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Monday, March 20, 2017

सभी भर्ती आयोगों पर कसेगा शिकंजा, अध्यक्ष व सदस्य के रूप में काम कर रहे ‘दागी’ चेहरों पर लटकी तलवार, कसौटी पर होंगे सूबे के भर्ती आयोग

⚫ जिन भर्तियों में हेराफेरी के आरोप, उन मामलों की जांच होने के आसार

⚫ उत्तर पुस्तिका बदलने का मामला पीएम के संज्ञान में है


इलाहाबाद : यह बात पूरी तरह से साफ हो गई है कि यूपी के होने वाले विकास का केंद्र युवा ही होंगे। चुनाव में जिस तरह से रोजी-रोजगार का मुद्दा उठा और जनता ने जैसा जनादेश दिया उसका असर सरकार के पहले दिन ही दिखाई पड़ा है। 1प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्वीट हो या फिर मुख्यमंत्री की पहली प्रेस कांफ्रेंस दोनों ने युवाओं को रोजगार के ढेरों विकल्प मुहैया कराने का भरोसा दिया है। ऐसे में सूबे के भर्ती आयोग अब कसौटी पर होंगे। इसके लिए सरकार इन आयोगों की कार्यशैली में बदलाव कराएगी और अध्यक्ष व सदस्य के रूप में काम कर रहे ‘दागी’ चेहरे किनारे होंगे।




2014 का लोकसभा चुनाव रहा हो या फिर 2017 का उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव। दोनों में नौकरियों को लेकर चर्चा हुई। पिछली बार गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने उप्र लोकसेवा आयोग की सीबीआइ से जांच कराने का वादा किया था, हालांकि वह पूरा नहीं हो सका। इस बार प्रधानमंत्री मोदी ने भर्तियों में हेराफेरी की जांच कराने का कई रैलियों में वादा किया है। जनादेश मिलने के बाद से भर्ती आयोग संभावित कार्रवाई को लेकर सशंकित भी हैं। हालत यह है कि सूबे के चारों प्रमुख भर्ती आयोगों पर गड़बड़ी करने की एक नहीं कई शिकायतें हैं। लोकसेवा आयोग में उत्तरपुस्तिका बदलने का मामला पीएम के संज्ञान में है। इसी तरह से माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में प्रश्नों के जवाब दुरुस्त न करके कई विषयों में चयन किया गया है। साथ ही चयन बोर्ड के कुछ अफसर व सदस्यों ने युवाओं को सफल कराने के लिए सौदेबाजी की है वह भी सामने आने लगा है।




उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में बड़ी संख्या में कॉपियां सादी मिलने के बाद भी परिणाम जारी किया गया। इसी तरह अधीनस्थ सेवा आयोग में भी ग्राम विकास अधिकारी एवं अन्य भर्तियों के मामले न्यायालय तक पहुंचे हैं। प्रदेश की पूर्व सरकार ने इन आयोग व चयन बोर्डो में अध्यक्ष एवं सदस्यों की लगभग तैनाती पूरी कर दी है। इसके बाद भी ऐसे सदस्य लगभग हर जगह पर काम कर रहे हैं, जिनकी योग्यता पर गंभीर सवाल उठ चुके हैं। यही नहीं अध्यक्षों के चयन में नियमावली को धता बताकर अपनों का चयन किए जाने की शिकायतें तेज हो गई हैं। ऐसे ‘दागी’ अध्यक्ष व सदस्यों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है माना जा रहा है कि सरकार इन पर शिकंजा कसकर दागियों को काम करने से रोक देगी और आने वाले दिनों में यहां कामकाज में बदलाव दिख सकता है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय ने बताया कि वह जल्द ही राज्यपाल से मिलकर आयोग व चयन बोर्ड में काम रहे अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्तियों की जांच की मांग करेंगे।

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