तबादला वापसी पर BSA ले रहे अलग-अलग निर्णय, तबादला निरस्त करने के लिए दिया गया स्कूल एकल या शिक्षक विहीन होने का हवाला
लखनऊ । मेरठ में तबादला हुए बेसिक शिक्षकों को वापस उनके पुराने स्कूल में भेजने के आदेश कर दिए गए। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने ये आदेश उन स्कूलों के लिए जारी किए जो तबादले की वजह से एकल या शिक्षक विहीन हो गए। वहीं लखनऊ में तबादले निरस्त नहीं किए गए, जबकि यहां भी करीब 50 स्कूल एकल हो गए है। यह महज दो जिलों की बात नहीं है। प्रदेश भर में हर जिले में बेसिक शिक्षा अधिकारी के स्तर से अलग-अलग तरह के निर्णय लिए जा रहे है। प्रदेश के करीब दो दर्जन जिलों में तबादले निरस्त किए गए है। बाकी में नहीं।
अगस्त में हुए तबादलेः प्रदेश में बेसिक शिक्षकों के अंतःजनपदीय तबादलों की प्रक्रिया जुलाई में शुरू हुई थी। उसके बाद 11 अगस्त को तबादला लिस्ट जारी की गई। इसमें कुल 5,378 का तबादला हुआ। तब जॉइनिंग देने के तुरंत बाद यह बात सामने आई थी कि छात्र शिक्षक अनुपात बिगड़ गया है। कुछ बीएसए ने शिक्षकों को तुरंत ही पुराने स्कूल में वापस करने के आदेश किए थे। उस समय विभाग के बड़े अफसरों ने हस्तक्षेप कर यह कहा था कि जिनका तबादला हो गया है, उनको रोका नहीं जाएगा। सभी को नई जगह जॉइनिंग दी जाएगी। बाद में स्कूलों की पेयरिंग के बाद एक बार फिर से तबादले समायोजन किए जाएंगे। उसमें अनुपात को सुधार लिया जाएगा।
कही वापसी के आदेश हुए, कही नहीं हुएः स्कूलों की पेयरिंग हो गई लेकिन उसके बाद समायोजन नहीं हुआ। ज्यादातर जिलों में कई स्कूल एकल या शिक्षकविहीन हो गए है। ऐसे में कई बीएसए फिर से शिक्षकों को अपने पुराने स्कूल में भेजने के आदेश कर रहे है।
मेरठ, कन्नौज, महराजगंज, सुलतानपुर, हमीरपुर सहित कई जिलों के बीएसए ने खंड शिक्षाधिकारियों को आदेश दिए कि यदि कोई स्कूल तबादले/समायोजन की वजह से एकल या शिक्षकविहीन हो रहा है तो शिक्षकों को मूल विद्यालय में वापस भेजा जाए। वहीं, बस्ती और जालौन सहित कई जिलों के बीएसए ने नियमों का हवाला देते हुए लिखा है कि कोई विद्यालय एकल या शिक्षकविहीन नहीं होना चाहिए।
नियमों के तहत ही शिक्षकों को कार्यमुक्त या कार्यभार ग्रहण करवाने की कार्यवाही की जाए। वहीं लखनऊ, गाजियाबाद, अमरोहा, कासगंज सहित प्रदेश के ज्यादातर जिले ऐसे हैं, जहां शिक्षकों को पुराने विद्यालय में वापसी के आदेश नहीं किए गए। यहां भी कई स्कूल एकल या बंद हो गए है।
परिषद के स्तर से तबादला निरस्त करने के संबंध में कोई निर्देश नहीं दिए गए है। जब तबादले हुए थे, तभी बीएसए से कहा गया था कि देख-परखकर शिक्षको को रिलीव करे। कोई स्कूल एकल या बंद नहीं होना चाहिए। –सुरेंद्र तिवारी, सचिव-बेसिक शिक्षा परिषद
कैसे फंसते गए पेच ?
जब तबादले किए गए तब छात्र-शिक्षक अनुपात तय करते समय शिक्षामित्रो को भी जोड़कर शिक्षको की संख्या का आकलन किया गया। कई स्कूल ऐसे थे, जिनमें शिक्षामित्र तो है लेकिन शिक्षक एक या दो ही थे। जब वहां से एक का तबादला हो गया तो वे एकल यह बात उठी तो एक बार और समायोजन का आश्वासन दिया गया। वह समायोजन हुए नहीं। हाल ही में शिक्षकविहीन स्कूल का मामला हाई कोर्ट पहुंचा। इस पर HC ने आदेश दिया कि विद्यालय एकल या शिक्षक विहीन नहीं होना चाहिए। अब जिन शिक्षको के तबादले के बाद पुराने स्कूल में वापसी हो गई, वे शिक्षक कोर्ट चले गए है। इस तरह से दोनों तरफ से मामला कोर्ट में होने के कारण अफसर फंसे हुए है। यही वजह है कि विभाग के बड़े अफसर भी इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहे।
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