गर्मी की छुट्टी में भी परिषदीय बच्चों को मध्याह्न् भोजन देने की योजना परवान चढ़ने से पहले ही धराशायी हो गई है। विभाग और शिक्षकों की उदासीनता के चलते न विद्यालय खुल रहे और न चूल्हे ही जल रहे हैं। मध्याह्न् भोजन की निगरानी के लिए जिला प्रशासन ने उप जिलाधिकारी समेत संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों की टीम निर्धारित की है। शासन को रोज की रिपोर्ट भी भेजी जानी है। इसके लिए अलग से कन्वर्जन कास्ट और रसोइयों को मानदेय दिया जाना है। यही नहीं ड्यूटी करने वाले शिक्षकों को विशेष अवकाश भी देने की घोषणा हुई है। लेकिन, ढाक के वही तीन पात। 15 दिन बीत गए लेकिन कहीं कोई चहल-पहल नहीं। स्कूलों में न खाने वाले बच्चे मिल रहे और न खिलाने वाले। टीम में शामिल संबंधित अधिकारी भी उदासीन बने हुए हैं। कहीं कोई निगरानी नहीं हो रही है। शिक्षक भी विरोध में उतर आए हैं। उन्होंने भी मोर्चा खोल रखा है। सूखे की मार ङोल रहे गोरखपुर सहित सूबे के 50 जिलों के परिषदीय विद्यालयों में गर्मी की छुट्टी में भी बच्चों को मध्याह्न् भोजन देना है। योजना 21 मई से शुरू है। निरीक्षण में खुली पोल : निरीक्षण में योजना की पोल खुल रही है। जिला समन्वयक दीपक पटेल ने 24 से 27 मई तक जंगल कौड़िया, पिपराइच, खोराबार और चरगावा ब्लाक के 32 विद्यालयों को चेक किया। लेकिन, महज 2 में भोजन बना हुआ मिला। पहली जून को भी 18 विद्यालयों को चेक किया जिसमें महज 1 में मध्याह्न् भोजन बनता पाया गया।
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