परिषदीय विद्यालयों में तैनात दिव्यांग शिक्षकों को अब अपनी विकलांगता साबित करनी होगी। न्यायालय के आदेश पर शासन ने उनकी जांच के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। जांच के लिए किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) लखनऊ के चिकित्सकों की टीम गठित कर दी गई है। दिव्यांग शिक्षकों को 24 से 28 जुलाई के बीच संबंधित चिकित्सकों के समक्ष उपस्थित होना होगा। शासन ने गोरखपुर मंडल के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर 2010 से अब तक विकलांग कोटे के तहत तैनात दिव्यांग शिक्षकों का व्यौरा मांगा है। पत्र के अनुसार हाईकोर्ट के आदेश पर दिव्यांग शिक्षकों के विकलांगता प्रमाण पत्र की जांच के साथ ही चिकित्सकों की टीम भौतिक सत्यापन भी करेगी। इसके लिए केजीएमयू में आर्थोपेडिक विभाग, ईएनटी विभाग और नेत्र रोग विभाग के चिकित्सकों की टीम बनाई गई है। शासन का पत्र मिलने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने दिव्यांग शिक्षकों की सूची तैयार करने में जुट गया है। इसको लेकर शिक्षकों में हड़कंप मचा है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि लगातार शिकायत मिल रही थी कि कुछ शिक्षक फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे हैं। मामला न्यायालय तक पहुंचा तो जांच के घेरे में आ गया। अब सभी दिव्यांग शिक्षकों को जांच से गुजरना होगा।
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