गर्मियों की छुट्टियों के बाद जुलाई से विद्यालय खुलने पर प्रत्येक सोमवार को स्कूल में बच्चों के पहुंचते ही उन्हें मॉर्निंग स्नैक में फल दिए जाएंगे। बच्चों को अतिरिक्त पोषक तत्व मुहैया कराने की शासन की मंशा को पूरा करने के लिए यह योजना लागू की जा रही है। इस योजना के शुभारंभ के दिन को फलाहार वितरण दिवस के रूप में आयोजित किया जाएगा। बच्चों को अधिक से अधिक संख्या में स्कूल आने का आकर्षण बढ़ाने के लिए यह योजना लागू की जा रही है। कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को सरकारी स्कूलों में अब ताजे व मौसमी फल दिए जाएंगे। जुलाई के पहले सोमवार से बच्चे के सुबह स्कूल पहुंचते ही उसे अमरूद, सेव, केला, नाशपाती, संतरा, चीकू, आड़ू, शरीफा आदि कोई एक फल दिया जाएगा। प्रदेश की मिड-डे मील योजना के अंतर्गत सोमवार का दिन तय करने के पीछे मंशा यह है कि रविवार को अवकाश के बाद सोमवार को फल मिलने का आकर्षण बना रहे और रविवार का दिन फलों की व्यवस्था के लिए प्रयोग हो सके। सुबह स्कूल आते ही बच्चे के पढ़ाई शुरू करने से पहले उसे पर्याप्त मात्र में कैलोरी मिल सकेगी और फल तथा मिड-डे मील खाने की बीच में गैप भी रहेगा। शासन से प्राप्त निर्देशों के अनुसार कोई ऐसा फल बच्चों को नहीं दिया जाना है जो कटा, फटा, सड़ा-गला हो। इसीलिए इस योजना से पपीता, तरबूज, खरबूजा आदि का वितरण प्रतिबंधित रखा गया है। चूंकि फल वितरण का दिन सोमवार रखा गया है इसलिए जुलाई के प्रथम सोमवार को फलाहार वितरण दिवस के रूप में आयोजित किया जाएगा। इस दौरान जिलाधिकारी या कोई जिला स्तरीय, खंड स्तरीय, तहसील स्तरीय अधिकारी तथा एक जनप्रतिनिधि की उपस्थिति में शुभारंभ होगा
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