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Sunday, September 18, 2016

सरकार के खिलाफ बिगुल फूकेंगे वित्तविहीन शिक्षक, 18 हजार मानदेय की मांग पर अड़े शिक्षक 

इलाहाबाद : प्रदेश सरकार मानदेय के नाम पर वित्तविहीन शिक्षकों को गुमराह कर रही है। मानदेय देने के लिए 200 करोड़ रुपये बजट का प्रावधान किया गया था, लेकिन ये बजट प्रदेश के सिर्फ 1.92 लाख शिक्षकों के लिए एक वर्ष तक के लिए ही पर्याप्त है। जबकि सूबे में वित्तविहीन शिक्षकों की संख्या 3.50 लाख है। ऐसे में जाहिर है कि सभी वित्तविहीन शिक्षकों को मानदेय नहीं मिल सकेगा। इसको लेकर अन्य शिक्षकों में सरकार के प्रति नाराजगी है। अगर सरकार और बजट का प्रावधान नहीं करती है तो वित्तविहीन शिक्षक उसके खिलाफ बिगुल फूकेंगे। ये बातें उप्र माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक समंवय संघ के इलाहाबाद - झांसी के प्रत्याशी त्रिवेणी प्रसाद त्रिपाठी ने शनिवार को कहीं।



 ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज सिविललाइंस में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने मांग की कि सरकार वित्तविहीन शिक्षकों को पूर्ण शिक्षक का दर्जा दे। कहा कि सरकार ने जो मानदेय निर्धारित किया है उसके मुताबिक इंटर के लेक्चरर को हर माह 1100 और प्रधानाचार्य को 1350, हाईस्कूल के शिक्षक को 990 और प्रधानाचार्य को 1100 रुपये ही मिलेगा। जबकि सरकार से 18 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय की मांग की जा रही है। उन्होंने चेताया कि सरकार वित्तविहीन शिक्षकों की मांगों पर विचार नहीं करती है तो स्थिति भयावह होगी।



 मानदेय संबंधी शासनादेश की प्रतियां सामूहिक रूप से जलाई जाएंगी और सरकार को अपनी ताकत का एहसास कराया जाएगा। आरोप लगाया कि माध्यमिक शिक्षक संघ शर्मा गुट के शिक्षक विधायक ने शिक्षक भवन पर कब्जा जमा रखा है। इसे मुक्त कराने के लिए वित्तविहीन शिक्षक संघर्ष करेंगे। इस मौके पर विद्या भारती के प्रदेश निरीक्षक चिंतामणि सिंह, हरिओम मिश्र, राजेंद्र श्रीवास्तव, उदयराज यादव, सुरेंद्र त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।

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