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Thursday, April 7, 2016

वाह रे व्यवस्था : विद्यालयों में आयोजित होंगे जन्मोत्सव, पर नहीं है कोई इंतजाम , जुगाड़ के उत्सव में मिलेगा सम्मान


हरदोई, जागरण संवाददाता: विद्यालयों में बच्चों का धूमधाम से जन्म दिन मनाने की मंशा तो अच्छी है। बच्चों का जन्म दिन मनाने से न केवल उन्हें अपनी जन्म तिथि का ज्ञान होगा बल्कि विद्यालयों की तरफ उनका रुझान भी बढ़ेगा। विभाग ने बच्चों का जन्म दिवस समारोह आयोजित करने के लंबे चौड़े दिशा निर्देश तो जारी कर दिए हैं लेकिन व्यवस्था के लिए न फूटी कौड़ी दी है और न ही किसी से मदद लेने की बात कही है। शिक्षक शिक्षिकाओं को जुगाड़ से बच्चों का धूमधाम से जन्मोत्सव मनाते हुए प्रतिभाओं का सम्मान करना होगा।परिषदीय विद्यालयों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा को लेकर शासन प्रशासन जोर तो डाल रहा है, पानी की तरह पैसा भी बहाया जा रहा है लेकिन व्यवहारिक ज्ञान की कमी से कुछ योजनाएं धरातल पर आ ही नहीं पा रही हैं। बेसिक शिक्षा विभाग ने विद्यालयों में पूर्व से ही बच्चों का जन्म दिवस आयोजित करने की व्यवस्था लागू की थी लेकिन नवीन शैक्षिक सत्र से इसे व्यापक रूप दिया गया है। मुख्य सचिव ने इस खास कार्यक्रम को लेकर शासनादेश जारी किया है। जिसमें माह में पड़ने वाले बच्चों का अंतिम शनिवार को मध्यावकाश के बाद जन्म दिन समारोह आयोजित करने की बात कही है। सचिव ने कहा कि विद्यालयों में एक जन्म दिन पट्टिका तैयार कराई जाए और उस माह में पड़ने वाले बच्चों के जन्म दिवस का उल्लेख हो। जन्म दिवस समारोह भी धूमधाम से मनाया जाए। विद्यालयों को सजाते हुए वंदनवार लगाए जाएं। चाक और पैन आदि से चार्ट तैयार कराकर विद्यालयों को सजाया जाए। जन्म दिवस समारोह में वक्ताओं को बुलाकर विशेष कार्यक्रम आयोजित हों और विद्यालयों में सर्वाधिक आने वाले छात्र छात्रओं, जन्म दिवस वाले बच्चों को मंच पर बुलाकर उनके सम्मान में तालियां बजाई जाएं। इतना ही नहीं विद्यालयों में खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हों। बच्चों की रुचियों के हिसाब से कहानी और जीवनी बताई जाएं। विद्यालयों में मीनू के अनुसार भोजन बनवाते हुए बच्चों को परोसा जाए। शासन ने विद्यालयो में धूमधाम से जन्म दिन आयोजित करने का आदेश तो दिया है लेकिन इसके लिए कोई भी अतिरिक्त धनराशि नहीं दी है। सचिव ने साफ बताया कि न तो धनराशि दी जाएगी और न ही शिक्षक शिक्षिकाएं किसी से चंदा के रूप में धनराशि मांगेगे। बस विद्यालय में उपलब्ध संसाधनों के आधार पर ही जन्म दिन समारोह आयोजित किए जाएं। अब शिक्षक शिक्षिकाओं का कहना है कि वह तो वैसे भी कार्यक्रम आयोजित करते हैं अब शासनादेश में नकेल तो कस दी गई है लेकिन कोई इंतजाम नहीं किया है ऐसे में तो उन्हें जुगाड़ से ही कार्यक्रम आयोजित करने होंगे।हुजूर! आप भी ऐसे ही मनाते हैं बच्चों का जन्म दिन : वाह रे व्यवस्था। साहब के बच्चों का जन्म दिन तो धूमधाम से मनाया जाता है। जन्म दिनों में क्या होता है किसी से छिपा नहीं है। पानी की तरह पैसा बहाया जाता है। उपहार के नाम पर हजारों रुपये उड़ाए जाते हैं लेकिन अब परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के प्रति उनकी सोच क्या है यह जारी व्यवस्था बता रही है। साहब को पता है कि जन्म दिन में कैसे और कितना खर्च होता है। अब विद्यालयों में तो कई कई बच्चों का सामूहिक जन्म दिन मनाया जाएगा लेकिन इसके लिए फूटी कौड़ी तक नहीं दी गई है। विभागीय जानकारों का कहना है कि हवा में बाते की जा रही हैं, जमीनी हकीकत से दूर आसमान की बातें तो हो रही हैं लेकिन व्यवस्था की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है

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