खीरी। प्रदेश सरकार द्वारा परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा को और हाईटेक बनाने के लिए ऑनलाइन हाजिरी की व्यवस्था का फरमान जारी किया गया है। जो एक जनवरी से परिषदीय विद्यालय में लागू होगा। लेकिन यह तुगलकी फरमान अध्यापकों के लिए सिरदर्द बन गया है। एक घंटे के अन्तराल में ऑनलाइन हाजिरी देना अधिकांश अध्यापकों के लिए करना नामुमकिन है।
प्राथमिक शिक्षक संघ के मंत्री अशंुमान तिवारी ने इस अभियान का विरोध जताते हुए शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को अवगत कराया है। प्रदेश सरकार ने शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों की उपस्थिति आनलाइन करने की योजना पर बल दिया गया है। साथ ही एमडीएम में बच्चों की उपस्थिति में कोई हेर-फेर न हो, इसके लिए सरकार ने एसएमएस द्वारा उपस्थिति देने की योजना बनाकर एक जनवरी से लागू कर रहा है लेकिन तराई बेल्ट में स्थापित विद्यालयों में यह योजना प्रभावी नहीं हो सकती है। क्योंकि निघासन विकास खंड क्षेत्र के नेपाल बार्डर से जुडे़ अधिकांश विद्यालयों में नेपाली नेटवर्क होने के कारण एसएमएस भेजना अध्यापकों के लिए मुसीबत बन सकता है। सरकार ने हाईटेक शिक्षा बनाने के लिए योजना तो तैयार कर दी लेकिन तराई बेल्ट में जहां पर किसी भी कम्पनी का नेटवर्क न होना ऑनलाइन हाजिरी करना अध्यापकों के लिए पूरी तरह सिरदर्द बना हुआ है।
उदाहरण के तौर पर चौगुर्जी में स्थापित में प्राथमिक विद्यालय जहां पर भारत का कोई भी मोबाइल नेटवर्क नहीं आता है। वहां पर तो एमसीएल का (नेपाल) का नेटवर्क आता है लेकिन भारत सरकार विदेशी नेटवर्क करने से एसएमएस करने का कभी इजाजत नहीं देगी। इस तरह के कई ग्राम ऐसे भी जहां पर नेपाली भी नेटवर्क नहीं है ऐसी स्थिति में अध्यापक बच्चों की उपस्थिति कैसे भेज सकता है। जो पूरी तरह से अव्यवहारी है। सबसे खास बात यह है कि सरकार ने एनआईसी में फीडिंग करने हेतु अध्यापकों को एक घंटे का समय एसएमएस के लिए दिया गया है। इस एक घंटे में अध्यापक को अगर एसएमएस करता है तो बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित होती है।
साथ ही ठंडक के मौसम में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चे ज्यादातर स्कूलों में 10 बजे के बाद ही पहुंच पाते है। इन बच्चों की अध्यापक उपस्थिति कैसे दर्ज करेगा। क्योंकि जो बच्चा दस बजे के अन्दर स्कूल में प्रवेश कर गया उसकी उपस्थिति एसएमएस के माध्यम से दर्ज हो गई और जो बच्चा दस बजे के बाद आया, उस बच्चे की उपस्थिति स्कूल में दर्ज नहीं हो पाई। एमडीएम भी बच्चों की उपस्थिति के हिसाब से बनाया जाएगा। अनुपस्थित हुए बच्चों को एमडीएम अगर नहीं दिया गया तो अभिभावक भी हावी हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में अध्यापक भी असंमजस्य की स्थिति में पड़ गया है। सरकार का यह तुगलकी फरमान अध्यापकों के लिए पूरी तरह सिरदर्द बन गया है।
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