इलाहाबाद : छात्रों में तनाव का स्तर घटाने के लिए लागू की गई
सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन प्रणाली कारगर साबित नहीं हो रही है। इससे
शिक्षा के स्तर में ही गिरावट आने लगी है। इसका एक कारण ग्रामीण इलाकों में
शिक्षकों का इस प्रणाली के बारे में अनभिज्ञ होना भी है। सरकार की नई
शिक्षा नीति पर चल रहे मंथन के दौरान यह बात सामने आई है। इसे देखते हुए
सरकार ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) और स्टेट काउंसिल ऑफ
एजुकेशनल रीसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) को ग्रामीण इलाकों में शिक्षकों
को प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी देने का फैसला किया गया है।
माध्यमिक
शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने मानव संसाधन मंत्रालय की पहल पर 2011-2012
सत्र से हाईस्कूल में सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन प्रणाली (सीसीई) लागू की
थी। इसके तहत हाईस्कूल में इस प्रणाली को लागू करने का उद्देश्य छात्रों
में तनाव का स्तर घटाना था। हालांकि पिछले तीन वर्षों के दौरान जो परिणाम
सामने आए, उनसे यह पता चला है कि तनाव घटाने के चक्कर में छात्रों में
सीखने की ललक कम हो रही है। सीसीई लागू होने के बाद छात्रों का पास प्रतिशत
तो बढ़ा लेकिन उनमें सीखने की क्षमता और विषय पर पकड़ कमजोर हुई है। यह
बात पिछले दिनों दिल्ली में हुई सभी राज्यों के शिक्षा बोर्डों के सचिवों
की बैठक में सामने आयी है। जिससे सभी बोर्ड चिंतित हैं। सीसीई में यह
व्यवस्था भी की गई है कि, एक छात्र पर छह शिक्षकों की नजर रहे। हालांकि यह
भी संभव नहीं हो पा रहा है।
वहीं ग्रामीण इलाकों में किए
गए एक सर्वे की रिपोर्ट में कहा गया है कि, ऐसे क्षेत्रों में शिक्षकों को
इस प्रणाली की जानकारी ही नहीं है। ऐसे में वह इसे लागू कैसे कर सकेंगे।
इसे देखते हुए मानव संसाधन मंत्रालय ने ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों को
प्रशिक्षित करने के लिए सीबीएसई और एससीईआरटी को जिम्मेदारी देने का फैसला
लिया है। माना जा रहा है कि, इससे स्थिति में कुछ सुधार आएगा। माध्यमिक
शिक्षा परिषद की सचिव शैल यादव ने बताया कि, सीसीई को लेकर बैठक में
बोर्डों के सचिवों ने अपना फीडबैक दिया है। इसमें परिणाम का प्रतिशत बढ़ने
लेकिन गुणवत्ता में गिरावट आने की बात कही गई है। जिस पर मंत्रालय ने गौर
करने और शिक्षकों को प्रशिक्षित कर प्रणाली में सुधार लाने की बात कही है।
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