लखनऊ।
राइट टू एजूकेशन (आरटीई) का अस्त्र जब गरीब जनता को जिलाधिकारी राजशेखर ने
दिलाया तो वे खुश हुए और पिछले वर्ष रिकार्ड संख्या में गरीबों के बच्चों
को अच्छे और नामी स्कूलों में दाखिला भी कराया। इसी का प्रतिफल मिला कि इस
वर्ष ज्यादा संख्या में गरीब अपने बच्चों के भविष्य का सपना संजोने लगे और
वे बेसिक शिक्षा विभाग के ‘‘आरटीई सेल’ में फार्म भरकर अच्छे व नामी
स्कूलों में मुफ्त दाखिला पाने की बाट जोहने लगे। लेकिन उनके सपनों पर
ग्रहण उस वक्त लगा जब बेसिक शिक्षा विभाग के ‘‘आरटीई सेल’ ने अपने हिसाब से
नियम बना लिये और चहेतों को ही बड़े स्कूल में दाखिला दिलाना शुरू कर
दिया।
तेज धूप व गर्मी में खदरा स्थित कुम्हारन टोला शिवनगर से सलमा बानो
अपनी साढ़े तीन साल की बेटी आयशा का एडमिशन अच्छे स्कूल में कराने की चाहत
को लेकर बीएसए आफिस दौड़ रही हैं, लेकिन पिछले डेढ़ महीने से उनकी बेटी का
दाखिला नहीं हो पा रहा है। कुछ यही हाल खदरा की ही शबाना का है, जो अपने
बच्चों समीरा व परवीन के लिए अच्छे स्कूल में दाखिले के लिए फार्म भर चुकी
हैं। मड़ियांव निवासी अरविन्द गुप्ता कहते हैं कि उनका बेटे अनिकेत का
एडमिशन जिस स्कूल में करने के लिए कहा गया, उस स्कूल ने जगह न होने की बात
कहकर भगा दिया और अब वह बेसिक शिक्षा विभाग के चक्कर लगा रहे हैं। मदेयगंज
निवासी रेशमा गुलजार का भी हाल कुछ ऐसा ही है, वह अपनी बेटी फातिमा के
एडमिशन के लिए कई दिनों से दौड़ रही हैं, लेकिन उनके फार्म पर होने वाली
कार्रवाई की जानकारी देने वाला कोई नहीं। वे कहती हैं कि मेमसाहब भगाय देती
हैं और कहती हैं कि फ्री में एडमिशन करईहो तो का दौड़िहो नाहीं। गरीबी का
मजाक बनाती आरटीई सेल की वजह से ही डालीगंज से सात बार चक्कर लगा चुकीं
कुमकुम अपने बच्चे जीविका व शगुन का एडमिशन जीसस एण्ड मैरी में चाहती हैं,
लेकिन जिला समन्वयक व कम्प्यूटर आपरेटर उनसे फार्म पर अपने हिसाब से स्कूल
लिखवा रही हैं। कुछ यही हाल है श्रीमती रचना अग्रवाल का, जो अपने बच्चे
अर्थव के लिए विभागीय सेल में भटक रही हैं। वे कहती हैं कि उन्होंने प्रथम
वरीयता के रूप में ग्रीन फील्ड व द्वितीय वरीयता में सीएमएस स्कूल लिखा था,
लेकिन जिला समन्वयक उन पर दबाव बना रही हैं कि वे कोई और स्कूल ले लें।
यही नहीं फार्म पर भी अपने मन से कई स्कूल लिखवा दिये, जिसके बाद अब
पांचवें नम्बर की वरीयता वाला स्कूल उन्हें पकड़ाया जा रहा है। उन्होंने
कहा कि वह सस्ते स्कूल में तो बच्चे को खुद की कमायी से पढ़ा सकती हैं,
आरटीई के तहत वह सीएमएस व ग्रीन फील्ड जैसे बड़े स्कूल में पढ़ाना चाहती
थीं, लेकिन बाबूओं की मनमानी से वह खुद को अक्षम पा रही हैं। बीएसए
कार्यालय पर मजमा लगाये कई अभिभावकों जैसे राजकुमार, हेमन्त गुप्ता,
पी.एन.पाठक, जितेन्द्र साफ तौर पर बताते हैं कि आरटीई की सेल में कार्य कर
रहे कम्प्यूटर आपरेटर व अन्य बाबू उनसे पैसे की मांग करते हैं। न देने पर
अच्छे स्कूल नहीं देते हैं और आसपास के स्तरीय स्कूल फार्म पर लिखवा देते
हैं और वही एलाट कर देते हैं। यही नहीं जब बड़े साहब से शिकायत करो तो वे
भी भगा देते हैं। इस बाबत बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी ने कहा
कि वह आज विभागीय कार्य वश कहीं बाहर हैं, ऐसे में वह मंगलवार को इन
मामलों को दिखवाएंगे। उन्होंने बताया कि कई लिस्ट निकल चुकी है, ऐसे में
जिनका नाम नहीं शामिल है, उनका दोबारा सूची में नाम डाला जाएगा।
नहीं मिल रहा योजना का लाभ : आरटीई के तहत सरकार की योजना थी कि गरीब अपने बच्चों को बड़े व नामी स्कूलों में दाखिला करा सकेंगे। लेकिन फार्म भरकर अपने बच्चों को नामी स्कूलों में एडमिशन का सपना संजोने वाले आरोप लगाते हैं कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत जिला समन्वयक उनके बच्चों को नामी स्कूल की बजाय घटिया स्कूलों में एडमिशन देने पर अड़ी रहती हैं। यही नहीं जब ज्यादा जिद करो तो वे लोग ऐसे स्कूलों को एलॉट कर देते हैं, जहां सीटें फुल हो चुकी होती हैं, जिसके बाद वे धक्के खाने को मजबूर हो जाते हैं। ऐसे में उन्हें दोबारा ज्यादा पैसे देकर अपने बच्चों का एडमिशन कराना पड़ता है। इस बाबत जिला समन्वयक विजय लक्ष्मी ने कहा कि उन्हें मामलों की जानकारी नहीं है, जो भी शिकायत है, उसे बेसिक शिक्षा अधिकारी के समक्ष रखें, वही निपटारा करेंगे।
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