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Wednesday, January 18, 2017

डर के आगे जीत है, राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित होंगे 25 बच्चे, लखनऊ, उत्तर प्रदेश की कुमारी अंशिका भी पुरस्कार में शामिल


सीए बनना चाहती है अक्षिता 11वीं की छात्र अक्षिता और 8वीं के छात्र अक्षित ने बताया कि जिस समय उन्होंने चोर को पकड़ा था, उस समय वे डर तो गए थे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। अक्षिता चार्टर्ड एकाउंटेंट बनना चाहती है जबकि अक्षित एयरोनॉटिकल इंजीनियर। केवल कृष्ण और रश्मि को अपने बच्चों पर गर्व है। गत वर्ष 9 फरवरी को तत्कालीन पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी ने दोनों बच्चों को पुरस्कृत भी किया था। दिल्ली की बढ़ती संवेदनहीनता पर दोनों बच्चे कहते हैं कि दूसरों की मदद जरूर करनी चाहिए।
डर के आगे है जीत

वर्ष 2016 के राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए जिन 25 बच्चों का चयन किया गया है, उनमें 12 लड़कियां और 13 लड़के शामिल हैं। चार बच्चों को यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया जाएगा। प्रधानमंत्री उन्हें सम्मानित तो करेंगे ही, गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने और जीप की सवारी करने का भी मौका मिलेगा।1भारतीय बाल कल्याण परिषद की अध्यक्ष गीता सिद्धार्थ ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता में इन बच्चों को मीडिया से रूबरू कराया। उन्होंने बताया कि प्रतिष्ठित भरत अवार्ड अरुणाचल प्रदेश की तार पीजू (8) को मरणोपरांत दिया जाएगा। गीता चोपड़ा अवार्ड पश्चिम बंगाल की तेजस्विता प्रधान (18)और शिवानी गोंड (17) को संयुक्त रूप से दिया जाएगा। दोनों ने बिना डरे पुलिस और एनजीओ की मदद कर अंतरराष्ट्रीय सेक्स रैकेट का पर्दाफाश किया था।1प्रतिष्ठित संजय चोपड़ा अवार्ड देहरादून (उत्तराखंड) के 15 वर्षीय मास्टर सुमित ममगाई को दिया जाएगा। सुमित ने चचेरे भाई को तेंदुए से बचाया था। दो बच्चियों को अपनी जान देकर डूबने से बचाने वाली मिजोरम की कुमारी रोलुआपुई (13), कार दुर्घटना में खुद की जान देकर चचेरे भाई की जान बचाने वाली मिजोरम की एच लालरियातपुई (13) और घर के पास लगी आग में से कई पशुओं की जान बचाने वाले छत्तीसगढ़ के मास्टर तुषार वर्मा (15) को बापू गयाधनी अवार्ड दिया जाएगा।

राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार पाने वालों में तीन बहादुर बच्चे दिल्ली के भी हैं। इनमें मालवीय नगर निवासी भाई-बहन अक्षिता शर्मा (16) और अक्षित शर्मा (13) ने चोरी करने के लिए घर में घुसे दो बदमाशों का बहादुरी से मुकाबला किया और एक को धर दबोचा। पीतमपुरा गांव निवासी नमन (16) ने सोनीपत में यमुना में डूबते बच्चे की जान बचाई थी। अन्य बहादुर बच्चों में मंडी हिमाचल प्रदेश निवासी मास्टर प्रफुल्ल शर्मा, राजस्थान के मास्टर सोनू माली, लखनऊ, उत्तर प्रदेश की कुमारी अंशिका पांडेय, महाराष्ट्र की कुमारी निशा दिलीप पाटिल, कर्नाटक की कुमारी सिया वामनसा, मणिपुर के मास्टर सदानंद सिंह, केरल निवासी मास्टर आदित्यन पिल्लई, अखिल के शिबू और कुमारी बदरुनिशा, असम के मास्टर टंकेश्वर पेगू, छत्तीसगढ़ की कुमारी नीलम ध्रुव, नागालैंड निवासी थंगिलमंग लंकिम, ओडिशा निवासी मास्टर मोहन शेट्टी और जम्मू-कश्मीर की कुमारी पायल देवी (मरणोपरांत) शामिल हैं। इन सभी बहादुर बच्चों को 50 हजार रुपये, प्रशस्ति पत्र और मेडल प्रदान किया जाएगा। सभी की शिक्षा-दीक्षा का खर्च परिषद द्वारा वहन किया जाएगा।

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