अपने लिए तो सब जीते हैं, दूसरों के लिए जीना बड़ी बात है। इस वक्तव्य को चरितार्थ कर रही हैं शिक्षक शिखा मौर्या। वह अपने बच्चे के दूसरे जन्मदिन पर घर पर केक तो काटा ही साथ ही साथ अपने स्कूल में नंगे पैर आने वाले बच्चों को चप्पल, पेंसल व कांपी भी बांटा। शिखा मौर्या की इस पहल की शिक्षा जगत में जबरदस्त चर्चा है। इस तरह का कार्य समाज के लिए गौरव की बात है। शिखा मौर्य मूल रूप से सिधारी के मुंडा गांव की रहने वाली हैं। वह प्राथमिक विद्यालय मतौलीपुर द्वितीय पर पिछले पांच साल से शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। उनके पति विजय प्रकाश मौर्य उत्तराखंड में कृषि अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। उनका शुरू से ही बच्चों से काफी लगाव है। पांच मई को उनके बेटे वसु का दूसरा जन्मदिन था। पहले वह अपने बच्चे के साथ दो पौध लगाईं। बच्चे के जन्मदिन से पहले ही उन्होंने अपने स्कूल के छात्रों को चप्पल बांटने का निर्णय लिया था। उनकी यही मंसा रंग लाई और बच्चे के जन्मदिन पर उन्होंने चप्पल, कापी व पेंसल अपने स्कूल के बच्चों में बांटा। शिक्षिका शिखा मौर्य ने बताया कि वह जब स्कूल में पढ़ाती हैं तो तमाम गरीब घर के बच्चे चिलचिलाती धूप में नंगे पैर आते हैं। उन्हें देखकर वह काफी प्रभावित हुईं और अपने बेटे के दूसरे जन्मदिन पर बच्चों के नंगे पैर में चप्पल पहनाने की ठान ली। शिखा ने बताया कि अपने बेटे के पहले जन्मदिन पर भी उन्होंने पौध लगाया था लेकिन इस बार कुछ अलग करने की उनकी मंशा थी। वह बच्चों को चप्पल पहनाकर काफी खुश हैं। दूसरी तरफ शिक्षाजगत के लोगों व शिक्षकों के लिए आईना भी दिखाया है कि अपनी सेवा से बढ़कर दूसरे की सेवा करना धर्म हैं। यही हमारी परंपरा व संस्कृति है।बच्चे के जन्मदिन पर छात्रों को चप्पल वितरित करतीं शिखा मौर्या।
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