लाख प्रयास के बाद भी परिषदीय शिक्षा की गाड़ी पटरी पर नहीं लौट पा रही। विभाग और शिक्षकों की उदासीनता शिक्षा पर भारी पड़ रही है। अब तो परीक्षा के साथ भी खिलवाड़ होने लगा है। शनिवार से शुरू हो गई, लेकिन शिक्षकों को ही इसकी जानकारी नहीं है। परीक्षा के दिन भी अधिकतर शिक्षक स्कूल नहीं पहुंचे। विद्यालयों में न पेपर पहुंचा और न कापी। कुछ स्कूलों में पेपर के अभाव में श्यामपट्ट पर ही परीक्षा ली गई। परीक्षार्थियों ने अपनी कापी पर ही सवाल हल किया।
पिपराइच संवाददाता के अनुसार प्राथमिक विद्यालय सोनराइच उर्फ बड़े गांव (भटहट) में 11.30 बजे तक प्रधानाध्यापक नहीं पहुंचे थे। कुछ शिक्षक थे, लेकिन उन्हें परीक्षा की कोई जानकारी ही नहीं थी। पूछने पर उन्होंने परीक्षा की तैयारी शुरू की। स्कूल में पेपर और कापी खोजने लगे। नहीं मिला तो श्यामपट्ट पर ही अपने मन से प्रश्न लिख दिया। छात्रों ने कापियों पर सवालों को हल किया। यानी, परीक्षा की खानापूरी हो गई।
भटहट संवाददाता के अनुसार अधिकतर स्कूलों में शिक्षक समय से नहीं पहुंचे। जंगल हरपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय का ताला रसोइया ने खोल दिया था, लेकिन शिक्षक नहीं पहुंचे। छात्र परिसर में ही खेलते रहे। कक्षा तीन के छात्र रोहित, चार के मंजेश, जयहिंद व करिश्मा को पता नहीं था कि उन्हें किस विषय की परीक्षा देनी है। भैरवा प्राथमिक स्कूल का ताला 9.45 बजे तक बंद रहा। कक्षा पांच के अभिषेक, निधि कक्षा चार की अंजनी ने बताया कि हिंदी कलरव की परीक्षा होनी है मगर अभी मैडम नहीं आई हैं। ग्राम पंचायत पिपरी के पूर्व माध्यमिक विद्यालय के अनुचर सुरेन्द्र कुमार के साथ दर्जन भर छात्र मौजूद थे लेकिन शिक्षक नहीं स्कूल नहीं पहुंचे थे। यह तो महज कुछ उदाहरण हैं, ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर विद्यालयों में परीक्षा की खानापूरी भी नहीं हो पाई। विभाग ने भी रुचि नहीं ली और शिक्षक भी उदासीन बने रहे। संबंधित खंड शिक्षा अधिकारियों ने भी परीक्षा को गंभीरता से नहीं लिया है। शिक्षकों का आरोप है कि उन्हें समुचित जानकारी नहीं दी गई। पेपर मिला लेकिन पूरा नहीं। कापियों के लिए पैसे तक नहीं मिले हैं।प्राथमिक विद्यालय सोनराइच में श्यामपट्ट पर लिखे गए सवाल’ जागरणप्राथमिक विद्यालय भैरवा के बाहर शिक्षकों का इंतजार करते छात्र ’ जागरण’
परीक्षा के दिन भी नहीं पहुंचे शिक्षक, अधिकतर विद्यालयों में रहा ताला ,अभी लाभ पहले से इलाज करा रहे मरीजों को मिलेगा
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