अक्सर गायब रहने वाले अध्यापकों और फर्जी छात्र संख्या के लिए बदनाम बेसिक शिक्षा विभाग का एक विद्यालय इसका अपवाद भी है। यहां विद्यालय में अध्यापकों की नियमित मौजूदगी के अलावा छात्र संख्या 100 के पार ही रहती है। विद्यालय के प्रधानाचार्य ने विद्यालय से गायब छात्रों को पकड़ कर स्कूल बुलाने के लिए मेधावी छात्रों का एक उड़नदस्ता बना रखा है। दूसरे पीरियड तक न आने वाले छात्रों की सूची लेकर यह उड़नदस्ता गांव में निकलता है और कुछ ही देर में घंटी गोल करने वाले छात्र पकड़ कर हाजिर कर दिए जाते हैं।
जनपद में परिषदीय विद्यालयों की औसत उपस्थिति आमतौर पर 60 फीसद ही रहती है। अध्यापकों की उपस्थिति का हाल तो और भी खराब है। रसूखदार अध्यापक कटरी क्षेत्र के दुर्गम क्षेत्रों में स्थित स्कूलों में तैनाती के लिए बाकायदा मोटी रकम भी अधिकारियों को रिश्वत के तौर देते हैं। जाहिर है कि फर्जी छात्र उपस्थिति के सहारे नौकरी चलती है। इसके विपरीत विकास खंड बढ़पुर के ग्राम बुढ़नामऊ में वर्तमान में 117 छात्र पंजीकृत हैं। स्कूल की औसत उपस्थिति 100 के ऊपर ही रहती है। जाहिर है कि इतने छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों को भी नियमित रूप से स्कूल आना पड़ता है। विभागीय अधिकारी भी कन्या प्राथमिक विद्यालय की छात्र उपस्थिति को लेकर हैरान रहते हैं।
प्रधानाध्यापक नानक चंद्र की सकारात्मक सोच से स्कूल व वहां के विद्यार्थियों को एक नई दिशा मिली है। वह बताते हैं कि छात्रों में सहभागिता का एक नया प्रयोग उन्होंने किया है। इसके लिए वह हर साल स्कूल के तेजतर्रार और मेधावी छात्रों का एक उड़नदस्ता तैयार करते हैं। पहले दो पीरियड तक तो बच्चों का इंतजार कर लेते हैं। इसके बाद अनुपस्थित छात्रों को पकड़ने के लिए यह उड़नदस्ता निकलता है। गांव में इधर-उधर खेल रहे सहपाठियों या माता-पिता के साथ खेत में सहयोग करने गए छात्रों तक को यह उड़नदस्ता पकड़ कर स्कूल में लाकर खड़ा कर देते हैं। कई बार तो बच्चों की मां पीछे-पीछे बच्चों की ड्रेस और स्कूल का बैग लेकर पहुंचती हैं। मास्टर साहब की गांव में पैठ भी इतनी मजबूत है कि हर घर से उनका रिश्ता है। विद्यालय में हर मौसम में उपस्थिति सर्वाधिक रहती है।
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