साल मैं यहां तैनात नहीं था। इस साल हम दाखिलों का प्रयास कर रहे हैं, जल्द ही इसके फॉर्म सौंप दिए जाएंगे।
- उमेश त्रिपाठी, डीआईओएस
माध्यमिक के स्कूलों में डीआईओएस को ही आरटीई के दाखिलेे कराने हैं। अब तक उनकी ओर से हमें आरटीई का कोई भी फॉर्म नहीं प्राप्त हुआ है।
- प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए
•एनबीटी, लखनऊ
राइट टु एजुकेशन के दाखिले में माध्यमिक शिक्षा विभाग का रिजल्ट जीरो है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक जब आरटीई लागू हुआ तब से अब तक माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से आरटीई में एक भी दाखिला नहीं कराया गया है। जहां बेसिक शिक्षा विभाग दाखिले के लिए हर साल प्रयास कर रहा है, वहीं माध्यमिक शिक्षा विभाग में यह तक नहीं पता कि आरटीई का फॉर्म कहां मिलता है।
यह है नियम
शहर में कक्षा एक से आठवीं तक जो स्कूल संचालित होते हैं वह बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत आते हैं, जबकि जो स्कूल 12 वीं तक की कक्षा संचालित करते हैं वह माध्यमिक शिक्षा विभाग यानी डीआईओएस के अधिकार क्षेत्र में होते हैं। हालांकि आरटीई का नोडल अधिकारी बीएसए प्रवीण मणि त्रिपाठी को बनाया गया है, लेकिन माध्यमिक स्कूलों में आरटीई के दाखिलों की जिम्मेदारी डीआईओएस उमेश त्रिपाठी की है। उन्हें इच्छुक आवेदकों से फॉर्म भरवाकर बीएसए के माध्यम से जिला प्रशासन को मंजूरी के लिए भेजना है। हाल यह है कि पिछले तीन साल में माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से आरटीई का कोई फॉर्म ही नहीं भरवाया गया है। आरटीई के तहत अब तक जो भी दाखिले हुए है वह बीएसए के माध्यम से कराए गए हैं।
शहर में माध्यमिक के 550 निजी स्कूल
शहर माध्यमिक शिक्षा विभाग से संबद्ध लगभग साढ़े पांच सौ स्कूल हैं, जिसमें आरटीई के माध्यम से प्रवेश की जिम्मेदारी माध्यमिक शिक्षा विभाग की है। जबकि सीआईएससीई और सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध लगभग 192 स्कूलों की जिम्मेदारी भी डीआईओएस की ही है। सीएमएस, डीपीएस, एलपीएस, एलपीसी, सेंट जोसफ जैसे स्कूलों में आरटीई के माध्यम से एडमिशन कराने की जिम्मेदारी माध्यमिक शिक्षा विभाग की है। स्थिति यह है कि विभाग ने आरटीई के तहत एडमिशन के लिए इन स्कूलों को आज तक एक भी नोटिस जारी नहीं किया है। पिछले साल सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के एडमिशन से इंकार करने के बाद कोर्ट में केस तक बेसिक शिक्षा विभाग ने ही लड़ा था।
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