जुगाड़ से दिव्यांग कोटे से नौकरी कर रहे शिक्षक शिक्षिकाओं के लिए एक बुरी खबर है। परिषदीय विद्यालयों में विकलांग प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्ति शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर इनसे प्रमाण पत्र के विषय में जानकारी की जाएगी। इसके लिए चार सदस्यीय टीम गठित की गई है। इसके अलावा मेडिकल बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत होने से शेष रहे दिव्यांग शिक्षकों का भी चिंहाकन कर उनके प्रमाण पत्रों की जांच की जाएगी। इससे फर्जीवाड़ा का नौकरी पाने वालों पर कार्रवाई हो सकती है। बताते चलें कि परिषदीय विद्यालयों में विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। विशिष्ट बीटीसी के तहत नियुक्ति शिक्षकों में दिव्यांग शिक्षकों का अलग से कोटा था। जिसके तहत जिले में भी दिव्यांग शिक्षकों को नियुक्ति किया गया था। दिव्यांग शिक्षकों के मामले में न्यायालय में रिट दायर हुई थी कि कई शिक्षकों ने विकलांग प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनवा कर नियुक्ति पाई है, जो जिला स्तर से जारी किए गए हैं मामला प्रकाश में आने पर वर्ष 2010 में लखनऊ में एक मेडिकल बोर्ड बनाया गया था। जिसमें प्रत्येक जिले में तैनात दिव्यांग शिक्षकों को प्रमाण पत्र के साथ बुलाया गया था और उनकी विकलांगता की जांच की गई। मगर मेडिकल बोर्ड कुछ ही शिक्षकों का परीक्षण कर पाया था। इसी जांच पर रोक लगा दी गई थी। इस मामले में न्यायालय में रिट दायर की गई जिसमें कहा गया कि पांच शिक्षकों के विकलांग प्रमाण पत्र फर्जी हैं और प्रदेश के 811 शिक्षकों की जांच ही नहीं की गई है। जिस पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद के निदेशक डा. सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह ने सभी डायट प्राचार्यों की समिति गठित कर दिव्यांग टीचरों को नोटिस जारी करने और उनका पक्ष सुनने के निर्देश दिए थे। जिस पर डायट प्रशासन ने जिलाधिकारी को मामले की जानकारी दी और सभी दिव्यांग शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जिलाधिकारी के निर्देश पर डायट प्राचार्य की ओर चार सदस्यीय टीम गठित की गई है। जो टीम 24 जून को जिले के सभी दिव्यांग शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच करेगी।
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