जागरण संवाददाता, कासगंज: फर्जी शिक्षक नियुक्ति के मामले में कई माफिया शामिल हैं। इस बात को बेसिक शिक्षा विभाग भी अच्छी तरह जानता है और माध्यमिक शिक्षा विभाग की जांच टीम भी। लेकिन कोई भी इसमें स्पष्ट आख्या प्रस्तुत नहीं कर रहा। अब जांच बदले तो सच्चाई सामने आ सकती है। फिलहाल जिला प्रशासन कई पहलुओं पर जांच करा रहा है।1वर्ष 2011 में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आधा दर्जन शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति के मामले में सिर्फ दो बाबुओं के निलंबन तक कार्रवाई सिमट कर रह गई। जबकि यहां दस्तावेजों में अन्य तमाम जिम्मेदार फंस रहे हैं। उस समय शिक्षक भर्ती प्रक्रिया का पटल देख रहे बाबू पर आज भी दस्तावेज मौजूद हैं। न जाने क्यों विभाग उस बाबू को बचाने में जुटा है। माध्यमिक शिक्षा विभाग की जांच टीम द्वारा अब तक की गई जांच में भी पहले तो उस बाबू को दोषी बताया गया लेकिन बाद में न जाने क्यों जांच आख्या पेंचीदा बना दी गई। बताते हैं कि बेसिक शिक्षा अधिकारी दीवान सिंह ने एक व्यायाम शिक्षक को भी निलंबित कर दिया है। लेकिन इसकी पुष्टि प्रशासनिक स्तर से नहीं हो सकी। सवाल उठता है कि उस समय इस प्रक्रिया से दूरी बनाए हुए लिपिकों को ही निलंबित क्यों किया गया जबकि वेतन आहरण के लिए तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी की रिपोर्ट भी लगी होगी और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने उस पर पर अपनी अंतिम मुहर लगाकर लेखाधिकारी के पास भेजा होगा। ऐसे में वह अधिकारी अब तक क्यों बचे हुए हैं। जरूरत है कि किसी जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारी के नेतृत्व में जांच समिति गठित हो तो बड़े खुलासे हो सकेंगे।1बीएसए ने मांगी शिकायत1विभागीय बाबुओं पर रिश्वत लेने एवं डिस्पेच नंबर की गोपनीयता भंग करने की मिली शिकायतों पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी दीवान सिंह ने कहा है कि अब तक जो शिकायतें मिली वह बिना नाम के थीं। जिस शिक्षक को भी आपत्ति है वह स्वयं आकर शिकायत दर्ज कराएं।
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