इलाहाबाद। शिक्षा भी एक उत्पाद है, यदि उसका लाभ जन सामान्य तक नहीं पहुंचता तो यह असफल है। प्रदेश के उच्च शिक्षा निदेशालय उत्तर प्रदेश की ओर से भारत सरकार की नई शिक्षा नीति तैयार पर परामर्श के लिए आयोजित कार्यशाला में यह बातें बुंदेलखंड विवि के पूर्व कुलपति प्रो. अविनाश चन्द्र पांडेय ने व्यक्त की। उन्होंने कहा कि विदेशों में विवि उद्योग जगत को महत्वपूर्ण सुझाव देते हैं, उसके बदले उद्योग जगत विवि को आर्थिक सहयोग करते हैं।
नई शिक्षा नीति पर आयोजित प्रश्नोत्तरी में इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर मंडल के शिक्षाधिकारियों की भागीदारी रही। मुख्य अतिथि पूर्वांचल विवि के कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि जो कॉलेज स्वायत्तता की बात करते हैं, उन्हें स्वायत्तता के साथ अपनी जवाबदेही तय करनी चाहिए। प्रो. अग्रवाल ने कहा कि नैक के मूल्यांकन के मानक में कॉलेजों एवं विवि की पृष्ठभूमि का ध्यान रखना चाहिए। एक ग्रामीण अंचल के विवि की जेएनयू से तुलना नहीं की जा सकती। कार्यशाला का विषय प्रवर्तन उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव पीके पांडेय ने किया। निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. आरपी सिंह ने कहा कि बदलते परिदृश्य में नई शिक्षा नीति भी नए कलेवर के साथ परिष्कृत होनी चाहिए। संचालन डॉ. एनएन सिंह ने तथा धन्यवाद ज्ञापन संयुक्त शिक्षा निदेशक प्रो.एएनएस यादव ने किया। स्वागत सहायक निदेशक डॉ. ओपी श्रीवास्तव, डॉ. विनीता यादव, डॉ. उदयवीर, डॉ. इंदु प्रकाश सिंह, संजय सिंह ने किया। कार्यशाला उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित की गई।
No comments:
Write comments