DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बाँदा बांदा बागपत बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर लख़नऊ वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Sunday, January 8, 2017

आगरा : समायोजित शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बने हुआ लंबा समय, लेखा कार्यालय आते ही फाइल हो गई अधूरी,ब्लॉक से एरियर की फाइल में निकाली जा रहीं कमियां, किसी का बिल नहीं तो किसी का शपथ पत्र गुम


लेखाधिकारी ने मांगा लिपिक से जवाब एरियर व दूसरी फाइलों को लटकाने पर लेखाधिकारी केएल सारस्वत ने बाबुओं से तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा है। उनका कहना है कि फाइलों के लंबित होने का कारण संबंधित पूछा गया है। जल्द ही सबका एरियर खातों में होगा।

समायोजित शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बने लंबा समय हो गया। लंबी प्रक्रिया के बाद उनका वेतन तो खाते में आने लगा, लेकिन अभी बहुत से ऐसे शिक्षामित्र हैं, जिनको अपने एरियर के लिए चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। ब्लॉक से लेखा कार्यालय पहुंचने पर उनकी फाइल अधूरी हो गई।

सहायक अध्यापक बनने वाले शिक्षामित्र स्कूल के बाद लेखा कार्यालय में दिखाई देते हैं। किसी का आठ महीने का एरियर तो किसी का एक साल का एरियर बकाया है। ब्लॉक से फाइल आए हुए महीनों हो गए, लेकिन हर बार लेखा कार्यालय के बाबू फाइल में कमी बता देते हैं। जब वह कमी पूरी होती है तब तक दूसरी कमी आ जाती है। शिक्षक इन कमियों को पूरी करते-करते थक जाते हैं। ऐसे में वे हारकर बाबू के सामने सरेंडर हो जाते हैं। वर्तमान में लेखा कार्यालय में एरियर के करीब 100 मामले लंबित हैं। इसके लिए कई बार धरना-प्रदर्शन भी हो चुका है। लेखाधिकारी से लेकर डीएम तक को ज्ञापन देने के बाद भी एरियर का भुगतान नहीं हो सका। प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र छौंकर ने बताया कि लेखा कार्यालय के बाबू जानबूझकर एरियर नहीं लगाते हैं। फाइलों से बिल गायब कर दिए जाते हैं, जो शिक्षक उन्हें रुपये दे देता है उसका काम कर दिया जाता है। और जो नहीं दे पाते हैं उन्हें बहाना बनाकर बार- बार टरका दिया जाता है।

No comments:
Write comments