जनपद के परिषदीय विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए बीएसए ने अनूठी पहल की है। उन्होंने स्वयं जनपद में पचास ऐसे विद्यालय चिह्नित किए हैं। जहां छात्र संख्या बेहद कम है और वहां का शैक्षिक स्तर भी कमजोर है। वह अब स्वयं इन गांवों में जाकर बच्चों के अभिभावकों से मिलकर बात करेंगे। सर्व शिक्षा अभियान की सफलता में अभिभावकों की लापरवाही अवरोध उत्पन्न कर रही है। वजह ये है कि अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय घरेलू काम करा रहे हैं जिससे स्कूल चलो अभियान गति नहीं पकड़ पा रहा है। स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होने से अधिकारी चिंतित हैं। लाखों खर्च होने के बाद भी छात्र संख्या अपेक्षित नहीं होने के कारणों पर विभाग में मंथन शुरू हो गया है जिसमें यह बात निकलकर सामने आई कि अभिभावक बच्चों को सरकारी विद्यालयों में भेजने के इच्छुक नहीं है। इसका प्रमुख कारण उन्हें परिषदीय विद्यालयों की पढ़ाई पर भरोसा नहीं है। इस पर बीएसए ने जिले के ऐसे पचास विद्यालयों की सूची तैयार कराई है। जहां पर छात्रों की संख्या न्यून होने के साथ ही शैक्षिक स्तर कमजोर है। इसके तहत ब्लाक स्तर से कम छात्र संख्या वाले, पानी, बाउंड्रीवाल, अग्नि से बचाव के इंतजाम नहीं वाले, छात्र संख्या के हिसाब से शिक्षक ज्यादा होने वाले विद्यालय चिह्नित करके रिपोर्ट भेजी गई है। अब इन गांवों में बीएसए स्वयं छात्रों के घरों पर जाकर उनके अभिभावकों से बात करेंगे। वह अभिभावकों को इसके लिए प्रेरित करेंगे कि वह लोग अपने बच्चों को परिषदीय विद्यालय में भेजें। वह अभिभावकों से बच्चों को स्कूल न भेजने का कारण भी जानेंगे। इसके साथ उनके सुझाव पर अमल करने का भरोसा देंगे। जहां पर शिक्षकों की लापरवाही व अन्य कारणों मिलेंगे।
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