बेसिक शिक्षा विभाग में मृतक आश्रित भर्ती फर्जीवाड़ा का खुलासा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी इसका पर्दाफाश हो चुका है। उस मामले में डीएम के स्तर से भी जांच हो गई। दो दोषियों के खिलाफ एफआइआर के निर्देश भी हुए। मगर शिक्षा विभाग के अधिकारी इसे दबा गए। वो नहीं चाहते कि फर्जीवाड़े की परतें हटें। बेसिक शिक्षा विभाग में मृतक आश्रित फर्जीवाड़े की जड़ें बहुत गहरी हैं। इसका मास्टरमाइंड विभाग का ही एक बाबू था। दैनिक जागरण ने सबसे पहले 18 मार्च 2015 को इस फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। इसमें नगर क्षेत्र के दौरेठा विद्यालय में विवेक शर्मा नाम के व्यक्ति की फर्जी नियुक्ति करा दी थी। खुलासे के बाद डीएम पंकज कुमार के निर्देश पर एसडीएम सदर से जांच कराई थी। जांच में जागरण की खबर पर मुहर लगाते हुए उन्होंने तत्कालीन उपबेसिक शिक्षा अधिकारी हिमाचल वशिष्ठ और लिपिक अरुण शर्मा (वर्तमान में डीआइओएस कार्यालय में तैनात) को दोषी पाया था। दोनों के खिलाफ एफआइआर के निर्देश भी दिए थे। पुराने फर्जीवाड़े की तरह ही इस बार भी नियुक्ति कराई गई है। विभागीय सूत्रों की मानें तो इस खेल में बीएसए कार्यालय के कई लोग शामिल हैं। अगर इस मामले की सही जांच हो जाए तो कई पूर्व अधिकारी और बीईओ भी इसमें फंस सकते हैं। इसलिए वो नहीं चाहते कि इस मामले की जांच हो। 1डीएम साहब, नहीं हुई एफआइआर फर्जीवाड़े में पूर्व डिप्टी बीएसए और बाबू के खिलाफ डीएम के आदेश के बाद भी एफआइआर नहीं कराई गई। बीएसए, खंड शिक्षाधिकारी एफआइआर न कराने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। सूत्रों की मानें तो एफआइआर न कराने के पीछे खेल हो चुका है
No comments:
Write comments