स्कूलों में अध्यापकों की सुनिश्चित की जाए उपस्थिति', मुख्य सचिव व अपर मुख्य सचिव बेसिक को हाईकोर्ट का निर्देश
हाईकोर्ट ने कहा- बच्चों के शिक्षा पाने के मौलिक अधिकारों का न हो हनन
प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्राइमरी स्कूलों में अध्यापकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव (एसीएस) बेसिक व अन्य अधिकारियों को निर्देश जारी किया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि बच्चों के शिक्षा पाने संबंधी मौलिक अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति पीके गिरि ने बांदा की अध्यापिका इंद्रा देवी की याचिका पर पारित किया है।
हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सरकार, स्कूलों में शिक्षकों के डिजिटल अटेंडेंस की व्यवस्था करें तथा जिला एवं ब्लाक स्तर पर ऐसा टास्क फोर्स बनाए जिससे स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित हो सके। कोर्ट ने बांदा के डीएम व बीएसए से जिले की रिपोर्ट मांगी है। हाई कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने शिक्षकों की उपस्थिति के लिए डिजिटल अटेंडेंस की व्यवस्था की है, लेकिन वह अभी धरातल पर नहीं है। अपने विस्तृत आदेश में कोर्ट ने कहा कि शिक्षक गुरु है और वह परम ब्रह्म के समान है। कोर्ट ने शास्त्रों की यह उक्ति उद्धित की, 'गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वर गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः ।'
तथ्य यह हैं कि याची शिक्षक कंपोजिट स्कूल तिंदवारी, बांदा में नियुक्त है। उसकी स्कूल में गैरमौजूदगी को लेकर बीएसए बांदा ने 30 अगस्त 2025 को एक आदेश जारी किया था जिसे उसने याचिका में चुनौती दी है। आरोप है कि वह डीएम के निरीक्षण के दौरान स्कूल में नहीं थी। हस्ताक्षर कर स्कूल से गायब थी। हाई कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों की स्कूल से गैरमौजूदगी के कारण बच्चों के मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 का उल्लंघन हो रहा है। गरीब बच्चों के शिक्षा पाने के मौलिक अधिकारों का भी हनन हो रहा है। हाई कोर्ट ने कहा, शिक्षकों के स्कूलों में नहीं जाने से बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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