डिजिटल इंडिया के अंतर्गत पूरे सिस्टम को ऑनलाइन करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहे केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के ऑनलाइन एफिलेटेड स्कूल इंफॉर्मेशन सिस्टम (ओएसिस) को लागू कर दिया गया है। इसके अंतर्गत स्कूलों से करीब 150 वर्गो में पूरी जानकारी ऑनलाइन मांगी जा रही है। सीबीएसई चेयरमैन राजेश कुमार चतुर्वेदी ने स्पष्ट किया है कि शिक्षण व्यवस्था को पूरी तरह से पारदर्शी बनाने और कार्यालयों में ‘पेपर लेस’ कामकाज के लिए हर स्कूल को ये जानकारियां सीबीएसई को मुहैया करानी होंगी।
मेरठ में आयोजित नार्थ जोन बैडमिंटन चैंपियनशिप का गुरुवार को उद्घाटन करने पहुंचे सीबीएसई चेयरमैन चतुर्वेदी ने बताया कि सीबीएसई आधार मेकिंग सेंटर का रजिस्ट्रार बनने जा रहा है। कक्षा एक में दाखिला लेने वाले बच्चों का आधार डाटा कैप्चर किया जाएगा। यही डाटा उस बच्चे के 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षा के अलावा सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में इस्तेमाल किया जाएगा। स्कूल बदलने पर केवल स्कूल कोड अपडेट कराना होगा। केवल पता स्कूल स्तर पर बदला जा सकेगा। बोर्ड परीक्षा केंद्र उन्हीं स्कूलों को बनाया जाएगा जहां सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे। 10वीं में स्कूल बेस्ड को हटाकर बोर्ड बेस्ड किए जाने की अटकलों पर सीबीएसई चेयरमैन ने स्पष्ट कर दिया कि इस वर्ष नौवीं में पढ़ रहे छात्र साल 2018 में बोर्ड परीक्षा में शामिल होंगे।
प्रतियोगी परीक्षा में लगेंगे अंगूठे : नीट, नेट, जेई्रई और मेडिकल जैसी तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं में फर्जी अभ्यर्थियों को रोकने के लिए सीबीएसई के सभी 1600 परीक्षा केंद्रों पर अब परीक्षार्थियों का एडमिट कार्ड चेक करने की बजाय उनके अंगूठे का स्कैन किया जाएगा। यह स्कैन स्कूलों में बने आधार से मिलान किया जाएगा। अभ्यर्थी सही होने पर ही उसे परीक्षा में बैठने की इजाजत मिलेगी। प्रतियोगी परीक्षा के केंद्रों पर अब अभ्यर्थियों के ओएमआर स्कैन कर ऑनलाइन सिस्टम के जरिए डाटा सीबीएसई तक पहुंचेगा। तीन दिन के बाद परीक्षार्थी का ओएमआर और सर्टिफिकेट की एक कॉपी उसके डिजिटल लॉकर में रख दिए जाएंगे। ..तो मान्यता होगी रद : सीबीएसई से मान्यता मिलने के बाद भी स्कूलों में कक्षा आठवीं तक मनमाने ढंग से किताबें लगाकर पढ़ाया जा रहा है।
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