जागरण संवाददाता, देवरिया: परिषदीय विद्यालयों में बच्चों का नामांकन शिक्षकों के गले की हड्डी बन गया है। इस बेतहाशा गर्मी में जहां घर से निकलना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में शिक्षकों को घर-घर जाकर बच्चों को नामांकन के लिए ढूंढना है, जो किसी चुनौती से कम नहीं है। गत 1 अप्रैल से स्कूल चलो अभियान का आगाज हो चुका है। ऐसे में शासन के फरमान के मुताबिक 30 अप्रैल तक शिक्षकों को हर हाल में विद्यालयों में शत-प्रतिशत नामांकन का लक्ष्य हासिल करना है। वर्तमान में जनपद में 1880 प्राथमिक व 742 उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं। इनमें से अधिकतर विद्यालय ऐसे हैं जहां छात्र संख्या दो अंकों में तो कही एक अंकों में हैं। जनपद में ऐसे बहुत कम ही विद्यालय होंगे जहां छात्र संख्या तीन अंकों में है। 1एक बार फिर शासन ने 1 अप्रैल से नए सत्र का आगाज होने के साथ ही शिक्षकों से स्कूल चलो अभियान के अंतर्गत विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ाने पर जोर दिया है। इसके लिए बाकायदा शिक्षकों को विद्यालय अवधि समाप्त होने के बाद क्षेत्र में घरों को भ्रमण करना है, ताकि अधिक से अधिक बच्चों की विद्यालय में नामांकन सुनिश्चित हो सके। शिक्षकों के सामने जो सबसे बड़ी समस्या है वह है जनपद में पड़ रही भीषण गर्मी। साथ ही गेहूं की कटाई-मड़ाई। नाम न छापने की शर्त पर कुछ शिक्षकों ने बताया कि यदि नामांकन के लिए छात्रों को ढूंढने जाए जो कहां जाए। कई घरों के चक्कर काटने के बाद भी छात्र नहीं मिल रहे हैं। जबकि विभाग नामांकन के लिए दवाब बनाए हुए है। हम करें तो क्या करें।गौरतलब है कि शासन ने स्कूल चलो अभियान को सफल बनाने के लिए जिला मुख्यालय व ब्लाकों में विभिन्न गतिविधियों के आयोजन का निर्देश दिया है। इसके तहत न सिर्फ रैली व प्रभातफेरी निकाली जा रही है, बल्कि अभिभावकों को पाल्यों के नामांकन के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। अध्यापक दैनिक रूप से विद्यालय अवधि के उपरांत घर-घर जाकर संपर्क करने के साथ ही 6 से 14 आयु वर्ग के विद्यालय न जाने वाले बच्चों के अभिभावकों को जागृत कर उन्हें नामांकन कराने के लिए प्रोत्साहित भी कर रहे हैं।
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