रात के अंधेरे में दो सगे भाइयों के खून से होली खेलने वाले आततायी मौके की ताक में थे। गेहूं की कटाई के कथित प्रतिस्पर्धा के बहाने उन्होंने उन दो युवकों की लाश बिछा दी, जो रास्ते का कांटा बने थे। पुलिस के दावे के इतर ग्रामीणों ने दो टूक कहा कि दोहरा हत्याकांड के मूल में भूमि विवाद है।भटनी विकास खंड के बांस घांटी स्थित प्राथमिक विद्यालय में बतौर शिक्षक तैनात अनिल तिवारी दो भाई थे। उनके पिता कुबेर तिवारी का निधन करीब आठ वर्ष पहले हो गया। इसके बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी अनिल के कंधे पर आ गई। छोटा भाई चंद्रमोहन पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश में था। बताया जाता है कि अनिल के घर की पीछे खाली भूमि है। इस पर मालिकाना हक व कब्जे को लेकर दोनों पक्षों में वर्षों से विवाद था। दोनों ही पक्षों में पूर्व में कई बार तीखी झड़प हो चुकी थी। फिर भी प्रकरण का पटाक्षेप नहीं हो सका। हत्यारोपियों ने उक्त भूमि पर अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए अनिल व उसके परिवार पर मानसिक दबाव भी बनाया। ग्रामीणों के दावों को सच मानें तो जिस तेज धार तलवार से सगे भाइयों को मौत के घाट उतारा गया, उसका खुला प्रदर्शन पहले भी हो चुका था। अचरज रहा कि दोहरे हत्याकांड की बड़ी वजह बने इस भूमि विवाद की भनक तक प्रशासनिक अमले को नहीं लगी। नतीजा हुआ कि आततायियों के हौसले बुलंद हो गए और निरीह व निर्धन भाइयों को उन्होंने एक साथ मौत के घाट उतार दिया। मानों उनके मन में कानून की लेस मात्र फिक्र रही ही नहीं।
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