शुक्रवार को बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय का नजारा देखने लायक था। जहां तमाम शिक्षकों को अपने-अपने विद्यालयों में बच्चों को बेहतर शिक्षा देनी थी, लेकिन नई बीएसए के कार्यालय आने से पहले ही तमाम शिक्षक अपने-अपने विद्यालयों को छोड़कर चले आये और उन्होंने बीएसए कार्यालय पर डेरा डाल लिया। बीएसए के आते ही अपने नम्बर बढ़ाने के लिए आवभगत करना शुरू कर दिया, लेकिन हर माह मोटा वेतन पाने वाले शिक्षकों ने अपने दायित्वों का निर्वहन करना जरूरी नहीं समझा। पिछले कई साल से बीएसए के पद पर रहे देवेन्द्र गुप्ता का तबादला दूसरे जिले में वरिष्ठ डायट प्रवक्ता के पद पर हो गया था। जीजीआइसी बिजनौर की प्रधानाचार्या रेखा सुमन को बीएसए हाथरस की जिम्मेदारी सौंपी गयी। पिछले कई दिनों से जहां शिक्षक व शिक्षिकाएं उनके आने का इंतजार कर रहे थे, वहीं जब शनिवार को उनके आने की भनक लग गयी तो तमाम शिक्षक व शिक्षिकाएं अपने-अपने विद्यालयों को छोड़कर बीएसए कार्यालय पहुंच गए। बीएसए के पद पर आईं रेखा सुमन का स्वागत करने में न तो शिक्षक पीछे रहे न संगठनों के पदाधिकारी। बताते चलें कि हर साल सर्व शिक्षा अभियान के तहत शासन स्तर से करोड़ों रुपये का बजट दिया जाता है, लेकिन इसके बाद भी योजनाओं का सही तरह से क्रियान्वयन नहीं किया जाता। बच्चों को बेहतर पढ़ाई भी तमाम विद्यालयों में नसीब नहीं होती है। जिम्मेदार शिक्षक व पदाधिकारियों ने यह भी नहीं सोचा कि आखिर विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाने के बाद कार्यालय पहुंचें। जिस जिले में ऐसे शिक्षक व शिक्षिकाएं हों तो वहां बेहतर शिक्षा की उम्मीद करना बेमानी सा लगता है। दोपहर बारह बजे औटा के पदाधिकारी विक्रांत सेंगर, विष्णु राजपूत आदि ने बीएसए को बुके देकर सम्मान किया।
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