राब्यू, लखनऊ : शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार से जुड़ी सूचना मांगने पर आरटीआइ आवेदक को पहले रिश्वत की पेशकश की गई जब उसने मना किया तो मनाने की कोशिश हुई। आवेदक फिर भी टस से मस नहीं हुआ तो रिश्वत देने वालों ने साफ शब्दों में अपने मन की बात कह दी- ‘देखो.. तुम्हारे नाम के 50 हजार रुपये निकाल लिए हैं.. या तो लेकर बात खत्म करो या फिर यही रकम तुम्हारी हत्या के लिए खर्च कर दी जाएगी..।’1रामपुर निवासी आरटीआइ कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद खान ने जिला शिक्षण प्रशिक्षण कार्यालय में हुई अनियमितता की शिकायत जिलाधिकारी कार्यालय में सात मार्च 2014 की थी। जिलाधिकारी कार्यालय से पत्र जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय को भेजा गया, लेकिन फिर कुछ पता न चलने पर खुर्शीद ने जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत 21 मई 2014 को आवेदन किया। इस पर भी जवाब न मिलने पर प्रकरण 26 अगस्त 2014 को राज्य सूचना आयोग पहुंचा। मार्च 2015 में खुर्शीद ने पत्र के जरिए शिक्षा विभाग और राज्य सूचना आयोग को बताया कि आवेदन वापस लेने के लिए उसे रिश्वत की पेशकश की गई और रिश्वत न लेने पर जान से मारने की धमकी दी गई है। राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने 26 अगस्त 2015 को रामपुर के एसएसपी को मामले की जांच कर 30 दिन में रिपोर्ट देने को कहा। दूसरी तरफ अनियमितता से जुड़ी सूचना न मिलने और इसके लिए डेढ़ साल से अधिक समय तक दौड़ लगाकर परेशान हुए आवेदक ने सूचना आयोग से क्षतिपूर्ति की मांग की।
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