संसू, अंबेडकरनगर : नौकरी के नाम पर सरकारी विभागों की हसरत रखने वाले अभिभावकों से अपने बच्चों की शिक्षा के लिए सरकारी विद्यालयों को पसंद नहीं किए जाने का मूल्यांकन शुरू किया गया है। इसके तहत अभिभावक होने के साथ ही सरकारी कर्मचारियों से उनकी राय मांगी गई है। इसके लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने सर्वेक्षण प्रपत्र एवं प्रश्नावली जारी किया है। सर्वशिक्षा अभियान के संयुक्त निदेशक ने बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों में शैक्षिक शोध के उपरांत माना है कि अभिभावक अपने बच्चों को परिषदीय विद्यालयों की तुलना में मान्यता प्राप्त वित्त विहीन विद्यालयों में दाखिला दिलाए जाने को तरजीह दे रहे हैं। जबकि उक्त विद्यालयों को शिक्षा विभाग की ओर से ही मान्यता प्रदान की जा रही है। परिषद ने निजी विद्यालयों को अधिक तरजीह दिए जाने के बाबत मूल्यांकन शुरू कर दिया है। यह भी माना गया है कि सरकारी नौकरी करने वाले अभिभावक भी सरकारी विद्यालयों से हटकर निजी विद्यालयों में अपने बच्चों को प्रवेश दिला रहे हैं। इस संबंध में उनकी समझा का अध्ययन शुरू किया गया है। परिषद ने डायट प्राचार्य तथा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को ऐसे सरकारी कर्मचारियों से निर्धारित प्रारूप प्रश्नावली के माध्यम से वजह जानने का प्रयास किया गया है। संयुक्त निदेशक ने संबंधित प्रारूप पर परिषदीय स्कूलों में बच्चों को शिक्षा नहीं दिलाने के बाबत व्यापक सूचना मांगी है।1शिक्षक संघ ने संभाला मोर्चा1प्राथमिक शिक्षक संघ ने गत 12 अप्रैल को भियांव शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय दिनकरपुर में शिक्षकों के साथ हुई अप्रिय घटना को लेकर मोर्चा संभाल लिया है। जिलाध्यक्ष रामभवन शुक्ल की अगुआई में शिक्षकों का प्रतिनिधिमंडल बीएसए से मिला। मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी कराए जाने तथा संबंधित शिक्षकों का अन्यत्र तबादला करते हुए शिक्षण व्यवस्था को सुचारू किए जाने की मांग की गई। प्रतिनिधिमंडल में कुलदीप वर्मा, रामकेश मौर्य, विनय सिंह आदि शामिल रहे।6अभिभावकों समेत कर्मचारियों के बीच होगा सर्वेक्षण1
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