जासं, बदायूं : यह सुरक्षा से खिलवाड़ नहीं तो और क्या है। स्कूलों में आग से बचाव के इंतजाम ना काफी हैं। जो अग्निशमन यंत्र हैं भी वे धूल फांक रहे हैं। महज शोपीस बनकर रह गए हैं। इन यंत्रों के क्रियाशील न होने से यदि कोई हादसा होता है तो बच्चों की जान जोखिम में पड़ सकती है। ऐसा न हो, इसको लेकर बेसिक शिक्षा विभाग सतर्क हुआ है। विभाग ने सभी अग्निशमन यंत्रों को क्रियाशील हालत में लाने के लिए खंड शिक्षा अधिकारियों व नगर शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिया है। इसके लिए सात दिनों का समय दिया गया है। अग्निशमन यंत्रों को रीफिल न कराने की स्थिति में यदि कोई अप्रिय घटना होती है तो संबंधित प्रधानाध्यापक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।1बिहार के एक विद्यालय में आग लग जाने की घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हर विद्यालय में एक अग्निशमन यंत्र लगवाने का आदेश दिया था। आदेशानुसार यंत्र लगवा तो दिए गए, लेकिन कोई सुध नहीं ली गई, कभी रीफिल ही नहीं कराया गया और स्टोर में कबाड़े की तरह फेंक दिए गए तो किसी में शोपीस की तरह टांग दिए गए। ऐसे में अगर कोई अप्रिय घटना विद्यालय में घटित हो जाए तो बच्चों को नुकसान उठाना पड़ेगा। पिछले सत्र में जागरण ने विद्यालयों में अग्निशमन यंत्रों की स्थिति पर खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी। जिसपर बीएसए ने संज्ञान लिया है और बीईओ व नगर शिक्षा अधिकारी को हर परिषदीय, मान्यता प्राप्त व सहायता प्राप्त विद्यालयों के प्रधानाचार्य, प्रबंधक से अग्निशमन यंत्र को क्रियाशील अवस्था में लाने के निर्देश दिए हैं। विद्यालय विकास अनुदान या अनुरक्षण निधि से इसके लिए धनराशि खर्च की जाएगी। यह कार्य सात दिनों में पूरा किया जाएगा।
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