केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई) द्वारा संचालित स्कूलों में मनमाने तरीके से शुल्क वृद्धि करना अब आसान नहीं होगा। मनमानी फीस वृद्धि को लेकर सीबीएसई ने संबद्ध स्कूलों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। सीबीएसई ने उपलब्ध संसाधनों के सापेक्ष सभी संबद्ध स्कूलों को सत्र के मध्य में अभिभावकों की सहमति से ही शुल्क बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। उसे लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि तमाम स्कूल नियमों की अनदेखी कर गुणवत्ता के नाम पर मनमानी फीस वसूल रहे हैं। सीबीएसई की ओर से प्रधानाचार्यो को इस बारे में एक परिपत्र भी जारी किया गया है। प्रधानाचार्यो को जारी परिपत्र :-स्कूल का उद्देश्य बेहतर शिक्षा प्रदान करना है न कि लाभ कमाना। -शुल्क बढ़ाने पर अब संबंधित स्कूल का आडिट होगा। उचित कारण न मिलने पर मान्यता तक रद की जा सकती है। -यदि कैपिटेशन शुल्क वसूलने की शिकायत मिली तो उसका दस गुना अर्थदंड वसूला जाएगा। -सभी स्कूलों को प्रतिवर्ष अपने खाते का विवरण बोर्ड को भेजना होगा ताकि फीस वृद्धि का मूल्यांकन हो सके। -समय-समय पर राज्य सरकारें शुल्क ढांचा निर्धारित करती हैं। उसका अनुपालन भी करना चाहिए।
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