प्रदेश में निजाम बदलने के साथ उम्मीद है कि बेपटरी हो चुकी कई सरकारी संस्थाओं की व्यवस्था शायद अब पटरी पर आ जाए। सबसे खराब स्थिति बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों की है। आलम यह है कि कई जगह कक्षा 1 से 5 तक की कक्षाएं और पूरा का पूरा विद्यालय एक शिक्षिका के भरोसे चल रहा है।1 जी हां, यह व्यवस्था नगर के ही काली महाल, शाहकुटी, चतुभरुजपुर व पूर्वी बाजार प्रथम प्राथमिक विद्यालयों पर देखने को मिल रही है। यहां एक ही शिक्षक तैनात हैं। अगर शिक्षक बीमार होते हैं तो विद्यालय को बंद करना पड़ता है। प्राथमिक विद्यालय काली महाल का भवन तीन कक्षीय है। यहां कुल छात्र संख्या 77 है। इसमें कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थी शामिल हैं। यहां बतौर प्रधानाचार्य परवीन महबूब तैनात हैं। यहां सबकुछ परवीन ही हैं। 50 के पार की परवीन को बीमार पड़ने पर अवकाश लेना पड़ता है। उनके अलावा यहां न कोई शिक्षक है और न ही कोई शिक्षामित्र। अब सवाल यह है कि एक ही शिक्षिका तीन कक्षाओं में 1 से 5 तक के अलग-अलग कक्षाओं के बच्चों को कैसे पढ़ाएं। दोपहर में एनजीओ द्वारा मध्याह्न भोजन पहुंचाया जाता है, उसे भी खिलाने की जिम्मेदारी इन्हीं की है। कई बार ये उच्चाधिकारियों से शिक्षिकों की मांग की लेकिन अब तक कोई नियुक्ति नहीं हुई। सोचने वाली बात यह कि यह सब शहर में हो रहा है। जो बच्चे इन विद्यालयों में पढ़ते हैं, आखिर उनका भविष्य क्या होगा। इस संबंध में नगर के खंड शिक्षाधिकारी सुरेश सिंह ने बताया कि नगर के विद्यालयों में शिक्षकों की घोर कमी है। 2011 में ग्रामीण क्षेत्र से कुछ शिक्षिकों को समायोजित किया गया था, उसमें से कुछ सेवानिवृत्त भी हुए हैं। शासन को शिक्षकों के लिए लिखा गया है। नए सरकार में उम्मीद है कि इसमें परिवर्तन होगा।
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