- 162 प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल हैं
- 115 स्कूलों में हेडमास्टर की तैनाती नहीं
- 75 फीसदी पदों पर महिलाओं को बनना था हेड
बरेली : देश-विदेश में महिलाएं हर मोर्चे पर आगे खड़ी
नजर आ रही हैं मगर बरेली के परिषदीय स्कूलों की हेड बनने से उन्होंने हाथ
खड़े कर दिए हैं। इसके पीछे बड़ी वजह घर से स्कूल की दूरी और विभाग में
जबर्दस्त भ्रष्टाचार है। महिलाओं के इनकार के चलते नगर क्षेत्र के 162 में
से 115 स्कूलों में हेडमास्टर का पद रिक्त है।
बरेली में नगर क्षेत्र में
135 प्राइमरी स्कूल हैं। इन स्कूलों में से 98 में हेडमास्टर का पद खाली चल
रहा है। सिर्फ 37 में ही हेडमास्टर तैनात हैं। ठीक ऐसे ही 27 जूनियर
हाईस्कूल में 17 पद खाली हैं। खास बात यह है कि इनमें से 75 फीसदी पद
महिलाओं के इंकार के चलते खाली रह गए हैं। प्रमोशन के लिए रिक्त पदों की
सूची तैयार करते समय इसका खुलासा हुआ है।
पिछले दिनों जब नगर क्षेत्र में
प्रमोशन हुए तो भारी संख्या में शिक्षिकाओं ने अपना प्रमोशन छोड़ दिया।
क्योंकि प्रमोशन के बाद उन्हें हेडमास्टर बनना पड़ता। हेडमास्टर नहीं होने
के कारण इन स्कूलों में कामकाज भी काफी प्रभावित रहता है। तमाम जगह तो
जूनियर हाईस्कूल के हेड को ही प्राइमरी का भी चार्ज दिया गया है।
हेड नहीं होने के साइड इफेक्ट
- हेड न होने पर सहायक अध्यापक संभालता है चार्ज
- पूर्णकालिक चार्ज न होने से बेमन काम करते इंचार्ज
- कई जगह एक शिक्षक के पास दो स्कूलों का चार्ज
- दूर वाले स्कूल में नहीं जाते हैं इंचार्ज
महिलाएं बड़ी जिम्मेदारी से बचना चाहती हैं। इन योजनाओं के पीछे छिपा भ्रष्टाचार भी एक बड़ा कारण है। मगर हम लोगों को इस भ्रष्टाचार से लड़ना ही होगा।- रिचा तिवारी, संगठन मंत्री, प्राथमिक शिक्षक संघ
प्रमोशन नहीं लेने के मुख्य कारण
- हेडमास्टर बनने से स्कूल का बदलना।
- स्कूल का घर से दूर होना।
- यूनिफार्म वितरण में जबर्दस्त हिस्सा-बांट। भ्रष्टाचार के चलते दूरी।
- एमडीएम के नाम पर बच्चों की संख्या कम-ज्यादा करने का खेल।
- स्कूल में आने वाली हर ग्रांट का पूरा हिसाब-किताब रखना।
- भ्रष्टाचार के जोर के बीच फर्जी कागजी घोड़े दौड़ाने की टेंशन।
- हेडमास्टर बनने के बाद बैठक में शामिल होने की जिम्मेदारी।
- छोटी-छोटी गलती होने पर भी हेडमास्टर का सस्पेंड होना।
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