इलाहाबाद : यूपी बोर्ड के मेधावियों की उत्तर पुस्तिकाएं सार्वजनिक करने का निर्णय लेकर सरकार व यूपी बोर्ड प्रशासन ने मानो सेल्फ गोल मार लिया है। अभी परीक्षा परिणाम के प्रतिशत व एवार्ड ब्लैंक ओएमआर शीट के जगजाहिर होने का विवाद शांत नहीं हुआ है। कॉपियां बोर्ड की वेबसाइट पर आते ही विवादों का अंतहीन पिटारा खुलेगा।
परीक्षार्थियों की फौज कई सवाल खड़े करेगी और बोर्ड के अफसर सिर्फ सफाई देने की मुद्रा में होंगे। बिना अंक वाली कॉपी अपलोड करने का कोई मायने नहीं होगा लेकिन, विवाद फिर भी बढ़ेंगे। उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने परीक्षाओं से पहले ही टॉपर की कॉपियां वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्णय लिया। उनका तर्क था कि अन्य छात्र-छात्रओं को बेहतर जवाब लिखने की प्रेरणा मिलेगी। बोर्ड प्रशासन ने उस समय हामी भर दी। अब तो बोर्ड के परीक्षक ही हाईस्कूल व इंटर के सफलता प्रतिशत पर दबी जुबान सवाल उठा रहे हैं।
■ मूल्यांकन प्रणाली होगी घेरे में
परीक्षक बहुविकल्पीय सवालों को छोड़कर विवेक से अंक देते हैं। जैसे, 10 अंक के प्रश्न में किसी परीक्षार्थी को चार-पांच या फिर नौ व दस भी दिए गए होंगे। कॉपी सामने आने पर परीक्षार्थी कहेंगे,उन्होंने भी यही बात लिखी थी तो फलां को अधिक व उन्हें कम अंक क्यों मिले?
■ सात तरह के प्रश्नपत्र भी चुनौती
प्रश्नपत्रों के कई सेट तैयार होते हैं। जो कॉपी सार्वजनिक होगी, उसमें एक प्रश्नपत्र के जवाब होंगे। जिलों में दूसरे प्रश्नपत्रों से परीक्षा हुई होगी, तब अन्य परीक्षार्थी उससे कैसे प्रेरित होंगे? वहीं, यह भी सवाल उठेगा कि फलां प्रश्नपत्र सरल था और उनका कठिन।
■ कॉपियां दिखाना भी चुनौतीपूर्ण
बड़ी संख्या में परीक्षार्थी कॉपियां देखना चाहेंगे। पिछले वर्षो तक ऐसों की तादाद कम रही है। जिस तरह से एवार्ड ब्लैंक ओएमआर शीट की गोपनीयता भंग हुई, उसी तरह से परीक्षार्थी भी मोबाइल से कॉपी की रिकार्डिग करने का जतन करेंगे।
■ कोर्ट में केस भी बढ़ेंगे
बोर्ड ने अब तक मॉडरेशन अंक प्रणाली पर यह स्पष्ट नहीं किया है कि किन विषयों में कितने अंकों का लाभ दिया गया है। बड़ी संख्या में कॉपियां देखे जाने पर प्रकरण अपने आप खुल जाएगा। ओएमआर शीट व मिले अंकों से लोग तुलना भी करेंगे।
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