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Tuesday, October 25, 2016

जिला प्रशासन ने कहा, आरटीई के तहत ऐक्शन का प्रावधान नहीं, आरटीई के तहत बच्चों का प्रवेश न लेना सीएमएस को पड़ सकता भारी

 जिन बच्चों को प्रवेश के लिए भेजा गया था, वे सभी पात्र थे। शिक्षा विभाग व जिला प्रशासन ने पूरी जांच के बाद ही उन्हें प्रवेश के लिए भेजा था। 28 अक्टूबर के बाद कार्रवाई की जाएगी। - प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए

जिला प्रशासन ने 17 अक्टूबर को 120 बच्चों के दाखिले को मंजूरी दी है। यह आदेश तब आया है जबकि राजधानी के ज्यादातर स्कूलों में हॉफ इयरली एग्जाम हो चुके हैं। यहां तक कि सरकारी स्कूलों में भी हॉफ इयरली एग्जाम खत्म होने वाले हैं। ऐसे में अगर कोई अभिभावक अपने बच्चे का एडमिशन करवाता भी है तो उसकी आधी पढ़ाई तो छूट गई।
अब कैसा एडमिशन
रहे हैं। ऐसे में उनके खिलाफ शासनादेश न मानने की कार्रवाई की जा सकती है। सच्चाई यह है कि जिला प्रशासन जरूरतमंद बच्चों का एडमिशन करवाने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा है। 

पैरंट्स रुचि मिश्रा ने बताया कि 25 मई को एक निजी स्कूल में उनके बेटे के एडमिशन के लिए नाम आया था। बीएसए व डीएम के आदेश के बावजूद स्कूल ने एडमिशन नहीं दिया। अभिभावक नरेंद्र सोनकर ने बताया कि उनके बच्चे को भी स्कूल ने दाखिला देने से मना कर दिया।
बीएसए ने खारिज किया CMS का जवाब• एनबीटी संवाददाता, लखनऊ: आरटीई के तहत बच्चों का प्रवेश न लेना सीएमएस को भारी पड़ सकता है। सीएमएस के 52 पन्नों के जवाब को बीएसए ने खारिज कर दिया है। अब 28 अक्टूबर के बाद सीएमएस और नवयुग रेडियंस स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

मांगा था स्पष्टीकरण

सीएमएस ने 59 बच्चों का प्रवेश लेने से मना कर दिया था। इन बच्चों को डीएम के आदेश पर स्कूल में एडमिशन के लिए भेजा गया था। उधर, नवयुग रेडियंस में भी 24 बच्चों का दाखिला लेने से मना कर दिया गया था। इस पर तत्कालीन डीएम राजशेखर ने दोनों स्कूलों का एनओसी कैंसल करने के निर्देश देकर स्पष्टीकरण मांगा था। इस मामले में सीएमएस के संस्थापक जगदीश गांधी ने शिक्षा विभाग को 52 पन्नों का जवाब भेजा था। भेजे गए जवाब में उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग ने जिन बच्चों को प्रवेश के लिए भेजा था, वे अपात्र थे। सीएमएस अपात्र बच्चों का प्रवेश कतई नहीं लेगा। दीपचंद ने बताया कि सीएमएस के जवाब पर बीएसए से आख्या मांगी गई है। जल्द मीटिंग करके इस मामले में फैसला लिया जाएगा।• एनबीटी, लखनऊ 

राइट-टु-एजुकेशन (आरटीई) के तहत बच्चों का एडमिशन न लेने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई से जिला प्रशासन ने इनकार कर दिया है। असफरों का कहना है कि आरटीई एक्ट में एडमिशन के लिए पूरी गाइडलाइन है, लेकिन इसका पालन न करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं है। छह से अधिक स्कूलों के एडमिशन लेने से मना करने पर 200 बच्चों के पैरंट्स भटक रहे हैं और जिला प्रशासन यह कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि कार्रवाई का कोई नियम ही नहीं है।

उधर, आरटीई एक्टिविस्ट समीना बानो ने बताया कि आरटीई एक्ट में भले स्कूलों पर कार्रवाई का कोई नियम न हो, लेकिन स्कूलों को शासन की ओर से आदेश जारी किया गया है। जो स्कूल एडमिशन नहीं ले रहे हैं, वे शासनादेश का उल्लंघन कर

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